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कृषि ऋण माफी से बैंक ऋण का अनुशासन बिगड़ता है : अरुंधति भट्टाचार्य

मुंबई : किसानों के ऋण माफ करने की योजना पर एतराज जताते हुये भारतीय स्टेट बैक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने आज कहा कि इस तरह की योजनाओं से बैंक और कर्ज लेने वालों के बीच अनुशासन बिगडता है. उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने […]

मुंबई : किसानों के ऋण माफ करने की योजना पर एतराज जताते हुये भारतीय स्टेट बैक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने आज कहा कि इस तरह की योजनाओं से बैंक और कर्ज लेने वालों के बीच अनुशासन बिगडता है. उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने पर राज्य के किसानों के लिये ऋण माफी योजना लाने का वादा किया है.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में भट्टाचार्य ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, ‘हमारा मानना है कि कर्ज माफी जैसी योजनाओं से हमेशा बैंक और कर्जदार के बीच जो एक अनुशासन बना रहता है वह बिगड़ता है. जिन लोगों को कर्ज माफी मिलती है, उन्हें भविष्य में भी इस तरह की कर्ज माफी मिलने की उम्मीद रहती है. ऐसे में बाद में भी जो कर्ज दिये जाते हैं उन्हें भी अदा नहीं किया जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘आज हमारे कर्ज वापस मिल जायेंगे क्योंकि सरकार इनका भुगतान कर देगी लेकिन उसके बाद जो नये कर्ज दिये जायेंगे उनके मामले में लोग फिर अगले चुनाव की प्रतीक्षा करने लगेंगे कि फिर से कर्ज माफ हो जायेंगे.’

भट्टाचार्य ने कहा कि किसानों की मदद की जानी चाहिये यह महत्वपूर्ण है लेकिन यह काम इस तरह होना चाहिये कि किसानों के बीच ऋण अनुशासन बना रहे. देश के इस सबसे बड़े बैंक ने अपने ट्रैक्टर ऋण क्षेत्र में 6,000 करोड़ रुपये की एकबारगी निपटान योजना की घोषणा की थी ताकि कर्ज वसूली तेज हो सके.

बैंक ने शिक्षा और लघु एवं मझोले उद्योगों के ऋणों में इस प्रकार की एकबारगी निपटान योजना की घोषणा की है. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे कई अन्य कर्जों के मामले में जो लंबे समय से लंबित हैं और लोगों को वहां दिक्कत हैं हम एक बारगी निपटान (ओटीएस) सुविधा देते रहे हैं.’ ओटीएस के बाद इन क्षेत्रों में वसूली काफी अच्छी रही है.

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