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पूर्व डीएसइ एसएस मेहता के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू

देवघर : देवघर में प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति फर्जीवाड़ा मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर सुधांशु शेखर मेहता के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू हो गयी है. कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड के विभागीय जांच पदाधिकारी शुभेंद्र झा द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी देवघर से रिपोर्ट मांगी गयी है. स्कूली शिक्षा […]

देवघर : देवघर में प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति फर्जीवाड़ा मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर सुधांशु शेखर मेहता के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू हो गयी है. कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड के विभागीय जांच पदाधिकारी शुभेंद्र झा द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी देवघर से रिपोर्ट मांगी गयी है.

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड द्वारा तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक के विरुद्ध संचालित विभागीय कार्रवाई में जिला शिक्षा पदाधिकारी देवघर को प्रस्तोता पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा विभाग को पूर्व में ही अपना बचाव बयान सौंप दिया गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार रिपोर्ट 10 बिंदुओं पर तैयार किया गया है. साथ ही सभी आरोप के विरूद्ध साक्ष्य भी समर्पित किया गया है.

विभाग को भेजी जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जायेगी.
शिक्षक नियुक्ति फर्जीवाड़ा मामला
कार्मिक, प्रशासनिक, सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड द्वारा शुभेद्र झा को नियुक्त किया गया है जांच पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी को बनाया गया है प्रस्तोता पदाधिकारी
सभी आरोप के विरुद्ध साक्ष्य भी किये गये समर्पित
नियुक्ति से पूर्व काउंसेलिंग के लिए गठित जांच दल को तत्कालीन डीएसइ द्वारा शिक्षक नियुक्ति से संबंधित प्रमाण पत्र (टेट/प्रशिक्षण प्रमाण पत्र) की गहन जांच के लिए मार्ग दर्शन उपलब्ध नहीं कराया गया. जिस वजह से अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो गयी.
तत्कालीन डीएसइ ने अपने सहकर्मियों तथा नियुक्ति संचिका प्रभारी कार्यालय सहायक तथा डाटा इंट्री आॅपरेटर के सहयोग से नियुक्ति नियमावली के विपरीत कार्य कर सक्षम उम्मीदवारों को उनके उचित हक से वंचित कर गलत/अक्षम व्यक्तियों को नियुक्ति पत्र प्रदान कर गंभीर अपराध किया है.
झारखंड प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति (यथा संशोधित) नियमावली के अधीन निर्धारित कोटा में संबंधित कोटा के अभ्यर्थी दूसरे कोटा में आवेदन नहीं कर सकते थे. इस प्रकार प्राय: यह पाया गया है कि वैसे पारा शिक्षक अभ्यर्थी जिन्होंने गैर पारा शिक्षक कोटा की रिक्ति के वि‍रुद्ध आवेदन समर्पित किया है, उनके द्वारा आवेदन की कंडिका-20 को रिक्त रखा गया है, या पारा शिक्षक के रूप में कार्यरत नहीं रहने की सूचना दी गयी है. दोनों परिस्थितियों में उनका आवेदन पोषणीय नहीं होता है. कारण कि कंडिक-20 को रिक्त रखने से आवेदन अपूर्ण होता है, जो मान्य नहीं है. अमान्य आवेदनों को नियुक्ति के लिए विचारण करना भी गंभीर अपराध माना जाता है.
नियुक्ति से संबंधित अभिलेखों का संधारण कार्यालय में ठीक ढंग से नहीं किया गया है. आवेदन देते समय आवेदक के डाटाबेस को प्रशिक्षित कंप्यूटर ऑपरेटर से अपलोड नहीं कराया गया. यह भी एक चिंतनीय विषय है. जिससे प्रतीत होता है कि इंटर/स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों (पारा/गैर पारा) की नियुक्ति को डीएसइ कार्यालय देवघर द्वारा गंभीरता पूर्वक नहीं लिया गया.
जांच प्रतिवेदन के आवेदन क्रमांक 00342 रतन कुमार सिन्हा एवं मदन मोहन यादव के संबंध में जांच दल का प्राप्त तथ्य यह है कि जन्म तिथि 06.10.1984 अंकित है. शिक्षक नियुक्ति वर्ष (2015-16 के आवेदन में) जबकि 30.12.1972 अंकित है. (2013-14 की शिक्षक नियुक्ति वर्ष के आवेदन में) साथ ही मूल आवेदन पत्र उपलब्ध नहीं है. सहायक मनीष कुमार के करीबी रिश्तेदार हैं. श्री यादव आवासीय प्रमाण पत्र जांच योग्य, जबकि मूल निवासी बिहार के और अजजा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के निर्वाचक नामावली 2015 के क्रमांक 78 पर (भाग संख्या 81) दर्शित है.
आवेदन क्रमांक 001187 एवं 00874 के अभ्यर्थी संजय कुमार यादव एवं राम लखन प्रसाद यादव के आवेदन और डाटाबेस में विरोधाभाष पाया गया. डाटाबेस में विकलांग नहीं दर्शित है. जबकि आवेदन प्रपत्र में यह दर्शित है.
आवेदन क्रमांक 00539 शैलेश कुमार पाठक के डीपीइ के मेधा अंक में बढ़ोतरी 59.42 के बदले 69.00 प्रतिशत दर्शाया गया है.
आवेदन क्रमांक 00328 शांतनु सौरभ एवं सरिता कुमारी का मूल आवेदन उपलब्ध होना प्रथम दृष्टया प्रमाण पत्र फर्जी प्रतीत होता है.
कार्यालय के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से अपने निजी स्वार्थवश अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से चयनित कराया गया. जिसमें कार्यालय के सहायक मनीष कुमार, संतोष कुमार की भूमिका संदेहास्पद है. इस प्रकार स्पष्ट है कि जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर का अपने कार्यालय एवं कर्मियों पर नियंत्रण नहीं है.

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