जल सत्याग्रह आंदोलन . बीतते गये दिन, बढ़ता गया सत्याग्रहियों का कारवां
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चार लोगों ने शुरू किया था सत्याग्रह
जल सत्याग्रह आंदोलन . बीतते गये दिन, बढ़ता गया सत्याग्रहियों का कारवां जल सत्याग्रह आंदोलन में जनप्रतिनिधियों का समर्थन रहा. सत्याग्रहियों को गंडक की त्रासदी से बचने के लिए दियारा इलाके की हजारों महिलाओं का भी साथ मिला. 22वें दिन शुक्रवार को डीएम ने आंदोलन खत्म कराया. कालामटिहनिया : 17 फरवरी को गंडक नदी में […]
जल सत्याग्रह आंदोलन में जनप्रतिनिधियों का समर्थन रहा. सत्याग्रहियों को गंडक की त्रासदी से बचने के लिए दियारा इलाके की हजारों महिलाओं का भी साथ मिला. 22वें दिन शुक्रवार को डीएम ने आंदोलन खत्म कराया.
कालामटिहनिया : 17 फरवरी को गंडक नदी में जल सत्याग्रह आंदोलन महज चार लोगों ने शुरू किया था. गंडक दियारा संघर्ष समिति के संयोजक अनिल मांझी के नेतृत्व में आंदोलन की शुरुआत की गयी थी. दो दिनों तक गंडक नदी में खड़े रहने के बाद दर्जन भर गांवों की हजारों महिलाओं का समर्थन इन्हें मिला. दिन बढ़ता गया और धीरे-धीरे सत्याग्रहियों का कारवां भी बढ़ता गया. तीन दिनों के बाद जिला प्रशासन की तरफ से एसडीएम मृत्युंजय कुमार और एसडीपीओ मनोज कुमार ने सत्याग्रहियों से आंदोलन खत्म करने के लिए पहल की थी. लेकिन, उनकी पहल विफल रही. सत्याग्रहियों ने बांध निर्माण व पायलट चैनल बनाने का काम शुरू नहीं होने तक आंदोलन को जारी रखने का एलान किया. इधर, चार मार्च को महिलाओं ने उपवास रखने का फैसला लिया.
महिलाओं के उपवास के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी आंदोलन समाप्त कराने के लिए पूरा प्रयास किया. लेकिन, उनकी मांग पूरी नहीं की गयी. 20 दिनों तक जल सत्याग्रह आंदोलन चलने के बाद नौ मार्च से आमरण अनशन शुरू किया गया. आमरण अनशन के दूसरे दिन शुक्रवार को डीएम राहुल कुमार पहुंचे, जहां उन्होंने कुदाल से खुद बांध निर्माण कार्य की नींव रखी और फिर आंदोलन को समाप्त कराया गया. इस तरह करीब दो दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों का यह आंदोलन समाप्त कराया गया. आंदोलन में कुचायकोट प्रखंड के दुर्ग मटिहनिया, खेम मटिहनिया, कालामटिहनिया, भसही, सिपाया, अहिरटोली समेत कई गांव के ग्रामीण पहुंचे थे.
सांसद, विधायक व एमएलसी भी सत्याग्रहियों के समर्थन में हुए थे शामिल
आंदोलन की टाइम लाइन
17 फरवरी- गंडक नदी में चार लोगों ने शुरू किया जल सत्याग्रह आंदोलन
18 फरवरी-बाढ़पीड़ित सत्याग्रह आंदोलन में हुए शामिल
19 फरवरी-एसडीएम व एसडीपीओ वार्ता करने पहुंचे
20 फरवरी-सत्याग्रहियों के समर्थन में महिलाएं उतरीं
20 फरवरी-एसडीएम पहुंचे
21 फरवरी-जिप अध्यक्ष मुकेश पांडेय आंदोलन में शामिल हुए
22 फरवरी-पूर्व सांसद काली प्रसाद पहुंचे, मांग को जायजा बताया
23 फरवरी-जदयू विधायक अमरेंद्र उर्फ पप्पू पांडेय पहुंचे
24 फरवरी-एमएलसी पहुंचे और आंदोलनकारियों का समर्थन किया
25 फरवरी-दर्जन भर गांवों के सैकड़ों ग्रामीण आंदोलन में शामिल हुए
26 फरवरी-महिलाओं ने उपवास रखने का एलान
27 फरवरी-जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों ने वार्ता की
28 फरवरी-बीडीओ ने आंदोलन समाप्त कराने के लिए प्रयास किया
1 मार्च-आंदोलनकारियों की स्थिति अचानक बिगड़ी
2 मार्च-सीएस ने मेडिकल टीम को तैनात करने का आदेश दिया
3 मार्च- दो सत्याग्रहियों की फिर हालत खराब हो गयी
4 मार्च-भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी आंदोलनकारियों से मिले
5 मार्च-सांसद जनक राम पहुंचे
6 मार्च-विधायक मिथिलेश तिवारी ने विस में मामले को उठाया
7 मार्च-सांसद ने थाली बजा कर सरकार से की अपील की
8 मार्च की देर रात से आमरण अनशन शुरू
9 मार्च -सांसद जनक राम ने लोकसभा में मामला उठाया
10 मार्च -डीएम ने जूस पिलाया और आंदोलन खत्म कराया
प्रशासन का तीन बार फेल हो चुका था प्रयास
सत्याग्रहियों के आंदोलन को खत्म कराने के लिए प्रशासन का प्रयास तीन बार विफल हो चुका था. दो बार एसडीएम और चार दिन पूर्व डीडीसी ने वहां पहुंच कर सत्याग्रह आंदोलन को समाप्त करने के लिए प्रयास किया था. चौथी बार डीएम राहुल कुमार पहुंचे, जहां आंदोलन खत्म कराने में सफलता मिली.
सांसद ने बजायी थी थाली
पांच मार्च को सांसद जनक राम पहुंचे थे, जहां उन्होंने थाली बजा कर इनकी मांग को सरकार से पूरा कराने के लिए अपील की थी. सांसद के बाद विधायक मिथिलेश तिवारी, जदयू विधायक अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय, एमएलसी आदित्य नारायण पांडेय, जिला पर्षद अध्यक्ष मुकेश पांडेय के अलावा पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय ने भी इनकी मांग को जायज बताया था.
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