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बिना चमड़े का जूता भी हो सकता है आकर्षक

फुटवियर फैशन : डिजाइन में नहीं इस्तेमाल होता है लेदर या फर रुद्राक्ष रक्षित भारत में ऐसे उत्पादों, खासकर जूतों की मांग बढ़ी है, जिन्हें बनाने में जानवरों पर अत्याचार नहीं किये गये हों. बाजार में जो इस तरह के ब्रांड उपलब्ध भी हैं, वे ब्रांड आम ग्राहक की पहुंच से बहुत दूर हैं. उपभोक्ताओं […]

फुटवियर फैशन : डिजाइन में नहीं इस्तेमाल होता है लेदर या फर

रुद्राक्ष रक्षित

भारत में ऐसे उत्पादों, खासकर जूतों की मांग बढ़ी है, जिन्हें बनाने में जानवरों पर अत्याचार नहीं किये गये हों. बाजार में जो इस तरह के ब्रांड उपलब्ध भी हैं, वे ब्रांड आम ग्राहक की पहुंच से बहुत दूर हैं. उपभोक्ताओं के पास अभी भी ज्यादा विकल्प आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. अगर आप बिना चमड़े वाला जूता पहनने के शौकीन हैं, तो कैनाबिस आपको विकल्प उपलब्ध करायेगा. पढ़िए एक रिपोर्ट.

देविका श्रीमल बापना

यूं तो बाजार में चमड़े के जूते के विकल्प के रूप में कैनवास, रबर और प्लास्टिक के जूते बिकते हैं, मगर वे या तो ज्यादा कीमतवाले हैं या फिर उनकी डिजाइन आकर्षक नहीं है. भारत में चमड़े के लिए स्वस्थ युवा जानवरों को मारा जाता है. इसके बारे में जानने के बाद देविका श्रीमल बापना ने चमड़े के उत्पादों का उपयोग छोड़ दिया. देविका ने बिना चमड़ेवाले जूता-निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाने की सोची. इसी कोशिश में कैनाबिस का जन्म हुआ. देविका पेशे से चार्टर्ड एकाउंटैंट हैं. लंदन में एकाउंटिंग की बड़ी फर्म सेे कैरियर शुरू किया था. अच्छे-खासे ‌वेतन वाली नौकरी छोड़ कर जूता-निर्माण के क्षेत्र में अपना उद्यम शुरू करना साहस भरा फैसला था. फाइनांस से फैशन के क्षेत्र में आना काफी मुश्किल था, मगर देविका ने दृढ़ निश्चय कर

लिया था.

“मुझे जानवरों से बहुत प्यार है,” देविका श्रीमल बापना अपने ब्रांड केनाबिस को शुरू करने के बारे में अपने मुख्य उद्देश्य को बयां करते हुए कहती हैं. पशुओं के प्रति उनके प्रेम व पेटा स्वयंसेवी के रूप में काम करने से इन्हें और जागरूक और संवेदनशील जीवन जीने की प्रेरणा मिली. उन्होंने अपने जीवन जीने के तौर-तरीकों में बहुत बदलाव किये, पर जब बात जूतों पर आयी तो उनके पास कोई विकल्प नहीं था.

“मुझे चमड़े के जूतों का विकल्प नहीं मिला,” देविका कहतीं हैं. “मैं लंदन में रहती थी जहां सर्दियों में लेदर ही सर्वोत्तम विकल्प था, जब मैं भारत आयी तो देखा कि बाजार में कई बड़े ब्रांड थे जो चमड़े के जूते बनाते थे, मगर जब चमड़े के अलावा कोई उत्पाद लेने जाओ तो उसकी गुणवत्ता संतोषजनक भी नहीं थी इस तरह से बाजार में दोनों उत्पादों के बीच एक बड़ी खाई थी.” उन्होंने सोचा कि ना तो वो चमड़े के जूते पहनेगी और न ही निम्न गुणवत्ता के जूते पहन कर अपने पैरों को तकलीफ देंगी और फिर उन्होने अपने खुद के जूते बनाने की ठानी.

यह बदलाव देविका, जिन्हें डिजाइनिंग का कोई अनुभव नहीं था, के लिए आसान नहीं था. एक सीए के रूप में प्रशिक्षित, ‘अर्नेस्ट एंड यंग, डेलॉयट’ जैसी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों में काम का अनुभव रखने वाली देविका के लिए पेशे में यह 180 डिग्री का बदलाव आसान नहीं था. “यह मेरे लिए एक बिना तैयारी के छलांग लगाने जैसा था पर कैनाबिस जल्द ही अपने दो साल पूरे कर लेगा और इसे बाजार में मिल रही सफलता शानदार है,”

कैनाबिस महिलाओं के लिए लेदर के उपलब्ध विकल्पों जैसे जूट व केनवास के जूते बनाने में अपनी खासियत रखते हैं. जो बात इस ब्रांड को बाजार में उपलब्ध अन्य निर्माताओं से अलग करती है वह है, गुणवत्ता और डिजाइन पर दिया जाने वाला खास ध्यान जो कि इन मटिरीयल का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर निर्माताओं द्वारा अनदेखा किया जाता है.

“हम बाजार में चल रहे ताजा ट्रेंड्स का भी ध्यान रखते हैं, और हर दो महीने में कोई नया डिजाइन बाजार में उतारते हैं,” वे आगे जोड़ती हैं. खेल के बारे में सोचते ही आपके दिमाग में बस कैनवास के बने सफेद जूतों का ही ध्यान आता होगा, मगर कैनाबिस के पास इसके भी बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं. कैनाबिस में आपको हील वाली सैंडल, बिना हील के चप्पल और पशुप्रेमी बूट के भी विकल्प मिलेंगे जो आमतौर पर मिलने मुश्किल हैं.

देविका ने 22 डिजाइन के साथ शुरू किया था और आज देविका के ब्रांड में 60 डिजाइन हैं, जिसमें चमकदार रंग, प्रिंट्स व एम्ब्रॉयडरी के डिजाइन शामिल हैं. “हम एक छोटी टीम है और हमारा दृष्टिकोण व्यवहारिक व क्रियाशील है,” देविका कहती हैं. यह कुछ इस तरह है कि हो सकता है कि अगर आप कस्टमर केयर पर फोन लगायें तो इस ब्रांड के संस्थापक ही आपका फोन उठाए.

बाजार की दशा को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि देविका के लिए शुरुआती दौर में दिल्ली और आस-पास के इलाकों से अपने उत्पाद के लिए कच्चा माल जुटाना, अपनी डिजाइन को मूर्त रूप देना, पैकेजिंग, गुणवत्ता बनाये रखना, विपणन व बिक्री जैसे मुख्य कार्य कितने मुश्किल रहे होंगे.

देविका किसी भी तरह का लेदर या फर अपने डिजाइन में इस्तेमाल नहीं करतीं, और उत्साह से जानवरों के अधिकार के लिए लड़ती हैं. वे कहतीं है, “मेरा बचपन से सपना है कि मेरा एक पालतू जानवर हो, पर मेरे साथी यह नहीं चाहते, इसीलिए मैं खुले घूमने वाले बेसहारा कुत्तों के साथ खेल कर अपनी यह इच्छा पूरी कर लेती हूं, मैंने उन्हें नाम दिये हैं और वे मेरे साथ-साथ अब मेरी गाड़ी भी पहचानने लगे हैं.”

जब देविका किसी घायल जानवर को देखतीं है तो वे उसे एक एनजीओ ‘फ्रेंडिकोज’ ले जाती हैं, “हमने जब एक बार हमारे ब्रांड के लिए धन जुटाया था तो उसका एक हिस्सा ईस्ट कैलाश में गायों के शेल्टर बनाने के लिए दिया,” वे बात करते हुए बताती हैं. डिजाइनों में अपने नये शोध और जानवरों के प्रति सहानुभूति वाले दृष्टिकोण के चलते, आज देविका की पहुंच उन लोगों तक हो गयी है, जो कोई भी उत्पाद खरीदते समय यह ध्यान रखते हैं कि उसे बनाने में पर्यावरण को क्षति न पहुंची हो.

देविका के मन में सतत विकास की अवधारणा सदा बनी रहती है, “हमे अभी भी निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग करना पड़ता है, मैं प्लास्टिक के विकल्पों को आजमाना पसंद करूंगी और अपने जूतों को पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल बनाऊंगी” देविका बताती हैं. वे रिसाइकिलिंग की अवधारणा पर भी कार्य कर रही है, “हम पुराने जूतों को नयी डिजाइन में बदलना चाहते हैं. हम निर्माताओं से बात कर रहे है कि वे अपने खराब जूते हमें उपलब्ध कराएं, हम ग्राहकों को भी प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने पुराने जूते यहां लायें.” दो साल के भीतर ही केनाबिस आठ मल्टी ब्रांड स्टोर्स में विस्तृत हो चुका है, और ऑनलाइन भी उपलब्ध है. पूरे भारत में अपने उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए केनाबिस ब्रांड सोशल मीडिया, प्रदर्शनियों, व रिटेल बिक्री माध्यम का सहारा ले रहा है. देविका इस बात को साबित करने के अपने मिशन पर तेजी से आगे बढ़ रही हैं कि लेदर का जूता ही आपका सर्वोत्तम विकल्प नहीं है.

(साभार: द बेटरइंडिया कॉम)

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