नयी दिल्ली : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद अली दुर्रानी ने सोमवार को कहा कि 26 नवंबर, 2008 को हुआ मुंबई हमला सीमा पार आतंकवाद की एक ‘क्लासिक’ मिसाल है, जिसे पाकिस्तान के एक आतंकी समूह ने अंजाम दिया था. उन्होंने उम्मीद जतायी कि जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को सजा मिलेगी. हालांकि, दुर्रानी ने कहा कि इस हमले में पाकिस्तानी सरकार की कोई भूमिका नहीं थी, जिसमें 166 लोग मारे गये थे. दुर्रानी 19वें एशियाई सुरक्षा सम्मेलन में बोल रहे थे.
दुर्रानी ने सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से कहा कि मुझे निश्चित तौर पर यह बात पता है. मेरे पास पुख्ता जानकारी है कि पाकिस्तान सरकार या आइएसआइ 26/11 के हमलों में शामिल नहीं थे. उन्होंने इस बारे में ज्यादा ब्योरा नहीं दिया, लेकिन कहा कि मुंबई हमले के संबंध में उनके कुछ बयानों के लिए सरकार ने उन्हें हटा दिया. जमात-उद-दावा प्रमुख सईद की पाकिस्तान के लिए उपयोगिता के सवाल पर दुर्रानी ने कहा कि उसकी देश के लिए कोई उपयोगिता नहीं है और मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड को दंडित किया जाना चाहिए
पाकिस्तान की सेना में मेजर जनरल के तौर पर काम करनेवाले दुर्रानी को 2009 में इसलिए निकाल दिया गया था, क्योंकि उन्होंने इस बात का संकेत दिया था कि मुंबई हमले के बाद गिरफ्तार आतंकवादी अजमल कसाब पाकिस्तानी हो सकता है. भारत के रक्षा अध्ययन संस्थान ‘इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस’ द्वारा आयोजित सम्मेलन में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर मौजूद थे.