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VIDEO : शुक्रवार सिर्फ 45 मिनट विधानसभा की कार्यवाही, जनता के मुद्दे ‘जलील’ विवाद की भेंट चढ़े

पटना : सियासत में सदन का चलना सरोकार से सीधा संबंध रखता है. जब सदन बाधित हो तो लाखों और करोड़ों लोगों के सरोकार और जनहित के मुद्दे भी बाधित होते हैं. इन दिनों बिहार विधानमंडल के बजट सत्र में कुछ ऐसा ही चल रहा है. शुक्रवार को दिन भर में जब विधानसभा की कार्यवाही […]

पटना : सियासत में सदन का चलना सरोकार से सीधा संबंध रखता है. जब सदन बाधित हो तो लाखों और करोड़ों लोगों के सरोकार और जनहित के मुद्दे भी बाधित होते हैं. इन दिनों बिहार विधानमंडल के बजट सत्र में कुछ ऐसा ही चल रहा है. शुक्रवार को दिन भर में जब विधानसभा की कार्यवाही मात्र 45 मिनट चली और परिषद की मात्र 11 मिनट, तो सवाल उठने लगे कि आखिर जनता और जनहित के मुद्दे कैसे-कैसे मुद्दों के लिये गौण होते जा रहे हैं. वरिष्ठ शिक्षाविद और राजनीतिक चिंतक प्रो. नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि उत्पाद व मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने जो किया वह पूरी तरह निंदनीय है और दुखद भी, साथ में शर्मनाक भी. इस मुद्दे को लेकर बिहार विधानसभा का नहीं चलना भी लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है. जनता को सभी पार्टियों को जवाब देना चाहिए, कि क्या हम उन्हें इसलिए अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं. हम उन्हें इसलिए सदन में नहीं भेजते हैं. उन्हें भेजते हैं-जनहित के मुद्दे उठाने के लिये, जनता से जुड़े विधेयकों को पास करने के लिये, मुद्दों पर बहस करने के लिये. जनता के प्रति जिम्मेदार हैं जनप्रतिनिधि. सदन को ना चलने देना ठीक नहीं. ऐसे नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.


हंगामे की भेंट चढ़ा आज का दिन

जी हां, शुक्रवार को भी जनता के मुद्दे और सरकारी विधेयक, सरोकारी बहस हंगामे की भेंट चढ़ गयी. विपक्ष के नेताओं ने वेल में आकर जमकर हंगामा किया और जब उससे भी बात नहीं बनी तो सदन के पोर्टिको में धरने पर बैठ गये. सत्र शुरू होने के बाद सत्ता पक्ष भी हमलावर रहा. सत्तापक्ष की मांग थी कि विपक्ष पूर्वी चंपारण के चिरैया से भाजपा विधायक लाल बाबू गुप्ता पर कार्रवाई करे. सत्तापक्ष का कहना था कि लाल बाबू गुप्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ टिप्पणी की है. लालू बाबू गुप्ता ने बाहर में मीडिया को सफाई दी कि सदन की कार्यवाही की रिकार्डिंग निकालकर देख लें, मैंने कुछ नहीं बोला है. इसकी वजह से विधानसभा दिनभर में 45 मिनट और परिषद मात्र 10 मिनट के लिये चल पाया.

यह दुखद है : रजी अहमद

बिहार विधानमंडल में बने इस गतिरोध पर वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक रजी अहमद कहते हैं, अब किसी पार्टी के एजेंडे में जनता है ही नहीं, तो कार्यवाही कैसे चलेगी. अहमद ने प्रभात खबर डॉट कॉम को बताया कि किसी पार्टी के एजेंडे में जनता होती, तब न सदन चलता. यहां तो व्यक्तिगत टिप्पणी और आरोप-प्रत्यारोप को लेकर हंगामा जारी रहता है. उन्होंने कहा कि यह डेमोक्रेसी के लिये काफी खतरनाक है और बिहार के लिये भी. सत्र का इतना लंबा पीरियड है और इसमें जनहित के मुद्दे पर बहस होनी चाहिए थी. जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है. विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष अब्दुल जलील मस्तान की बरखास्तगी की मांग पर अड़ गया. वहीं सत्ता पक्ष एक नये आरोप के साथ हंगामा करने लगा. पहली पाली में मात्र 11 मिनटकार्यवाहीचली वहीं दूसरी पाली में मात्र 25 मिनट. इस दौरान सिर्फ विपक्ष के विरोध के बीच शिक्षा विभाग का बजट पेश किया गया. सदन नहीं चलने देने के लिये उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने विपक्ष को जिम्मेदार बताया.



विधान परिषद भी सोमवार तक के लिये स्थगित

कमोवेश यही हाल परिषद का भी रहा. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जहां भाजपा के विधान पार्षद अपनी जगहों पर खड़े होकर मंत्री की बरखास्तगी की मांग करने लगे, वहीं सत्ता पक्ष के विधान पार्षद संजय कुमार सिंह, नीरज कुमार समेत अन्य बेल में आ गये और विधायक लालबाबू गुप्ता के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. सात ही उन पर कार्रवाई की मांग करने लगे. इसकी वजह से पहली पाली में मात्र पांच मिनट सदन की कार्यवाही चल सकी. वहीं, दूसरी पाली में भी यही स्थिति नजर आयी, जिसके कारण भी पांच मिनट हंगामे के बीच हुई कार्यवाही के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी.

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