हैदराबाद : तेलंगाना सरकार ने कॉलेजों में दाखिले को लेकर ऐसी दलील दी है जिसकी चर्चा चारो ओर हो रही है. सरकार ने कहा है कि ‘केवल’ अविवाहित महिलाएं राज्य के समाज कल्याण आवासीय डिग्री कॉलेजों में शिक्षा पाने के योग्य हैं.
सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि शादीशुदा महिलाओं के कारण अन्य का पढ़ाई से ध्यान भटक जाता है. सरकार के इस नोटिफिकेशन के बाद इसका विरोध भी शुरू हो गया है. हैरत की बात यह है कि नियम केवल एक साल के लिए है और आवासीय कॉलेजों में 4000 महिलाएं पढ़ रही हैं, जो आगामी अकादमिक साल में दूसरे साल में प्रवेश करेंगी.
तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स सोसाइटी द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अकादमिक वर्ष 2017-18 में बीए/बीकॉम/बीएससी-फर्स्ट ईयर के लिए केवल महिलाएं (गैरशादीशुदा) आवेदन करने के योग्य हैं. इसे एक भूल के तौर पर न देखते हुए सोसाइटी के कंटेंट मैनेजर ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है कि उन्होंने यह कदम क्यों उठाया…
उनका कहना है कि वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आवासीय डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाली गैरशादीशुदा छात्राओं का ध्यान न भटके…. उन्होंने तर्क दिया कि क्योंकि यह हर तरह से मुमकिन है कि शादीशुदा महिलाओं के पति हफ्ते में एक या दो बार उनसे मिलने आयेंगे ही…
वहीं सोसाइटी के सेक्रेटरी ने अखबार से बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए आवासीय डिग्री कॉलेज बनाने का उद्देश्य यही था कि बाल विवाह की प्रथा को तोड़ा जा सके. लेकिन हम उन्हें एडमिशन लेने से नहीं रोक सकते…
सरकार के इस नोटिफिकेशन का विरोध सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया है और इसे वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि यह न सिर्फ दुखद कदम है, बल्कि नियम से शादी जैसे पवित्र बंधन का भी अपमान किया जा रहा है.