‘स्टूडेंट ऑफ द इयर’ से ‘ढिशूम’ तक अभिनेता वरुण धवन की हर फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब रही हैं. वरुण जल्द ही करन जौहर की फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हिनयां’ में छोटे शहर की युवा बद्री की भूमिका में दिखेंगे. फिल्म में भी वह सफलता की कहानी को दोहराने की ख्वाहिश रखते हैं.
वरुण को यह आंकड़े खुशी देते हैं उनका साफ कहना है कि फिल्में कमाई करेंगी तो ही प्रोड़क्शन हाउस के पास दूसरी फिल्म बनाने के लिए पैसे आएंगे ना. वरुण ने फिल्म के बारे में प्रभात खबर.कॉम से कई बातें साझा की. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
बद्रीनाथ के किरदार के लिए कितनी तैयारी करनी पड़ी थी.
बद्री का किरदार छोटे शहर झांसी से आता है. मैं मुंबई का लड़का हूं. काफी फर्क है इसलिए वक्त तो लगा तीन चार महीने का समय गया. भाषा और बॉडी लैग्वेंज को अलग दिखाने में. निर्देशक शशांक के साथ यही ऑफिस में अपोजिट बैठा करता था और रीडिंग पर रीडिंग करता रहता था. हर सिचुएशन को समझा फिर परफॉर्म भी किया. इसमे मेरी मदद निर्देशक शशांक ने की. वह झांसी और कोटा गए थे. वहां से वह कई लोगों के वीडियों भी लेकर आएं थे. मैं रोज उन वीडियोज को देखता था. बात करने के अंदाज से चलने फिरने सब पर ध्यान देता था. मैंने यह भी गौर किया और फिल्म में मैं वैसे ही बोलने की कोशिश भी कर रहा हूं. लुक की बात करूं तो फिल्म में मैंने विराट कोहली के स्टाइल में हेयरकट किया है.
आलिया के साथ आपकी केमिस्ट्री खास हो गयी है साथ में ज्यादा काम करने से क्या केमिस्ट्री खास बन जाती है.
हां, आलिया और मैंने साथ में बहुत काम किया है. हमने सिर्फ तीन फिल्में ही नहीं की है बल्कि साथ में विज्ञापन फिल्में भी की है. स्टेज शो भी किया है. इंटरव्यूज भी दिए है. लेकिन साथ काम करने से कुछ नहीं होता है दोस्ती भी होनी चाहिए. आलिया और मैं अच्छे दोस्त बन गए हैं. अगर हम अब साथ में पांच साल तक काम नहीं भी करें और छठवें साल में कोई फिल्म करेंगे तो भी हमारी केमिस्ट्री ऐसी ही होगी. वो होता है ना पुराने दोस्त से आप कितने भी साल बाद मिलो. तुरंत वो कनेक्शन बन जाता है.
रियल लाइफ में आप बद्री के किरदार से किस तरह से कनेक्ट करता हूं?
सच कहूं तो मैं बिल्कुल नहीं हूं. मैं जिंदगी में कभी किसी लड़की के पीछे इतना नहीं पड़ सकता हूं कि सबकुछ भूल जाऊं. हां इस फिल्म को करने के बाद औरतों के प्रति मेरा सम्मान और बढ़ गया है. जो उन पर गुजरती है. इस फिल्म से पहले मैंने कभी सोचा भी नहीं था. मैं सोचूंगा भी क्यों मैं तो लड़का हूं लेकिन इस फिल्म के दौरान मैंने महसूस किया कि मैं तो ऐसे सोच रहा था लेकिन इनके दिल पर ये गुजरती है. यह बहुत बड़ी बात होती है जब एक लड़की अपने माता पिता के घर छोड़कर दूसरे के घर जाती है. मॉम डैड सबको छोड़ना आसान नहीं है. शायद यही वजह है कि औरतें हम लड़कों से बहुत स्ट्रांग होती है.
अब तक की जर्नी कैसी रही और आप अपने कैरियर का टर्निग प्वाइंट किस फिल्म को कहेगें.
बहुत अच्छी रही है. बदलापुर थी लेकिन सिर्फ बदलापुर नहीं थी. पहली बार कॉमेडी की थी फिल्म ‘मैं तेरा हीरो’ से उससे पहले लोगों का कहना था कि कॉमेडी करेगा या नहीं. रोमांटिक लवरव्वॉय है. उसके बाद बद्रीनाथ की दुल्हनियां में रोमांटिक कॉमेडी की. वह भी एक टर्निग प्वाइंट हो गया. ढिशूम में पहली बार एक्शन किया था. वह भी उस हिसाब से एक टर्निग प्वाइंट थी. मेरा मानना है कि हर फिल्म में एक टर्निग प्वाइंट होना जरुरी है वरना लोगों को लगेगा कि यह तो एक ही जैसा है. लोग अभी भी बोलते हैं कि फिर कॉमेडी कर रहे हो यार लेकिन कॉमेडी में भी अलग एंगल करने की मेरी कोशिश होती है क्योंकि मैं इस बात को अच्छे से जानता हूं कि अगर अलग एंगल नहीं होगा तो फिल्म नहीं चलेगी.
नताशा और आपकी तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं लेकिन आप उस पर बात करने से क्यों कतराते हैं.
क्योंकि मैं करना नहीं चाहता हूं. मैं आपको सबकुछ बात दूं और मानता हूं कि आप सच-सच लिख भी दो लेकिन अभी वेबसाइट और ब्लॅाग इतने हो गए हैं कि वो आपकी बात को किस तरह तोड़ मरोड़ दिया जायेगा, यह आपको भी पता नहीं चलेगा. उसके बाद किसी के हाथ में रहता नहीं कि किसको पूछें. हर कोई इंटरनेट पर कुछ न कुछ डाल देता है. जिससे ठेस भी पहुंचती है. यही वजह है कि मैं बचकर रहता हूं.
आपको अगला सलमान खान कहा जा रहा है. इस तुलना को आप किस तरह से लेते हैं.
नहीं करना चाहिए. वो सलमान खान है. बहुत प्रेशर आ जाता है. वो जो करते हैं वो वहीं कर सकते हैं. मैं जो कर रहा हू. वो मैं ही कर सकता हू. मैं ऐसा मानकर चलते हो.