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आबादी पर मंडरा रहा बीमारियों का खतरा

दूषित जल Â 712 वार्डों में 306 वार्ड की आबादीवाले जलस्रोत हैं फ्लोराइड रसायन से दूषित, 57 स्कूलों के बच्चे दूषित पानी के जरिये पी रहे खतरनाक रसायन शेखपुरा : जिले के ग्रामीण एवं शहरी जलस्रोतों में फ्लोराइड समेत अन्य खतरनाक रसायन की मात्रा अत्यधिक होने से सभी 712 में से 306 वार्ड दूषित जल […]

दूषित जल Â 712 वार्डों में 306 वार्ड की आबादीवाले जलस्रोत हैं फ्लोराइड रसायन से दूषित, 57 स्कूलों के बच्चे दूषित पानी के जरिये पी रहे खतरनाक रसायन

शेखपुरा : जिले के ग्रामीण एवं शहरी जलस्रोतों में फ्लोराइड समेत अन्य खतरनाक रसायन की मात्रा अत्यधिक होने से सभी 712 में से 306 वार्ड दूषित जल से प्रभावित है. हालांकि इतनी बड़ी आबादी के जलस्रोतों में फ्लोराइड नामक खतरनाक रसायन के प्रभाव से आबादी को बचाने के लिए जिले के विभिन्न पांच प्रखंडों में लगभग 39 फ्लोराइड ट्रीटमेंट मिनी जलापूर्ति संचालित हैं. लेकिन इस व्यवस्था में लगभग एक दर्जन से अधिक ऐसे ट्रीटमेंट प्लांट हैं,
जो किसी- न- किसी कारण से बंद पड़े हैं. हालांकि बंद पड़े मिनी जलापूर्ति केंद्र की संख्या गत एक माह पूर्व तक काफी अधिक थी. लेकिन विभाग ने शिकंजा कसने के बाद इसकी देखरेख की जिम्मेवारी निभानेवाली कंपनियों ने कई जलापूर्ति प्लांटों की गड़बड़ियां दूर कर उसे चालू किया है.
क्या है स्थिति : गत दिनों विभाग के द्वारा जांच के दौरान जो मामले सामने आये उसमें फ्लोराइड के अलावे भी नाइट्रेट, बैक्टरिया एवं टीडीएस जैसे खतरनाक रसायनों का अधिक मात्रा में होने का मामला सामने आया है. जलस्रोतों के आंकड़ों पर अगर नजर डालें, तो फ्लोराइड की मात्रा सामान्यतः 1.5 होनी चाहिए लेकिन यह मात्रा 5 पीपीएम तक पाया गया. इस खतरनाक रसायन से अरियरी के 90 प्रतिशत से अधिक गांव की आबादी प्रभावित है.
जबकि अरियरी सीमा से सटा हुआ चेवाड़ा का 60 प्रतिशत आबादी भी इससे बुरी तरह प्रभावित है.
57 विद्यालयों के हजारों छात्र-छात्राएं पी रहे प्रदूषित पानी : जिले में कराये गये सर्वे के दौरान जो बड़ा मामला सामने आया उसमें लगभग 57 ऐसे विद्यालय हैं, जहां चापाकल अथवा अन्य पेयजल स्रोत में टीडीएस, फ्लोराइड, बैक्टीरिया और नाइट्रेट जैसे खतरनाक रसायन का प्रभाव होने का मामला सामने आया था. लेकिन अब तक उन विद्यालयों में ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये शुद्ध पानी पहुंचाया जाने का काम नहीं किया जा सका. नतीजतन विद्यालय के हजारों छात्र-छात्राएं आज भी पानी में घुले जहरीले पदार्थ को पीने के लिए विवश है. इन विद्यालयों के आंकड़ों पर अगर नजर डाले, तो जिले में 54 ऐसे विद्यालय हैं जहां के चापाकल के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. वहीं चार विद्यालयों में टीडीएस एक विद्यालय में नाइट्रेट एवं दो विद्यालयों में बैक्टरियाें का प्रभाव है. ऐसे में इन विद्यालयों के बच्चों की सेहत को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने से उनके सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
लोगों को मिल सकेगा दूषित जल से निजात : जिले में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा होने के कारण अरियरी का चोढदरगाह गांव सबसे अधिक प्रभावित है, जहां फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण विकलांगता का शिकार हो कर करीब सवा सौ लोग जीवन की चुनौती भरे लम्हों को काट रहे हैं. वहीं आधे दर्जन लोग अब तक फ्लोरोसिस नामक बीमारी से ग्रसित होकर अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में जिले के आंकड़ों पर अगर नजर डाले, तो पूर्व में लगभग 39 फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट मिनी जलापूर्ति लगाये गये जबकि हाल के दिनों में ऐसी 53 नयी योजनाओं को लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है.
खास बात यह भी है कि इसमें कई ऐसी योजनाएं भी हैं. जिन्हें पूरा कर जनहित में चालू कर दिया गया है.
क्या कहते है अधिकारी
गांवों में जलापूर्ति की व्यवस्था को लेकर विभाग गंभीर है. लगातार मॉनीटरिंग किया जा रहा है. फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट मिनी जलापूर्ति की नयी योजनाओं को भी युद्ध स्तर पर धरातल पर उतारने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है.
विजय कुमार, कार्यपालक अभियंता पीएचइडी, शेखपुरा

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