बीजिंग : चीन संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर में पहली बार लंबे समय तक समुद्र के नीचे निगरानी करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनायेगा. चीन का दक्षिण चीन सागर को लेकर मलेशिया, फिलीपीन और वियतनाम समेत कई दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से विवाद है. इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य वास्तविक समय में समुद्र के नीचे की परिस्थितियों का अवलोकन करना है.
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) में एक शिक्षाविद वांग पिनशियान ने कहा कि दक्षिण चीन और पूर्वी चीन सागर में दीर्घकालीन निगरानी प्लेटफार्म पर निर्माण कार्य शंघाई की टोंगजी यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ एकोस्टिक्स की मदद से किया जायेगा. चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स की खबर के मुताबिक, वांग ने गत शनिवार को शंघाई में वैज्ञानिक फोरम से कहा कि इस प्लेटफॉर्म का निर्माण करना यह दिखाता है कि चीन अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में सक्रिय तौर पर शामिल है. इंस्टीट्यूट ऑफ एकोस्टिक्स ने प्लेटफॉर्म के संवेदनशील होने के कारण इसके सटीक स्थान का खुलासा करने और इस पर हुए शोध के बारे में आगे जानकारी देने से इनकार कर दिया.
दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में समुद्री क्षेत्र को लेकर चीन के विवाद चल रहे हैं. वह तेल और प्राकृतिक गैस से संपन्न समुद्र के करीब पूरे इलाके पर अपना दावा जताता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा जताते हैं. चीन पूर्वी चीन सागर में द्वीपों पर जापान के दावे का भी विरोध करता है. ग्लोबल टाइम्स ने ‘साइंसनेट’ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह प्लेटफार्म समुद्र के नीचे की भौतिक, रासायनिक और भूविज्ञानी परिस्थितियों का अवलोकन करेगा और अन्य उद्देश्य के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जायेगा.