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मई में सात फेरा लेने वाले थे प्रमोद

विवेक कुमार सिंह सीवान : जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के बाॅर्डर पर आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जवान प्रमोद कुमार यादव मई में ही सात फेरे लेनेवाले था. वहीं, शादी होने के तीन माह पूर्व ही वह देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गये. गांव के लाल के शहीद […]

विवेक कुमार सिंह
सीवान : जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के बाॅर्डर पर आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जवान प्रमोद कुमार यादव मई में ही सात फेरे लेनेवाले था. वहीं, शादी होने के तीन माह पूर्व ही वह देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गये.
गांव के लाल के शहीद होने की खबर जैसे ही लोगों को मिली कि सैकड़ों की संख्या में लोग उनके घर पर जुट गये. इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी सूचना मिलते ही गांव में पहुंच गये. मालूम हो कि शहीद जवान प्रमोद 27 जनवरी को ही गांव पर छुट्टी में आये थे और सरस्वती पूजा गांव के ही दोस्तों के साथ धूमधाम के साथ मनाया और 13 फरवरी को ही यहां से पुंछ के लिए गये ही थे कि जाने के ही 13 दिनों के बाद शहीद होने की सूचना गांव पर मिली. पांच भाइयों व तीन-बहनों में प्रमोद सबसे छोटा था. उनके पिता मुखदेव यादव का स्वर्गवास हो गया था. इसी कारण सभी परिवार के सदस्य उसे काफी प्यार देते थे. परिवार के सदस्यों ने बताया कि बड़े भाई कैलाश यादव जम्मू -कश्मीर में ही सीआरपीएफ में अकाउंट विभाग में कार्यरत हैं, तो वहीं तीन नंबर भाई बलीराम यादव गंडक विभाग में कार्यरत है.
और भाई रामाजी यादव, संजय यादव गांव पर ही रहते है. इसमें चार नंबर भाई संजय यादव प्रशासनिक विभाग में जाने के लिए तैयारी करते हैं. वहीं तीन बहनों लीलावती देवी, शोभा देवी, दोणपति देवी की शादी हो चुकी है. बड़े भाई कैलाश ने बताया कि गुरुवार को प्रमोद से बात हुई थी, तो कहा था कि दिल्ली में मुलाकात होगी और हम भी यहां से जम्मू जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि उसके शहीद होने की सूचना आ गयी. साथ ही उन्होंने सीमा पर तनाव की बात भी कही थी. शहादत की सूचना पहले मां को नहीं बतायी गयी थी. जैसे ही यह बात गांव में फैली. लोग दरवाजे पर जुटने लगे. दरवाजे पर भीड़ जुटती देख कर मां ने जानकारी मांगी और जैसे ही उन्हें बेटे की शहादत के बारे में पता चला, वह फूट-फूट कर रोने लगीं. वह उस दिन को दोष दे रही थी, जब प्रमोद अंतिम बार घर से गया था.
शादी में घर आने की बात कह कर गये थे प्रमोद
जम्मू-कश्मीर में तैनात बीएसएफ का जवान प्रमोद कुमार यादव का शादी में घर आने का वादा अधूरा छोड़ रविवार को शहीद हो गया. उन्होंने शनिवार की रात अपनी मां से आखिरी बार बातचीत में घर आने का वादा किया था और मां को सेहत पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही थी. मां की तबीयत ठीक नहीं है. शनिवार की रात में आखिरी घर फोन किया था. इस दौरान अपनी शादी को लेकर चल रही तैयारी के बारे भी चर्चा की थी.
हुसैनगंज प्रखंड के हथौड़ा गांव में तय हुई थी शादी
परिवार के सदस्यों ने बताया कि शहीद जवान प्रमोद की शादी मई माह में ही हुसैनगंज प्रखंड के हथौड़ा गांव में अंबिका यादव की पुत्री के साथ होनेवाली थी. इसकी भी तैयारी शुरू कर दी गयी थी. शादी की तैयारी को लेकर ही बड़े भाई गांव पर आये थे. अभी शादी की तैयारी जहां अंतिम चरण में पूरी कर ही ली गयी थी कि इस घटना ने खुशी के माहौल को गम में बदल दिया है. परिवार के लोग अभी सटा करने में ही जुटे थे. 27 मई को तिलक व 31 मई को बरात की तिथि तय थी. वहीं इसकी जब सूचना लड़कीवाले को भी मिली, तो वहां भी खुशियां पल भर में काफूर हो गयी. वहां के लोगों को सूचना मिलने पर पहले तो विश्वास नहीं हुआ. परिवार के सदस्य बताते हैं कि जब शादी तय हुई थी, तो कुछ ही दिन बाद लड़की के पिता का भी देहांत मार्ग दुर्घटना में हो गया था.
सांसद सहित अन्य लोगों ने परिजनों से की मुलाकात
जिले के लाल को शहीद होने की सूचना मिलने पर सोमवार को सांसद ओम प्रकाश यादव, मुखिया इंद्रावती देवी सहित अन्य लोगों ने परिजनों से मिल कर ढाढ़स बंधाया. इस दौरान सांसद श्री यादव ने कहा कि सपूत ने देश के लिए अपनी जान काे न्योछावर करते हुए देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की धरती का नाम रोशन किया है. ऐसे वीर सपूतों के शहादत पर देश आज अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है. इस दौरान गांव के पूर्व मुखिया प्रभुनाथ यादव, जवाहर यादव, स्वामीनाथ राम, महेश यादव, हरेंद्र यादव, अविनाश कुमार, गोरख यादव, राजेंद्र यादव, रामाधार यादव, जवाहर यादव, दूधनाथ यादव ने भी पहुंच कर परिजनों को ढाढ़स बंधाया.

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