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सदर अस्पताल में न बैंडेज है न दवा

जहानाबाद नगर : मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करनेवाला स्वास्थ्य विभाग का हाल बदहाल है. जिले के सदर अस्पताल में न तो बैंडेज है और न ही पारासिटामॉल जैसी मामूली दवा जिससे मरीजों का इलाज किया जा सके. ऐसे में जिले के दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से आनेवाले मरीजों को कैसी […]

जहानाबाद नगर : मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करनेवाला स्वास्थ्य विभाग का हाल बदहाल है. जिले के सदर अस्पताल में न तो बैंडेज है और न ही पारासिटामॉल जैसी मामूली दवा जिससे मरीजों का इलाज किया जा सके. ऐसे में जिले के दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से आनेवाले मरीजों को कैसी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है यह सोचनीय है.
सदर अस्पताल के लिए प्रति वर्ष करोड़ों का बजट सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. मरीज को जब दवा ही नहीं मिलेगी, तो उनके मर्ज का इलाज कैसे होगा. सरकार द्वारा इंडोर तथा ऑउट डोर मे विभिन्न प्रकार की दवाओं मरीजों को देने की बात कही जाती है लेकिन हकीकत में जीवनरक्षक दवा तो दूर मामूली दवाएं भी उन्हें नहीं मिल पाता है
ऐसे में मरीज अपने मर्ज को ठीक कराने के लिए या तो बाहर से दवा खरीदते हैं या फिर सदर अस्पताल में खुले जेनरिक दवा काउंटर से दवा खरीद अपनी जान बचाते हैं. दवाओं की किल्लत कोई वर्तमान समय की समस्या नहीं है. बल्कि गत कई महीनों से यह समस्या जस- की- तस बनी हुई है. कभी एक -दो दवाओं की खरीद अस्पताल प्रशासन द्वारा अपने स्तर से की जाती है लेकिन वे दवाएं भी अगले चंद दिनों में ही समाप्त हो जाते हैं. वर्तमान में ऑउटडोर में मरीजों को मात्र 14 से 15 प्रकार की दवाएं ही मिल रही है.
जबकि इंडोर मरीजों को 40-42 दवाओं से ही संतोष करना पड़ रहा है. अस्पताल में ऑउट डोर में इलाज कराने आनेवाले मरीज या तो जेनरिक दवा खरीद अपने मर्ज का इलाज करा रहे हैं या फिर बिना दवा ही भगवान भरोसे उनका इलाज हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ इंडोर में भरती मरीज या इमरजेंसी मरीज के परिजन जब तक दवा लेकर नहीं आते, तब तक उनका इलाज आरंभ नहीं हो पाता है. चिकित्सक द्वारा सिर्फ सलाह ही दी जाती है. दवाओं की किल्लत से मरीज तो परेशान है कि अस्पताल में कार्यरत कर्मी तथा चिकित्सक भी कम परेशान नहीं हैं. उन्हें हर किसी मरीज को यह जवाब देना पड़ता है कि दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें बाहर से खरीद कर लाना पड़ेगा.
इसे लेकर कई बार कर्मियों तथा चिकित्सकों के साथ मरीज के परिजनों की तू-तू, मैं-मैं भी हो जाता है लेकिन हकीकत यही है कि अस्पताल में दवाओं की किल्लत से हर कोई जूझ रहा है. दवा के साथ ही बैंडेज जैसे मामूली सामान भी उपलब्ध नहीं रहने से इसका खामियाजा नर्सिंग स्टाफ को भुगतना पड़ रहा है. उन्हें हर दिन मरीजों के परिजनों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ रहा है.

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