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शिव के भक्तों में भारी उत्साह
निर्जला उपवास रखकर महिलाएं करेंगी पूजन बिहारशरीफ : महाशिवरात्रि को लेकर जिले में भगवान भोले शंकर के भक्तों व श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है. शुक्रवार को महाशिवरात्रि व्रत मनाने के लिए अधिकांश शिवमंदिरों में जबरदस्त तैयारियां की गयी है. जिले के सभी शिव मंदिरों को रंग रोगन कर आकर्षक लरियों से सजाया […]
निर्जला उपवास रखकर महिलाएं करेंगी पूजन
बिहारशरीफ : महाशिवरात्रि को लेकर जिले में भगवान भोले शंकर के भक्तों व श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है. शुक्रवार को महाशिवरात्रि व्रत मनाने के लिए अधिकांश शिवमंदिरों में जबरदस्त तैयारियां की गयी है. जिले के सभी शिव मंदिरों को रंग रोगन कर आकर्षक लरियों से सजाया गया है. शिव रात्री के दिन अनेक मंदिरों में शिवपूजन के साथ भजन कीर्तन भी आयोजित किये जायेंगे. शहर के प्रसिद्ध शिवमंदिर बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर, जंगलिया बाबा मंदिर, नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर,गढ़पर, कचहरी चौराहा, नई सराय, चौखंडीपर, शिवपुरी मोहल्ला सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी महाशिवरात्रि व्रत धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है. महाशिवरात्रि व्रत के संबंध में पंडित श्री कांत शर्मा ने बताया कि फाल्गून कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान भोले नाथ ने माता पार्वती को अंगीकार किया था.
कई धार्मिक ग्रंथों में प्रचालित कथा के अनुरूप माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थीं. उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भोले नाथ ने उन्हें अद्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था. इसी दिन शिव द्वारा माता पार्वती को वरण करने के कारण ही महाशिवरात्रि नाम पड़ा है. इस व्रत को धारण करने से मनुष्य समस्य पापों से मुक्त होकर सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है. हर हर महादेव तथा ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण तथा जाप मनुष्य को सभी बाधाओं से मुक्त कर देता है. इस दिन शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है. भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण तथा व्रत उपवास से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं.
महाशिवरात्रि का महत्व:
महाशिवरात्रि का व्रत मूल रूप से शिव और शक्ति के मिलन का व्रत है. भगवान शिव का दूसरा नाम देवों के देव महादेव भी हैं. वैसे तो भगवान महादेव की पूजा सालों भर होती है. विशेष रूप से सावन का महिना शिव उपासवान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. महाशिवरात्रि के पूजन का भी विशेष महतव है. इस मौके पर औघड़दानी शिव की पूरी तन्मयता तथा पवित्रता के साथ पूरी विधि विधान से पूजन करना चाहिए. इस दिन भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर आसानी से प्रसन्न होते हैं.
शिवपूजन की विधि:
भगवान शिव की अराधना पूरी भक्ति भाव के साथ करना फलदायी होता है. शिव भक्तों को इनकी उपासवान फल फूल, मिष्टान आदि के साथ करना चाहिए. पूजा में अक्षत, चंदन, रोड़ी, दही, घृत, गौ दुग्ध, शहद, शर्करा, गंगा जल, इत्र, केसर, बिल्वपत्र, धूप, दीप तथा भांग, धतुरे आदि का प्रयोग करना चाहिए. भगवान भोले नाथ को आक का पुष्प तथा धतुरे का पुष्प भी प्रिय है. श्रद्धालुओं को शिवलिंग के समक्ष अथवा भगवान भोले शंकर और माता पार्वती की फोटो के समक्ष पूजन सामग्रियां अर्पित करनी चाहिए.
स्वच्छता का रखें ध्यान:
शिव पूजन उपवास रखकर करना अधिक फलदायी होता है. भक्तों व श्रद्धालुओं को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरी श्रद्धा से शिवपूजन करनी चाहिए. महाशिवरात्रि को पूरी तरह से भगवान भोले शंकर के नाम कर देना चाहिए. पूजन-अर्चन बाद बीज मंत्र ऊं नम: शिवाय अथवा नम: शिवाय मंत्र का अधिक से अधिक बार जप करना उचित है. श्रद्धालु आरती पूजन के साथ भजन कीर्तन में भी शामिल हो सकते हैं.
शिव विवाह का आयोजन:
महाशिवरात्रि व्रत के मौके पर जिले के कई शिवालयों में भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह उत्सव की भी तैयारियां की गई है. शहर के लहेरी थाना स्थित शिव मंदिर गढ़ पर स्थित शिवालय सहित अस्थावां प्रखंड के ओंदा गांव तथा जाना गांवों मेंं शिव पार्वती विवाह का आयोजन जोर शोर से किया जा रहा है. जाना गांव में तो इस मौके पर हाथी घोड़े, पालकी तथा गाजे बाजे के साथ शिव बारात निकालने की जोरदार तैयारी की गई है.
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