नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए कड़ा फैसला लिया है. शीर्ष कोर्ट ने नदियों और तालाबों में दूषित कचरा प्रवाहित करने पर अंकुश लगाने के लिये आज व्यवस्था दी कि देशभर में औद्योगिक इकाइयों को नोटिस मिलने के तीन महीने के भीतर कचरा शोधन संयंत्र स्थापित करने होंगे और निर्धारित अवधि में ऐसा ना करने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद कर दिया जाएगा.
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक विज्ञापन के जरिए सभी औद्योगिक इकाइयों को समान नोटिस जारी करें जिससे कि उनके द्वारा कचरा शोधन संयंत्र लगाया जाना सुनिश्चित हो सके जो औद्योगिक गतिविधियां चलाने के लिए कानून के तहत आवश्यक है.
पीठ ने कहा, ‘‘तीन महीने की नोटिस अवधि खत्म होने पर संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को यह पता लगाने के लिए औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करना होगा कि उन्होंने कचरा शोधन संयंत्र स्थापित किए हैं या नहीं.” न्यायालय ने कहा कि यदि औद्योगिक इकाइयों में कचरा शोधन संयंत्र काम करते नहीं मिलें तो उन्हें और संचालन की अनुमति नहीं दी जायेगी. न्यायालय ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया कि वे ऐसी औद्योगिक इकाइयों की बिजली आपूर्ति बंद करने के लिये संबंधित विद्युत आपूर्ति बोर्डों से कहें.
शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी इकाइयां कचरा शोधन संयंत्र स्थापित होने के बाद ही फिर से काम शुरू सकती हैं. मुद्दे पर जनहित याचिका को निपटाते हुए शीर्ष अदालत ने स्थानीय प्रशासन और नगर निगमों से कहा कि वे भूमि अधिग्रहण करने और दूसरी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद तीन साल के भीतर साझा कचरा शोधन संयंत्र स्थापित करें. न्यायालय ने कहा कि यदि स्थानीय प्रशासन को साझा कचरा शोधन संयंत्र स्थापित करने और इसे चलाने में वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा हो तो वे इसका उपायोग करने वालों पर उपकर लगाने के मानदंड तैयार कर सकते हैं.
न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों को साझा कचरा संयंत्र स्थापित करने के बारे में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय हरित अधिकरण की संबधित पीठ में दाखिल करना होगी. इससे पहले, न्यायालय ने भूजल सहित तमाम जल स्रोतों में प्रदूषण को लेकर गैर सरकारी संगठन पर्यावरण सुरक्षा समिति की जनहित याचिका पर केंद्र, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गुजरात सहित 19 राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किये थे.