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न्यायालय ने गूगल से पूछा, क्या अश्लील वीडियो अपलोड करने से रोके जा सकते हैं?

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज इंटरनेट सेवा प्रदाता गूगल से जानना चाहा कि क्या वह यौन हिंसा जैसी अश्लील सामग्री वाले वीडियो वेबसाइट पर अपलोड करने से रोक सकता है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने वेबसाइट पर इस तरह की अश्लील सामग्री की पहचान करने की […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज इंटरनेट सेवा प्रदाता गूगल से जानना चाहा कि क्या वह यौन हिंसा जैसी अश्लील सामग्री वाले वीडियो वेबसाइट पर अपलोड करने से रोक सकता है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने वेबसाइट पर इस तरह की अश्लील सामग्री की पहचान करने की ‘आंतरिक व्यवस्था’ के बारे में गूगल से जानना चाहा और यह भी पूछा कि इसे रोकने के लिये वे क्या कर सकते हैं.

पीठ ने गूगल इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से जानना चाहा, ‘‘क्या आप इसे रोक नहीं सकते हैं? हम आपसे सिर्फ यही पूछ रहे हैं कि क्या आप इसे नहीं रोक सकते हैं?” सिंघवी ने कहा कि इन मामलों पर कंपनी बिना शर्त सहयोग करना चाहती है और उन्हें वेबसाइट पर पोस्ट की गयी ऐसी किसी भी सामग्री के बारे में सूचित किया जाना चाहिए ताकि वे कार्रवाई कर सकें.

उन्होंने कहा कि ऐसी सामग्री के बारे में उनके पास सरकार या किसी प्राधिकारण से सूचना आनी चाहिए जो छानबीन की तरह हो सकता है. इसके अलावा, एक विस्तृत आंतरिक प्रक्रिया अपनायी जा सकती है और वे इस बारे में सूचना मिलने के 36 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को हटा सकेंगे या वापस ले सकेंगे.
हालांकि, पीठ ने सवाल किया, ‘‘उदाहरण के लिये मान लीजिये किसी ने ऐसी सामग्री के बारे में सूचित नहीं किया, क्या आप खुद ही इस पर कार्रवाई करते हैं? हम जानना चाहते हैं कि क्या आपके लिये ऐसा करना संभव है या नहीं?” इसके जवाब में सिंघवी ने कहा, ‘‘नहीं.
वास्तव में हमारे लिये ऐसा करना संभव नहीं है. यह ऐसा कुछ नहीं है जिसका हम खुद पता लगा सकें. यदि इसकी सूचना मिलती है तभी हम कर सकते हैं. इसका पता लगाने के लिये हमारे उपर ऐसी कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं है.” इस मामले में न्याय मित्र वकील अपर्णा भट ने कहा कि जब यह मसला सामने आया था तब आठ-नौ ऐसे अश्लील वीडियो थे जिनकी सीबीआई ने जांच की थी परंतु अब इस तरह की अनेक सामग्री सामने आयी है और एजेन्सी को इन पर भी गौर करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हमने अभी तक किसी भी जांच पर रोक नहीं लगायी है. जांच पर कोई रोक नहीं है.” भट का तर्क था कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जिससे यह सुनिश्चित किया जाये कि इस तरह का कोई वीडियो या सामग्री इंटरनेट पर अपलोड नहीं किया जाये.
उन्होंने हाल ही में केरल में एक अभिनेत्री के साथ हुयी घटना का जिक्र किया जिसमें कार के भीतर ही उसके साथ कथित रुप से छेड़छाड़ और अभद्रता की गयी और इसे कहते हैं कि मोबाइल फोन में रिकार्ड भी किया गया.

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