पटना : निगरानी डीजी रविन्द्र कुमार ने कहा कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले पुलिस महकमा में ही हैं. पिछले साल जितने भी ट्रैप हुए, उसमें 25 फीसदी संख्या पुलिसकर्मियों की है. जबकि राज्य में 41 विभाग मौजूद हैं. फिर भी अन्य विभागों से उतने सरकारी कर्मी ट्रैप में नहीं पकड़े गये, जितने पुलिस वाले पकड़े गये हैं. बुधवार को डीजी बामेती सभागार में आयोजित पुलिस वीक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए गंभीरतापूर्वक सोचना होगा. इसके मामले निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं. जिलों में यह पूरी तरह से एसपी की जिम्मेवारी बनती है कि वे अपने अधीन पुलिसकर्मियों को कैसे नियंत्रित रखते हैं. जिलों में बेहतर पुलिसिंग के लिए बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था करने की जिम्मेवारी एसपी की होती है.
पुलिस को प्रवृति में बदलाव लाने की जरूरत
उन्होंनेकहा कि अगर किसी थाने में बिना किसी ठोस वजह के स्टेशन डायरी छह घंटे से ज्यादा समय से लंबित है, तो संबंधित पुलिसकर्मी पर तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. बिना स्टेशन डायरी लिखे किसी को हाजत में बंद करके नहीं रखा जा सकता है. थाना स्तर पर इस तरह की पाबंदी बेहद जरूरी है. इस तरह की छूट देने से ही भ्रष्टाचार बढ़ता है. उन्होंने कहा कि पुलिस वालों को अपनी प्रवृति में बदलाव लाने की जरूरत है. क्षेत्रीय स्तर पर पब्लिक से निरंतर फीडबैक लेते रहना चाहिए. पिछले कुछ सालों के दौरान साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन पर काफी ध्यान दिया गया था, लेकिन इधर कुछ सालों से इस पर कोई खास फोकस नहीं है. इधर, कई मामलों के अनुसंधान में देखा गया है कि शॉर्टकट से रिजल्ट प्राप्त करने की होड़ लगी है. परंतु कुछ मामलों को छोड़कर अन्य किसी मामले में यह बहुत कारगर नहीं है.
कार्यप्रणाली बदलने की जरूरत
डीजी ने कहा कि पुलिसकर्मियों को अपनी कार्यप्रणाली बदलने की सख्त जरूरत है. अपराध नियंत्रण और अनुसंधान के लिए किसी तरह के शॉर्टकट को अपनाना बिल्कुल ठीक नहीं है. किसी-किसी मामले में ही शॉर्ट कट को अपनाना ठीक होता है. बेहतर पुलिसिंग के लिए पारंपरिक पुलिसिंग के तौर-तरीके को अपनाने और कार्य प्रणाली को बदलने की जरूरत है. इसके लिए पुलिस को अपनी कार्य प्रणाली में बदलाव करने की जरूरत है.