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झारखंड की पहचान यहां की भाषाओं से है

आयोजन. मातृभाषा दिवस पर खोरठाभाषियों ने निकाली रैली, बोले मथुरा प्रसाद महत अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गाजे-बाजे के साथ रैली निकाली गयी. खोरठा-कुड़माली अधिकार मंच की अगुआई में पहली बार शहर में भाषा को लेकर रैली निकाली गयी. इस दौरान खोरठा गीत गाये गये, छऊ व नटुआ नृत्य किया गया. झूमर नृत्य भी किये गये. […]

आयोजन. मातृभाषा दिवस पर खोरठाभाषियों ने निकाली रैली, बोले मथुरा प्रसाद महत

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गाजे-बाजे के साथ रैली निकाली गयी. खोरठा-कुड़माली अधिकार मंच की अगुआई में पहली बार शहर में भाषा को लेकर रैली निकाली गयी. इस दौरान खोरठा गीत गाये गये, छऊ व नटुआ नृत्य किया गया. झूमर नृत्य भी किये गये.
धनबाद : झारखंड की पहचान यहां की भाषाओं से ही है, जिसमें 1.5 करोड़ से अधिक खोरठा भाषी हैं. कुड़माली की संख्या भी बहुत अधिक है. झारखंड के सर्वाधिक अठारह जिलों की भाषा खोरठा का जो स्थान मिलना चाहिए था, उसे नहीं मिला है. यह बातें सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर रणधीर वर्मा चौक पर आयोजित सभा में मंच के संरक्षक पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो ने कही. कहा कि झारखंड के विकास की दिशा-दशा में खोरठा सहित अन्य झारखंडी भाषाओं एवं यहां की संस्कृति की प्रमुख भूमिका रही है.
मंच के प्रबंध सचिव डॉ एमएन गोस्वामी सुधाकर ने कहा कि विकास की राह में हम निरंतर आगे बढ़ सकें, इसके लिए यहां की भाषा संस्कृति की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. सचिव विनय तिवारी ने कहा कि सरकार खोरठा कलाकारों की उपेक्षा कर रही है. सभा को मंच के अध्यक्ष अभिनेता अमन राठौर, प्रो दिनेश दिनमणि, खोरठा पत्रिका के संपादक अर्जुन पानुरी, विक्की कुमार, सुजीत कुमार, माना पाठक आदि ने संबोधित किया. इसके पूर्व रैली धनबाद परिसदन से गाजे-बाजे के साथ रैली निकाली गयी.
धनबाद : झारखंड बांग्लाभाषा उन्नयन समिति ने सोमवार को रैली निकाली. रणधीर वर्मा चौक पर रैली सभा में तबदील हो गयी. वक्ताओं ने कहा कि विश्व के इतिहास में बांग्ला एक ऐसी भाषा है, जिसकी रक्षा के लिए बांग्ला भाषियों ने अपने प्राणों की आहुति दी. लेकिन आज यहां की सरकार बांग्ला भाषा की उपेक्षा कर रही है. अगर बांग्ला को राज्य में उचित सम्मान नहीं दिया गया तो बांग्लाभाषी आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे. झारखंड में करीब एक करोड़ जनता बांग्लाभाषी हैं.
एक न एक दिन बांग्ला भाषा के सम्मान के लिए एक और पूर्वी पाकिस्तान जैसा आंदोलन होगा. सभा को रेखा मंडल, बेंगू ठाकुर, सोनू रजक, बादल सरकार, पप्पू सुत्रधर, रोहिनी बेदिया, बासंती बेदिया, आरएन राय, कल्याण घोषाल, माधुरी बेदिया, रवि बेदिया, मीरा बेदिया, रंजीत सिंह परमार आदि ने संबोधित किया.
खोरठा को आठवीं अनुसूची में शामिल करें
बीबीएम कोयलांचल विश्वविद्यालय में प्रारंभ से ही खोरठा, कुड़माली एवं संताली भाषा विभाग स्थापित हो
बीएड में खोरठा की सीट निर्धारित हो
झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग स्थापित हो
आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में समाचार वाचन तथा अन्य कार्यक्रमों में खोरठा की समुचित भागीदारी हो
झारखंड जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा अकादमी का गठन हो

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