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चचरी के सहारे लोगों की जिंदगी

परेशानी. 30 साल में नहीं बन सकी पुलिया मधुबनी : लोगों को शायद ही विश्वास हो, पर यह हकीकत है कि मुख्यालय के एक वार्ड के लोगों की आवाजाही का जरिया चचरी है. हर साल लाखों रुपये का विकास काम हो रहा है, विभिन्न योजनाओं से सड़क, नाला व अन्य काम हो रहा है. मानों […]

परेशानी. 30 साल में नहीं बन सकी पुलिया

मधुबनी : लोगों को शायद ही विश्वास हो, पर यह हकीकत है कि मुख्यालय के एक वार्ड के लोगों की आवाजाही का जरिया चचरी है. हर साल लाखों रुपये का विकास काम हो रहा है, विभिन्न योजनाओं से सड़क, नाला व अन्य काम हो रहा है. मानों वार्ड 14 के लोगों के लिए इन योजनाओं का कोई मायने ही नहीं है. समस्याओं के निदान की भी कोई उम्मीद अभी नहीं दिख रही.
वार्ड पार्षद का कहना है कि उनकी बात को नप प्रशासन सुनता ही नहीं. यह हाल शहर के वार्ड 14 का है. इस वार्ड से होकर ही किंग्स कैनाल गुजर रहा है. जिसे पार करने के बाद ही लोग अपने घरों को जा सकते हैं. बीते 30 साल में महज 15 से 20 फुट लंबी पुलिया नहीं बन सकी.
एक – एक कर पार करते हैं लोग
चचरी का निर्माण स्थानीय लोगों ने अपने दम पर किया है. इसकी चौड़ाई इतनी कम है कि इस पर एक बार में एक लोग ही आ जा सकते हैं. यदि एक व्यक्ति इस चचरी पर चढ़ जाता है, तो दूसरी ओर के लोग तब तक खड़े रहते हैं जब तक पहला व्यक्ति चचरी को पार कर नाला के उस पर न चला जाये. इसके अलावे साल दो साल में पानी के कारण चचरी टूट जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार ऐसा हुआ है कि चचरी को पार करते समय यात्री बीच नाले में ही गिर जाते हैं. यह ऐसी समस्या है जो अन्य किसी भी वार्ड में नहीं है.
नीचे झूल रहा बिजली का तार. दूसरी प्रमुख समस्या है बिजली के तार का नीचे होना. इस वार्ड के लोग सुविधा के बीच परेशान हैं. ट्रांसफारमर से निकले तार इस कदर नीचे लटके हुए हैं कि लोग हाथ से उसे छू लें. हादसे की आशंका बनी रहती है. बिजली विभाग के पास लोगों ने कई बार आवेदन दिया पर नतीजा कुछ नहीं निकला. हालांकि इस वार्ड में कई ऐसे काम हुए हैं जो अन्य वार्डों में नहीं हैं. सामुदायिक शौचालय, वेपर लाइट, पेयजल की सुविधा इस वार्ड के सार्थक पहलू हैं. चार साल के कार्यकाल में करीब दस लाख की योजना का काम हुआ है.
नीचे लटके तार से खतरे की आशंका : एक तरफ नाले में बच्चों के गिरने का डर रहता है, तो दूसरी ओर बिजली के नीचे लटके तार से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी भी इनके कंधे पर होती है.
हाल वार्ड चौदह का
छह हजार की आबादीवाला है वार्ड
वार्ड 14 एक घनी आबादीवाले वार्ड के रूप में जाना जाता है. यहां छह हजार की आबादी निवास करती है. इसी वार्ड में महाराजगंज मुहल्ला भी है. जहां के लोगों की जिंदगी आज भी बाढ़ प्रभावित सुदूर देहात के लोगों की तरह बीत रही है. लोगों के आने जाने का रास्ता एक चचरी है जो इस कदर जर्जर है कि कब कौन नाले में गिर जाये, कहा नहीं जा सकता है. कई बार कई लोग इसमें गिरे भी हैं. नप प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं है. वार्ड की शीला देवी बताती हैं कि इस वार्ड के लोगों को बिजली के लटके हुए तार और चचरी पुल से निजात मिल जाये, तो जीवन सुधर जायेगा. अन्य परेशानी तो लोग झेल भी लेते हैं, पर ये दोनों तो जीवन को ही खतरे में डाल दिये हैं. कमला देवी बताती हैं कि इस वार्ड में अब सड़क की समस्या नहीं है.
पर नाला नहीं होने से लोगों को बारिश के मौसम में काफी परेशानी होती है. जल जमाव से जीना दूभर हो जाता है. निर्मला देवी बताती हैं कि कई बार तो वार्ड के कई आदमी नाले में चचरी को पार करते समय गिर गये हैं. आने जाने में हमेशा डर बना रहता है. कई बार लोगों ने समस्या से नप प्रशासन को अवगत कराया पर समस्या के निदान की कोई पहल नहीं की गयी. वार्ड के पुरुष जब काम पर चले जाते हैं, तो महिलाओं को अपने बच्चों की जिंदगी को बचाना सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है.
नाले पर चचरी की समस्या से हर कोई अवगत है. उनकी कोई नहीं सुनता. नाले पर पुलिया निर्माण के लिए नप की बैठक में प्रस्ताव दिया. इसे बनाने में नप कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. फिर नप प्रशासन से पुलिया के निर्माण को लिखा जायेगा.
सुनीता देवी, वार्ड पार्षद

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