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बिहार में मिरगी की सर्जरी नहीं दिल्ली एम्स में दो साल की वेटिंग

हेल्थ. इकॉन-2017 के आयोजन का हुआ समापन ऑपरेशन वाले मरीज मुंबई या फिर साउथ में जाकर कराते हैं इलाज पटना : बिहार में मिरगी बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद यहां पर अभी तक सर्जरी की सुविधा शुरू नहीं हो पायी है. ऐसे में मरीज मुंबई, दिल्ली, […]

हेल्थ. इकॉन-2017 के आयोजन का हुआ समापन

ऑपरेशन वाले मरीज मुंबई या फिर साउथ में जाकर कराते हैं इलाज
पटना : बिहार में मिरगी बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद यहां पर अभी तक सर्जरी की सुविधा शुरू नहीं हो पायी है. ऐसे में मरीज मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता आदि शहरों में जाने को मजबूर हो जाते हैं. दिल्ली एम्स में मिरगी का इलाज कराने के लिए आने वाले कुल मरीजों में पांच फीसदी बिहार के ही होते हैं. अगर यहां भी सर्जरी की सुविधा रहती तो मरीजों को काफी राहत मिलती. यह कहना है चेन्नई से आयी डॉ लक्ष्मी नरसिंमहन का. इंडियन एप्लेप्सी एसोसिएशन की ओर से इकॉन-2017 के आयोजन का समापन किया गया. गांधी मैदान स्थित एक होटल में आयोजित तीन दिवसीय इस सेमिनार के समापन के दौरान डॉक्टरों ने प्रदेश में मिरगी मरीजों की बढ़ती संख्या व यहां ऑपरेशन नहीं होने पर चिंता जतायी.
मुंबई से आये डॉ निर्मल सूर्या ने कहा कि दिल्ली एम्स में मिरगी के ऑपरेशन कराने की उम्मीद रखने वाले मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. क्योंकि वर्तमान समय में भी वहां दो साल तक के लिए वेटिंग चल रही है. यानी किसी मरीज को आज ऑपरेशन कराने की जरूरत पड़ती है तो दिल्ली एम्स में दो साल बाद ऑपरेशन की तारीख मिलेगी. जबकि बिहार से भी वहां काफी संख्या में मिरगी के मरीज पहुंचे हैं, जिनको डॉक्टर ऑपरेशन करने की सलाह देते हैं. वहां ज्यादातर गंभीर स्थिति में मरीज पहुंचे हैं. डॉ निर्मल ने कहा कि अगर बिहार में सर्जरी की सुविधा शुरू हो जाती तो यहां के मरीजों को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ती. वहीं ऑपरेशन वाले मरीज या तो मुंबई जाते हैं या फिर साउथ के शहरों में जाकर ऑपरेशन कराते हैं.
नाटक से किया जागरूक : सेमिनार के समापन अवसर पर मिरगी के 15 मरीजों ने नाटक का मंचन किया. यह नाटक मुंबई के डॉ. केएस मणी की याद में प्रस्तुत किया गया. इस बीच भगवान गणेश की मूर्ति मंच पर रखी गयी थी. नाटक की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने के बाद शुरू की गयी.
छोटा चीरा लगा कर ब्रेन की होती है सर्जरी
कोच्चि से आये डॉ विनयन केपी ने कहा कि इन दिनों मिरगी की पहचान वीडियो इजी के माध्यम से किया जाता है. कंप्यूटर पर वीडियो चलता रहता है और ब्रेन में आ रहे झटके के प्वाइंट को पकड़ डॉक्टर उस जगह की सर्जरी करते हैं. उन्होंने कहा कि ब्रेन में विकृति आने का पता लगाने में न्यूरो फिजिसियन का महत्वपूर्ण रोल होता है. उसी हिस्से पर छोटा चीरा लगाकर ऐसे मरीज के ब्रेन की विकृति को हटा दिया जाता है. इसके बाद मरीज को पूर्ण रूप से मिरगी की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है. इससे झटके आना भी बंद हो जाता है.

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