देवघर : आधुनिकता के इस दौर में सभ्यता की पहचान मिट रही है. लोग आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं. संपन्न लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी में तो लाखों खर्च करते हैं, लेकिन रुपये के अभाव में लाचार बेटियों की शादियों की ओर उनका ध्यान नहीं जाता. लेकिन इस बात को देवघर के ही कुछ संवेदनशील लोगों ने तोड़ कर मिशाल कायम की है. पिता के साये से वंचित पिंकी की शादी इसका उदाहरण है.
पिंकी की मेहंदी रचाने की विधि पूरी कर ली गयी हैं. 15 फरवरी को शहर के भुरभूरा मोड़ स्थित रामबाग आश्रम में उसकी शहनाई बजेगी. पिंकी की कुमार पप्पु के साथ शादी होगी. सादे समारोह में दोनों एक दूजे के हाेंगे व दांपत्य जीवन की डोर थामेंगे. युवा कांग्रेस नेता आशीष चरण द्वारी, डा अनूप कुमार, पप्पू परिहस्त, प्रकाश झा, सुजीत, विजय भगत, केदार दास आदि ने इसकी पहल की है. कुमार पप्पू दरभंगा जिले के कमरोली गांव के हैं जबकि कन्या पक्ष कुमारी पिंकी देवघर जिले के मधुपुर भेड़वा मुहल्ले की है.
कन्या के पिता वीरेंद्र प्रसाद विश्वकर्मा के निधन के बाद उनके परिवार वालों के लिए पिंकी की शादी का खर्च उठाना कठिन था. लेकिन सामाजिक सहयोग से अब हंसी-खुशी उसका घर बसेगा. इस पहल में देवघर के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सहयोग किया है. गोपालगंज निवासी द्वारिका प्रसाद कन्यादान की रश्म पूरी करेंगे. भले ही पिंकी केे पिता आज इहलोक में नहीं हैं, लेकिन यह कमी पिंकी को अब नहीं खलेगी.