13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मगही बोली की दुर्दशा

पूर्वी भारत में प्रमुखता से बोली जाने वाली मगही का स्थान भोजपुरी एवं मैथिली के बाद तीसरा आता है. इसे बिहार एवं झारखंड के अलावे पश्चिम बंगाल, ओड़िसा एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी बोला जाता है, लगभग 20 करोड़ जनसंख्या द्वारा. तीनों भाषा की एक प्राचीन लिपि कैथी है, जिसे भूमि दस्तावेजों में […]

पूर्वी भारत में प्रमुखता से बोली जाने वाली मगही का स्थान भोजपुरी एवं मैथिली के बाद तीसरा आता है. इसे बिहार एवं झारखंड के अलावे पश्चिम बंगाल, ओड़िसा एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी बोला जाता है, लगभग 20 करोड़ जनसंख्या द्वारा. तीनों भाषा की एक प्राचीन लिपि कैथी है, जिसे भूमि दस्तावेजों में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता था. बिहार की दो प्रमुख बोलियों भोजपुरी और मैथिली का विकास लगभग हो रहा है, जबकि मगही लिपिबद्ध नहीं होने के कारण पिछड़ रही है.
मगही की दुर्दशा यह है कि बोलियों में प्रयोग तो बड़ी जनसंख्या द्वारा की जाती है, किंतु मगही में साहित्य रचना बहुत ही कम है. मगहीप्रेमियों की कोई कमी नहीं है. समाचार पत्र में मगही को स्थान दिया जाना चाहिए. यह स्थान स्थानीय पन्ना में भी हो सकता है, जिसके माध्यम से अन्य भाषाओं की जननी मगही का रस मगही के पाठकों को मिल पाये.
डॉ. राजेश कुमार महतो, आसनसोल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें