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प्रिंटिंग प्रेस से ट्रेजरी तक कैसे पहुंचते हैं प्रश्नपत्र

छानबीन. एसआइटी की टीम ने बीएसएससी अध्यक्ष सुधीर कुमार से एक घंटा तक की गहन पूछताछ पटना : एसआइटी की टीम ने शुक्रवार को बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार से एक घंटा तक पूछताछ की. एसआइटी के सदस्य एएसपी अभियान राकेश दुबे, दानापुर के डीएसपी राजेश कुमार और डीएसपी लॉ एंड आर्डर डॉ मो शिब्ली […]

छानबीन. एसआइटी की टीम ने बीएसएससी अध्यक्ष सुधीर कुमार से एक घंटा तक की गहन पूछताछ
पटना : एसआइटी की टीम ने शुक्रवार को बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार से एक घंटा तक पूछताछ की. एसआइटी के सदस्य एएसपी अभियान राकेश दुबे, दानापुर के डीएसपी राजेश कुमार और डीएसपी लॉ एंड आर्डर डॉ मो शिब्ली नोमानी दिन में लगभग दो बजे आइएएस भवन में पहुंचे, जहां सुधीर कुमार बीसीइसीइ के कार्यालय में अपना काम निबटा रहे थे. इस दौरान कार्यालय को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया. सभी पुलिस अधिकारियों ने उनसे बारी-बारी से पूछताछ की और उनसे प्रश्नपत्र छपवाने से लेकर सेंटर तक उसे पहुंचाने की प्रक्रिया की जानकारी मांगी. सूत्रों का यह भी कहना था कि उस बयान के संबंध में भी वे पूछताछ करने पहुंचे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि कई नेताओं की पैरवी उनके पास पहुंचती रही है.
एसआइटी के सदस्य एएसपी राकेश दुबे ने बताया कि कई महत्वपूर्ण मसलों पर हमलोग बातचीत करने के लिए पहुंचे थे. हमने क्या-क्या सवाल पूछे और क्या जवाब मिले, अभी इसका खुलासा नहीं किया जा सकता. अभी इस मसले पर अध्यक्ष की संलिप्तता पर कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी. हम जांच में लगे हैं, जो भी खुलासा होगा वह आपके सामने होगा. अध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि हम चाहते हैं कि एसआइटी सही गुनहगार को ढूंढ़ निकाले. क्या सवाल पूछा गया? इसकी जानकारी हम नहीं दे सकते. जांच में पूरा सपोर्ट किया जा रहा है.
एसआइटी ने क्या-क्या किये अध्यक्ष से सवाल प्रश्नपत्र छपने की क्या प्रक्रिया होती है.
प्रश्नपत्र के लिए निजी एजेंसियों (प्रिंटिंग प्रेस) के चयन के लिए जो टेंडर निकाला जाता है, उसमें किसी एक एजेंसी का चयन का आधार क्या होता है?
इस बार किस एजेंसी को प्रश्नपत्र छपाई का टेंडर मिला था?
प्रश्नपत्र के तैयार करने की क्या प्रक्रिया है? प्रश्नपत्र में क्या-क्या सवाल होते है, इस बात की जानकारी कितने लोगों को होती है?
अंतिम रूप से तैयार प्रश्नपत्र को किस तरह छपने के लिए भेजा जाता है और उसमें कौन-कौन लोग होते है?
जिस एजेंसी में प्रश्नपत्र छपता है, वहां क्या आयोग के स्तर पर निगरानी होती है या नहीं?
प्रश्नपत्र छपाई वाली एजेंसी प्रश्न को कहां पहुंचाती है?
अगर आयोग के पास पहले
पहुंचता है, तो वह किस तरह और कहां रखा जाता है और उसकी निगरानी के लिए कौन-कौन
लोग होते है.
प्रश्नपत्र कितने दिन पहले
पहुंचता है?
आयोग से किस प्रकार और
किस तरह से प्रश्न पत्र ट्रेजरी में पहुंचती है?
पटना. पटना पुलिस की टीम ने एक परीक्षा केंद्र का परदाफाश कर दिया, जहां से प्रश्न पत्र लीक हुए था, लेकिन एसआइटी के लिए अब भी रहस्य बना हुआ है कि पांच फरवरी को होनेवाली परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न के आंसर सोशल मीडिया पर कैसे आ गये थे? इसका अर्थ यह है कि परीक्षा के सात दिनों पहले ही प्रश्नपत्र लीक हो गया था. हालांकि यह कहां से लीक हुआ था, इन सवालों को जानने के लिए एसआइटी ने जांच तेज कर दी है और बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार से हुई पूछताछ को भी जांच की एक कड़ी मानी जा रही है.
पुलिस ने इस सवाल के जबाब के लिए सचिव परमेश्वर राम के मोबाइल काे खंगाला तो उसमें एएनएम, एमवीआइ व अन्य परीक्षाओं के उम्मीदवारों के नाम व रॉल नंबर भी पाये गये. इसके कारण अब शक की सूई इन परीक्षाओं पर भी घूमने लगी है. हालांकि इन परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के पुलिस को फिलहाल साक्ष्य नहीं मिला है. इधर एवीएन स्कूल के संचालक रामाशीष सिंह समेत छह को पटना पुलिस ने जेल भेज दिया है. इसके साथ ही प्रश्न पत्र लीक मामले में आधा दर्जन संदिग्धों को पुलिस ने उठाया है और पूछताछ कर रही है.
पटना : एवीएन स्कूल से प्रश्न पत्र लीक मामले में पुलिस को काफी साक्ष्य हाथ लग गये है. इसके साथ ही पुलिस ने जब सीसीटीवी कैमरा का वीडियो फुटेज खंगाला तो यह तसवीर भी हाथ लग गयी कि अटल व रामसुमेर सिंह प्रश्न पत्र को लीक करने के लिए फोटो खींच रहे है.
इन लोगों को यह ध्यान नहीं गया कि उस कमरे में सीसीटीवी कैमरा भी लगा है और फिर उन लोगों की सारी करतूत सीसीटीवी कैमरा में कैद हो गयी. इसके साथ ही अटल के परीक्षा केंद्र पर आने की तस्वीर भी सीसीटीवी कैमरा में कैद है. अटल पटेल नगर में रहता है और पूरे रैकेट का परदाफाश होने के बाद वह पूरे परिवार के साथ गायब हो गया है. पुलिस को उसके यूपी में होने की सूचना मिली है और उसे पकड़ने के लिए एक टीम को यूपी भी भेजा गया है.
जहानाबाद में है नियोजित शिक्षक : सूत्रों के अनुसार अटल जहानाबाद में एक सरकारी स्कूल में नियोजित शिक्षक है. इसकी नियुक्ति तीन साल पहले हुई थी. लेकिन यह एवीएन स्कूल के संचालक रामाशीष सिंह का विश्वास पात्र है और जब भी उक्त परीक्षा केंद्र पर किसी प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा होती तो अटल को वहां बुलाया जाता था. अटल ही वहां से प्रश्न को लीक करने के साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था करता था.
सेटरों की तलाश में नेपाल तक छापेमारी : एसआइटी के समक्ष कई सेटरों के नाम सामने आये है. लेकिन पुलिस
जब उनके घर पर पहुंच रही है तो वे पूरे परिवार के साथ गायब है. पुलिस को उनके मोबाइल लोकेशन के आधार पर यूपी, झारखंड़ तक के अंतिम लोकेशन मिले है. एक का लोकेशन तो नेपाल तक मिला है. लेकिन उनके मोबाइल अब स्विच ऑफ हो चुके है.
पटना : एवीएन स्कूल से प्रश्नपत्र लीक होने के बाद पटना पुलिस के लिए जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. एवीएन स्कूल परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र लीक होने का परदाफाश होने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि पटना व अन्य जिले के कई परीक्षा केंद्र से भी प्रश्नपत्र लीक हुए थे. एसआइटी की जांच की दिशा अब इस ओर आगे बढ़ने लगी है.
इसके साथ एसआइटी की नजर आयोग के अधिकारियों पर कर्मचारियों पर भी है. उन अधिकारियों के चालक व निजी सहायक के मोबाइल का भी सीडीआर पुलिस ने निकल लिया है और उसको खंगाला जा रहा है. परीक्षा केंद्र से सेटिंग की जानकारी और आयोग के डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश के बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक करनेवाले गिरोह के सरगना पवन से संबंध इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आयोग के कर्मियों की भी इसमें संलिप्तता हो सकती है.
वे कौन हैं, इसी संबंध में साक्ष्य जुटाने में एसआइटी लगी है. अविनाश के कई स्कूल संचालकों से थे अच्छे संबंध : सूत्रों के अनुसार बीएसएससी का डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश का कई स्कूल संचालकों से अच्छे संबंध थे. वह मूल रूप से सिपारा का रहनेवाला है और सिपारा, पुनपुन, गोपालपुर, गौरीचक, मसौढ़ी और पटना शहर के कई स्कूल संचालकों से उसकी जान-पहचान थी. पुलिस ने अविनाश के मोबाइल का सीडीआर निकाला है और उसके माध्यम से आगे बढ़ रही है. एवीएन स्कूल से प्रश्नपत्र लीक मामले में पकड़ा गया कौशल किशोर पुनपुन के पैमार घाट का रहनेवाला है और अविनाश की उस गांव में रिश्तेदारी है. गिरोह का मास्टरमाइंड कोचिंग संचालक रामेश्वर कुमार भी सिपारा का ही है और कई साल से कोचिंग चला रहा है.
पटना : पटना पुलिस को सैन्य प्रशासन ने दोनों हवलदारों देवले और शेखर को नहीं सौंपा और अब पुलिस उन दोनों की कुर्की-जब्ती की ओर अग्रसर है. इसकी कवायद शुरू कर दी गयी है और न्यायालय में इश्तेहार के लिए पटना पुलिस ने आवेदन दे दिया है. इश्तेहार मिलने के बाद ही फिर कुर्की-जब्ती की कार्रवाई हो जायेगी, अगर वे दोनों पटना पुलिस या न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं. पटना पुलिस को आशा है कि जल्द ही इश्तेहार मिल जायेगा. शेखर व देवले मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. जानकारी के अनुसार शाहपुर इलाके में पकड़े गये सेना भरती में सेटिंग करने वाले गिरोह मुन्ना सिंह से दोनों के संबंधों का खुलासा हुआ था और फिर पटना पुलिस की टीम ने उन दोनों के लिए खिलाफ साक्ष्य के आधार पर न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट लिया. इसके बाद पटना पुलिस ने दोनों को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. अब पटना पुलिस न्यायालय के माध्यम से आगे बढ़ रही है.
पटना. आइसा ने बीएसएससी इंटर स्तरीय परीक्षा रद्द किए जाने को अपने आंदोलन की एक कदम जीत बताते हुए पटना यूनिवर्सिटी गेट से संकल्प मार्च निकाला. मार्च को पुलिस ने पीयू गेट पर ही रोक लिया और आइसा के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन और राज्य अध्यक्ष मोख्तार समेत आठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. इसमें रिंचु, आलोक यादव, रामजी यादव, राजेश, नवीन, अजय यादव शामिल है. बाद में इनको छोड़ दिया गया.
मौके पर शिवप्रकाश रंजन ने कहा कि बिहार में से परीक्षाओं के सवाल लीक किये जा रहे हैं. मार्च में छात्र बीएसएससी मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच, आंदोलनकारी छात्रों पर से फर्जी मुकदमा वापसी और पूरे मामले में संलिप्त सभी अधिकारियों और नेताओं के नाम के खुलासे और उन पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
अमनौर (सारण). बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में गिरफ्तार आयोग के सचिव परमेश्वर राम के पैतृक गांव थाना क्षेत्र के रसूलपुर पश्चिम टोला दलित बस्ती में लोग अचंभित है. लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि वह व्यक्ति इस तरह के मामलों का मास्टरमाइंड हो सकता है. हालांकि गांव में कोई भी व्यक्ति कुछ भी बताने से बच रहा है. परमेश्वर राम के पिता गुलचंद राम दुलियाजान, तिनसुकिया में जूते-चप्पल बनाने का काम करते थे. परमेश्वर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही मध्य विद्यालय से प्राप्त की थी. वहीं मढ़ौरा के बरदहियां हाइस्कूल से मैट्रिक सेकेंड डिवीजन से पास किया. एचआर कॉलेज अमनौर से इंटर व जगदम कॉलेज से स्नातक कर राजेंद्र कॉलेज से एमए की शिक्षा प्राप्त की. पूरी पढ़ाई के दौरान वे सामान्य छात्र रहे. उनकी शादी 1981 में बरदहियां में हुई.
परमेश्वर राम तीन भाई व दो बहनों में सबसे बड़े हैं. उनके सबसे छोटे भाई अशोक राम दारोगा के पद पर कार्यरत हैं. मझले भाई धर्मनाथ राम ने मढ़ौरा हाइस्कूल में कुछ दिन शिक्षक के पद पर काम किया, लेकिन प्रमाणपत्र में गड़बड़ी के कारण नौकरी छोड़ दी. अब वे घर पर ही रह कर खेती-बाड़ी का काम करते हैं. बीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद परमेश्वर राम ने 1988 में गुमला व झारखंड में अंचलाधिकारी के पद पर काम किया. इसके अलावे वे एसडीओ व एडीएम के पद पर भी रहे.
पिता के देहांत के बाद 17 सितंबर 2015 में उनके श्राद्ध के कार्यक्रम में शामिल होने वह गांव आये थे. उनके काफिले में कई लग्जरी गाड़ियां थीं, जिसे गांव के लोगों ने पहली बार देखा था. स्थानीय ग्रामीण श्याम सुंदर दास ने बताया कि उस समय गांव में पहली बार परमेश्वर राम ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने नौकरी के बाद गांव से दूरी बनाये रखा. अपने गांव व समाज के लिए कुछ भी नहीं किया.
आरा नगर निगम के आयुक्त रहते विवादों में रहे थे परमेश्वर
आरा. बिहार को शर्मसार कर देने वाले परमेश्वर की लीला से भोजपुर भी अछूता नहीं रहा है. परमेश्वर राम 8 जून 2009 से एक फरवरी 2010 तक आरा नगर निगम के आयुक्त के पद पर रह चुके हैं. कम समय के कार्यकाल में ही परमेश्वर राम विवादों में आ गये थे. विवाद ऐसा की उनके कार्यों से परेशान होकर वार्ड पार्षदों ने निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया था. इस संबंध में नगर विकास विभाग को भी पत्र भेज कर परमेश्वर राम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया गया था. परमेश्वर राम की कार्यशैली से विवाद इस कदर बढ़ गया था कि सशक्त स्थायी समिति की बैठक पर ही ग्रहण लग गया था.
बाद में नौबत यहां तक पहुंच गयी कि मेयर के नहीं चाहते हुए भी नगर आयुक्त ने सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुला ली थी.
अड़ गये पार्षद तो हो गया तबादला : निगम आयुक्त की ओर से सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुला लिये जाने के बाद जंग छिड़ गयी थी. नगर निगम के तत्कालीन मेयर और वार्ड पार्षदों ने सरकार से कड़ी लड़ाई लड़ी थी. परमेश्वर को आरा नगर निगम से हटाने की मांग की गयी थी. इसके बाद परमेश्वर को तत्काल आरा नगर निगम से हटाया गया. इसके साथ ही विवादों के कारण तब नगर निगम के विकास कार्य भी प्रभावित हुए थे.
क्या कहते है तत्कालीन मेयर : तत्कालीन मेयर अवधेश यादव ने बताया कि परमेश्वर राम की गतिविधियां निगम आयुक्त के पद पर रहने के समय भी सही नहीं लग रही थी. लोगों पर दबाव बनाकर और सबकुछ अपनी मरजी से करना. किसी भी काम के एवज में वह मोटी रकम की मांग भी करते थे. उनकी कार्यशैली से बाध्य होकर ही पार्षदों को निंदा प्रस्ताव पारित करना पड़ा था.

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