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18 साल पहले आज के ही दिन कुंबले ने टेस्ट में उड़ाये थे सभी 10 विकेट

हैदराबाद : लगता है जैसे यह कल की बात हो लेकिन अनिल कुंबले का ‘परफेक्ट 10′ का रिकार्ड आज 18 साल पूरे कर गया और इस महान स्पिनर ने उस घटना को याद किया जिसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में शामिल किया जाता है. अठारह साल पहले आज के ही दिन कुंबले टेस्ट मैच […]

हैदराबाद : लगता है जैसे यह कल की बात हो लेकिन अनिल कुंबले का ‘परफेक्ट 10′ का रिकार्ड आज 18 साल पूरे कर गया और इस महान स्पिनर ने उस घटना को याद किया जिसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में शामिल किया जाता है.

अठारह साल पहले आज के ही दिन कुंबले टेस्ट मैच की एक पारी में सभी दस विकेट लेने वाले दुनिया के दूसरे गेंदबाज बने थे. उन्होंने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की थी. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की उस शाम को जैसे ही वसीम अकरम ने फारवर्ड शार्ट लेग पर खड़े वीवीएस लक्ष्मण को कैच थमाया, कुंबले के नाम पर यह अनोखा रिकार्ड दर्ज हो गया. अब कुंबले 46 साल के हैं और भारतीय टीम के मुख्य कोच हैं और दुनिया जानती है कि 74 रन देकर दस विकेट का जादुई आंकडा भारत की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले इस गेंदबाज के लिये क्या मायने रखता है.

उनका आधिकारिक ट्विटर हैंडल ‘1074′ इसका सबूत है. कुंबले ने अपनी उस विशिष्ट उपलब्धि को याद करते हुए कहा, ‘‘अठारह साल पहले जब मैं क्षेत्ररक्षण के लिये उतरने से पहले ड्रेसिंग रुम में बैठा था तो मैंने नहीं सोचा था कि मैं दस विकेट हासिल करुंगा. यह ऐसी चीजें जो कभी कभार ही होती है. क्रिकेट की किसी बड़ी उपलब्धि की वर्षगांठ मनाना भी अच्छा है. ” पिछले 18 साल में कोई भी अन्य गेंदबाज पारी में दस विकेट नहीं ले पाया.
कुंबले से पूछा गया कि क्या कोई अन्य गेंदबाज यह उपलब्धि हासिल करने में सफल रहेगा, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यदि ऐसा होना है तो यह कल हो सकता है. दस साल बाद ऐसा हो सकता है और हो सकता है कि ऐसा फिर कभी नहीं हो पाये. मुझे नहीं लगता कि किसी भी ने कभी सोचा होगा कि मैं दस विकेट लेने में सफल रहूंगा. ऐसा कभी कभार ही होता है.
मैं संभवत: भाग्यशाली हूं जो इसका हिस्सा बना. यह विशिष्ट उपलब्धि है. ” कुंबले ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके प्रशंसक हर साल इस विशिष्ट उपलब्धि को याद करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि लोग हर साल इस दिन को याद करते हैं और हम भी उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं. यह दुर्लभ उपलब्धि है लेकिन ऐसा कल भी हो सकता हैं ” कुंबले से पहले इंग्लैंड के जिम लेकर ने 1956 में ओल्ड ट्रैफर्ड में यह उपलब्धि हासिल की थी.

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