नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह साल भर के अंदर ऐसे नियम-कानून बनाये, जिसकी वजह से बिना सत्यापन के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे ग्राहकों की पहचान हो सके. जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बिना वेरिफिकेशन के सिम कार्ड धारकों की पहचान पता होना इसलिए भी जरूरी है कि अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल बैंकिंग में भी हो रहा है.
इस बीच केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि सरकार प्री-पेड मोबाइल सिम का इस्तेमाल कर रहे ग्राहकों की पहचान के लिए और कड़े कदम उठायेगी. पुराने नंबरों को वेरीफाई किया जायेगा और नये नंबर भी पुख्ता जांच के बाद ही मिलेंगे.
लोकनीति फांउडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि देश में 90 करोड़ प्री-पेड सिम धारक हैं, जिनमें से पांच करोड़ सिम कार्ड धारक ऐसे हैं, जिनकी पुख्ता जांच नहीं हुई है. ऐसे में इन कार्ड्स को कौन इस्तेमाल कर रहा है ये मालूम ही नहीं है. इसलिए इनकी पहचान के लिए कड़े कदम उठाये जाएं.
सरकार उठायेगी कदम
पहले से प्रीपेड सिम का इस्तेमाल कर रहे ग्राहकों को रिचार्ज के वक्त दस्तावेज देना होगा. एक फॉर्म भी भरना पड़ेगा.
नये ग्राहकों से दूसरे दस्तावेजों के अलावा आधार कार्ड भी मांगा जा सकता है.
सभी प्री-पेड सिम कार्ड साल भर के भीतर आधार से जुड़ जाएं.
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