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”अमेरिका फर्स्ट” के दुष्प्रभाव

उच्च कौशल वाले अप्रवासी पेशेवरों के लिए वीजा कार्यक्रमों में ट्रंप प्रशासन के संभावित बदलावों को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं. लेकिन, वीजा सुधार विधेयक के मसौदे से भावी नीतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस मसौदे में अप्रवासी नीतियों में बदलाव कर राष्ट्रीय हितों और अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की बात […]

उच्च कौशल वाले अप्रवासी पेशेवरों के लिए वीजा कार्यक्रमों में ट्रंप प्रशासन के संभावित बदलावों को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं. लेकिन, वीजा सुधार विधेयक के मसौदे से भावी नीतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस मसौदे में अप्रवासी नीतियों में बदलाव कर राष्ट्रीय हितों और अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की बात कही गयी है.
एच1बी वीजा धारकों के लिए वर्तमान न्यूनतम वेतन की सीमा को 60,000 डॉलर वार्षिक से बढ़ा कर 1,30,000 डॉलर करने का प्रस्ताव प्रमुख भारतीय आइटी कंपनियों के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है.
इस विधेयक के अलावा पिछले 15 दिनों के भीतर दो अन्य प्रस्तावों को अमेरिकी कांग्रेस में विचार के लिए रखा गया है. इन प्रस्तावों के पारित हो जाने से घरेलू आइटी सेक्टर की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है. आउटसोर्सिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए ‘एंड आउटसोर्सिंग एक्ट’ और वर्क वीजा सुधार से जुड़े एक अन्य सुधार विधेयक ‘एच1बी एंड एच1 वीजा रिफॉर्म एक्ट’ को फिर से प्रस्तावित किया गया है. यदि दोनों विधेयकों को मंजूरी मिल जाती है, तो ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों से जूझ रही भारतीय कंपनियों के लिए एक और बड़ा झटका होगा. ऐसे में भारतीय पेशेवरों को बड़ी चुनौती के लिए तैयार रहना होगा.
हालांकि, जानकारों की राय है कि भूमंडलीकरण के इस युग में बंद अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ा रहे अमेरिका के लिए ऐसे फैसले राष्ट्रीय हितों के बजाय अधिक समस्याएं खड़ी कर सकते हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय का यह कहना सही है कि वीजा से जुड़े मामलों पर अभी तक किसी एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर नहीं किया गया है और तीनों निजी विधेयक लंबी संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही कानून का रूप ले पायेंगे.
इस स्थिति में ट्रंप प्रशासन तथा अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों और कमेटियों से इन मुद्दों पर बातचीत जारी रखना सराहनीय कदम है. उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत में अपने व्यावसायिक हितों तथा राजनीतिक घनिष्ठता को देखते हुए अमेरिका किसी भी प्रकार की रोक लगाने से पहले समुचित रूप से सोच-विचार करने के बाद ही कोई अंतिम फैसला करेगा.
आगामी जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मुलाकात से भी ठोस हल निकलने की संभावना है. परंतु, बदलते हालात के मद्देनजर आइटी कंपनियों और पेशेवरों को भी गंभीरता से वैकल्पिक व्यावसायिक रास्तों की तलाश करना शुरू कर देना चाहिए.

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