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खर्च 43 लाख फिर भी मुक्तिधाम अनुपयोगी

राष्ट्रीय सम विकास के 22 आंगनबाड़ी भवन निर्माण अधूरा, करीब 17 योजनाएं निगरानी विभाग की जांच के दायरे के अधीन शिवहर : एनएच 104 पथ पर कमरौली के पास स्थित शवदाह गृह मृक्ति धाम पर खर्च किया गया करीब 43 लाख रुपये पानी में बह गया. विभागीय उदासीनता के कारण सरकार की यह योजना पूरी […]

राष्ट्रीय सम विकास के 22 आंगनबाड़ी भवन निर्माण अधूरा, करीब 17 योजनाएं निगरानी विभाग की जांच के दायरे के अधीन

शिवहर : एनएच 104 पथ पर कमरौली के पास स्थित शवदाह गृह मृक्ति धाम पर खर्च किया गया करीब 43 लाख रुपये पानी में बह गया. विभागीय उदासीनता के कारण सरकार की यह योजना पूरी होने के बाद भी आम लोगों के लिए अनुपयोगी रही है.आज हालत है कि मुक्ति धाम का भवन व अन्य उपकरण ध्वस्त हो गये है. अब सवाल है कि सरकारी राशि के दुरुपयोग के जिम्मेवार कौन है. प्रभात खबर के पड़ताल में पत्ता चला कि इसका निर्माण पीएचइडी विभाग द्वारा करीब सात वर्ष पूर्व कराया गया था. जिसपर करीब 43 लाख की लागत आयी थी.
जब मुक्ति धाम बनकर तैयार हुआ तो कमरौली के अंजनी प्रसाद श्रीवास्तव ने मुक्ति धाम की जमीन को निजी बताते हुये मामला न्यायालय के अधीन कर दिया. अब सवाल है कि निर्माण के पूर्व उक्त जमीन सरकारी था तो फिर निर्माण के बाद निजी कैसे हो गया. फिलहाल इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है. पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता धर्मेंद्र कुमार ने इस बाबत पूछे जाने पर कहा कि मामला पुराना है. उसकी बातें उनके संज्ञान में नहीं है. फाइल लिपिक के पास है जो सोमवार तक छुट्टी में हैं. कमरौली पंचायत के पूर्व मुखिया सुमित कुमार वर्मा उर्फ दीपू वर्मा का कहना है कि इसके लिए
विभाग जिम्मेवार है. एक कर्मी तक रखा नहीं गया. जिससे कि लाखों रुपये से बनी इस योजना की संरचना तक को बचाया जा सके. संवेदक मनोज कुमार सिंह ने पूछे जाने पर कहा कि प्रशासनिक व विभागीय उदासीनता के कारण मुक्ति धाम आम लोगों के लिए उपयोगी नहीं हो सका. उन्होंने कार्य पूर्ण कर सुपूर्द कर लिया. कहा कि करीब 43 लाख की इस योजना में दुकान के लिए भवन व रौशनी के लिए सोलर लाइट की भी व्यवस्था की गयी थी.
बाद में मुक्ति धाम को रौशन करने के लिए लगाये गये सोलर लाइट की चोरी हो गयी. इस संबंध में उन्होंने पिपराही थाना में एफआइआर दर्ज कराया. एक मोटरसाइकिल भी बरामद की गयी थी. किंतु पुुलिस की कोई कार्रवाई सामने नहीं आयी. इस संबंध में पूछे जाने पर पिपराही थानाध्यक्ष सुजित कुमार ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है. इस पूरे मामले में विभाग पीएचइडी विभाग की कार्यशैली सवाल के घेरे में है. जिससे मुक्ति धाम की संरचना बचाने तक के लिए कोई पहल नहीं की. जानकारों की माने तो पूरा मामला जांच की विषय है. विभाग के दोषी कर्मी पर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए. कारण जो भी हो किंतु सवाल अब भी खड़ा है कि करीब 43 लाख रुपये को पानी में बहाने के लिए जिम्मेवार कौन?
समविकास योजना की जांच निगरानी विभाग के अधीन
इधर प्रभात खबर के टीम के पड़ताल में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है. पता चला कि राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत जिले में आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण की करीब 22 योजनएं लंबित हैं. जबकि 17 योजनाएं निगरानी विभाग की जांच के दायरे में है. सूत्रों की माने तो बिना निविदा निकाले ही विभागीय स्तर पर काम कराकर राशि की बंदरबांट की गयी. जिसकी भनक मुख्यालय को लग गयी. फलत: मामला निगरानी विभाग के जांच के दायरे में है. कार्य बागमती प्रमंडल के अधीन कराया गया था. बताया जाता है कि राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत नक्सल प्रभावित जिलों को 45 करोड़ व अन्य जिलों को मुख्यमंत्री जिला विकास योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 30 करोड़ रुपये दिये गये थे. जिसका उद्ेश्य विकास के गैप को भरना था. शिवहर को नक्सल प्रभावित जिला होने का फायदा मिला. व्याज समेत 45 करोड़ 51 लाख के लागत से 169 योजनाएं क्रियान्वित की गयी. किंतु करीब चार वर्ष पहले जब केंद्र सरकार सम विकास योजना के खर्च का व्योरा मांगा व बीआरजीएफ की राशि की राशि बंद कर दी. तो आनन फानन में सम विकास की योजना बंद कर राशि लौटा दी गयी. वहीं योजना विभाग के निर्देश से जिले में भी योजना को बंद कर राशि लौटा दिया गया.जिसमें जिले में करीब 22 आंगनबाड़ी भवन निर्माण की योजना पूरी नहीं हो सकी. इस संबंध में पूछ जाने पर जिला योजना पदाधिकारी उमाशंकर पाल ने कहा कि करीब 22 आंगनबाड़ी भवन निर्माण की योजना अधूरी है. इस संबंध में विभाग को सूचना दे दी गयी है.संचिका के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सम विकास की कुछ संचिका विभाग द्वारा अपने पास रख ली गयी है.

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