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ये हैं हमारे नेता. माननीयों का काम हुआ, जनता का नहीं

रांची: विधानसभा का बजट सत्र चार दिनों पक्ष-विपक्ष की तनातनी और शोरगुल की भेंट चढ़ गया. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ झामुमो ने एक दिन भी महत्वपूर्ण पहली पाली नहीं चलने दी. दूसरी पाली में भी या तो वेल में रहे या फिर वाक-आउट किया. नतीजतन, चार दिन पहले ही सत्र अनिश्चितकालीन स्थगित कर […]

रांची: विधानसभा का बजट सत्र चार दिनों पक्ष-विपक्ष की तनातनी और शोरगुल की भेंट चढ़ गया. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ झामुमो ने एक दिन भी महत्वपूर्ण पहली पाली नहीं चलने दी. दूसरी पाली में भी या तो वेल में रहे या फिर वाक-आउट किया. नतीजतन, चार दिन पहले ही सत्र अनिश्चितकालीन स्थगित कर दिया गया.
विधायक फंड 10 करोड़ करने की मांग पर भी पक्ष-विपक्ष एकमत दिखायी दिये
चूंकि इस पूरे सत्र में प्रश्नकाल नहीं चला, इसलिए राज्य की समस्या, जनता के दु:ख-दर्द और व्यवस्था की खामियां सदन में आयी ही नहीं. हालांकि, माननीयों ने सातवीं बार वेतन बढ़ाने का रास्ता तैयार कर लिया, क्योंकि उन्हें अपना वेतन कम लगने लगा था. वेतन बढ़ाने की मांग उठी, तो तत्काल प्रभाव से कमेटी भी बना दी गयी. खास बात यह रही कि इस मुद्दे पर कोई हो-हंगामा नहीं हुआ. गौरतलब है कि पिछली बार वर्ष 2015 में ही विधायकों का वेतन बढ़ा था. ऐसे चंद मुद्दे हैं, जिसमें पक्ष-विपक्ष की दूरियां पट ही जाती हैं.
विधायक फंड बढ़ाने पर सभी एकमत हो गये
विधायक फंड बढ़ाने की मांग पर भी पक्ष-विपक्ष के विधायक एकमत दिखे. विकास के नाम पर पक्ष-विपक्ष दोनों की मांग थी कि विधायक फंड 10 करोड़ रुपये कर दिया जाये. फिलहाल, विधायकों को तीन करोड़ रुपये विधायक निधि के तौर पर विकास कार्यों के लिए मिलते हैं. माननीय सदस्य क्षेत्र के विकास के लिए और सात करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं.
वेतन और अन्य भत्ता मिला कर डेढ़ लाख उठाते हैं विधायक वेतन सहित अन्य भत्ता मिला कर डेढ़ लाख रुपये तक उठाते हैं. विधायकों को वेतन मद में 91 हजार तक मिलते हैं. इसके अतिरिक्त यात्रा भत्ता और अन्य मद पर 30 से 40 हजार तक बनते हैं. कमेटी की बैठक के लिए
भी आने-जाने का खर्च मिलता है. राज्य और राज्य के बाहर यात्रा के लिए कूपन का खर्च अलग से है. विधायकों के निजी सहायकों का खर्च भी अलग से सरकार उठाती है.
विधायक निधि के लिए महंगाई की दुहाई
सदन में माननीय सदस्यों ने महंगाई की दुहाई दे कर विधायक निधि बढ़ाने की मांग की है. विधायक अपनी अनुशंसा पर प्रतिवर्ष 10 करोड़ का काम करना चाहते हैं. हालांकि, विधायक निधि से काम में एजेंसी चयन की जिम्मेवारी जिला को है, लेकिन इसमें विधायक का दबाव भी चलता है. बजट सत्र में कई विधायकाें ने चर्चा के दौरान कहा कि पिछले वर्षों में महंगाई बढ़ी है. इसे बढ़ाने पर विचार होना चाहिए.

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