नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी के बाद बैंकों में नये नोट डालने का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है क्योंकि अब धन निकासी पर व्यावहारिक रूप से कोई पाबंदी नहीं रह गयी है. सरकार ने गत 8 दिसंबर को 1000 और 500 के नोटों का चलन बंद कर दिया था और जनता से उन्हें अपने बैंक खातों में जमा कराने या बैंकों, रिजर्व बैंक या डाकखानों से बदलवाने का आदेश दिया था.
इसके कारण बाजार में नोटों की कमी आ गयी थी और स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने बैंक निकासी पर सीमा तय कर रखी थी. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने विशेष बातचीत में कहा, ‘बचत बैंक खाते से सप्ताह में निकासी की 24,000 की सीमा को छोड़ कर अब अन्य सभी पाबंदियां हटायी जा चुकी हैं. यह सीमा भी अब कुछ ही दिन की बात है.’
दास ने यह भी कहा कि करेंसी की आपूर्ति और उसका प्रबंध भारतीय रिजर्व बैंक का काम है. बचत बैंक खातों से निकासी की बची खुची सीमा हटाने का निर्णय केंद्रीय बैंक ही निकट भविष्य में लेगा.
उन्होंने कहा कि बचत बैंक खातों से ‘एक माह में केवल कुछ गिनी चुनी निकासियां ही एक लाख तक की होती हैं. इस लिए आज भी व्यावहारिक तौर पर बैंक निकासी पर कोई सीमा नहीं रह गयी है. ‘मुझे लगता है कि वापस लिये गये नोटों की जगह नये नोट डालने का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है. मैं करीब-करीब इस लिए कह रहा हूं क्योंकि अभी 24,000 रुपये की साप्ताहिक सीमा बनी हुई है.’
आर्थिक मामलों के सचिव दास ने कहा कि नोटों की आपूर्ति बढ़ाने में ज्यादा जोर छोटे मूल्य के नोटों पर होगा. उन्होंने कहा कि नोट फिर से डालने का काम 90 दिन से भी कम समय में पूरा हो गया है और ‘यह बताता है कि नये नोट डालने का काम किस रफ्तार से किया गया है. ‘
इससे पहले रिजर्व बैंक ने इसी सप्ताह चालू खाते और ओवर-ड्राफ्ट सुविधा वाले खातों और एटीएम से निकासी की सीमा हटा ली थी. उसने नये नोट डालने की गति के आधार पर एटीएम से निकासी पर साप्ताहिक सीमा की निकट भविष्य में समीक्षा करने का भी भरोसा दिलाया था.
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