सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने सरायकेला स्थित रामकृष्ण फोर्जिंग लिमिटेड कंपनी सभागार में आयोजित परिचर्चा में यह बातें कही. परिचर्चा का आयोजन उद्यमियों व सेना के बीच समन्वय बनाने के लिए किया गया था. अपने संबोधन में लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने कहा कि भारतीय सेना में 150 करोड़ रुपये से कम का आॅर्डर ही नहीं होता है. इससे स्पष्ट है कि किस स्तर का निवेश की जरूरत भारतीय सेना को है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में 2016 में लायी गयी पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए कई उद्योगों ने आवेदन दिया है, इसका बेहतर परिणाम दिख रहा है. उन्होंने कहा कि तकनीकी तौर पर बेहतर कार्य भारत में भी हो, इसके लिए सरकार कुल निवेश का 90 फीसदी हिस्सा देगी, जबकि उद्योगों द्वारा 10 फीसदी लगाया जायेगा. अगर दो साल तक कोई ऑर्डर नहीं मिला, तो 10 फीसदी का हिस्सा भी सरकार उद्योगों को वापस कर देगी. लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने बताया कि आर्म्ड फोर्स से लेकर सेना के तकनीकी इंजीनियरों की टैंक, गन, मैकेनाइज्ड सिस्टम, टावर लोकेशन सिस्टम से लेकर अन्य जरूरतें हैं. इन सामग्री की आपूर्ति के लिए हर साल 60 बिलियन यूएस डॉलर का ऑर्डर दिया जाता है. इसमें अधिकांश हिस्सा विदेशों में चला जाता है.
परिचर्चा में सेना की ओर से आये ब्रिगेडियर विक्रम सिंह और ब्रिगेडियर एके चनन के अलावा टीएमएल ड्राइव लाइन कंपनी के सीओओ संपत कुमार, रामकृष्ण फोर्जिंग लिमिटेड के चेयरमैन एमपी जालान, एसिया के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल समेत विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों, सीओओ, एमडी, चेयरमैन के अलावा एनआइटी, एनआइएफएफटी, एनएमएल और आइआइटी खड़गपुर के छात्रों और शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया. इस मौके पर आरकेएफएल कंपनी के एमडी नरेश जालान, चीफ पिपुल ऑफिसर शक्ति प्रसाद सेनापति समेत अन्य लोग थे.