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दिल्ली में बंधक हैं भंडरिया के पांच आदिवासी बच्चे

सभी बच्चे मवि बिंदा में आठवीं कक्षा के छात्र हैं पांच-पांच हजार देने का लालच देकर गन्ना काटने के नाम पर ले गये थे दलाल अभिभावकों ने प्रशासन से बच्चों को मुक्त कराने की गुहार लगायी भंडरिया थाने में दिये थे आवेदन लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई भंडरिया : भंडरिया थाना क्षेत्र के बिंदा […]

सभी बच्चे मवि बिंदा में आठवीं कक्षा के छात्र हैं
पांच-पांच हजार देने का लालच देकर गन्ना काटने के नाम पर ले गये थे दलाल
अभिभावकों ने प्रशासन से बच्चों को मुक्त कराने की गुहार लगायी
भंडरिया थाने में दिये थे आवेदन लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई
भंडरिया : भंडरिया थाना क्षेत्र के बिंदा गांव के पांच मासूम बच्चों को दिल्ली ले जाकर बेचने का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले में भंडरिया थाना में बच्चे के अभिभावकों द्वारा उन्हें मुक्त कराने के लिये आवेदन दिया गया है़ लेकिन अभी तक बच्चे मुक्त नहीं कराये जा सके हैं.
जो बच्चे बेचे गये हैं, उनमें बिंदा गांव के नन्दु लोहरा, विनोद सिंह, सोनु कोरवा, पवन सिंह, शिवसागर सिंह शामिल हैं. ये सभी गांव में ही मवि आठवीं कक्षा में पढ़ते थे़ सभी की उम्र 14 से 16 वर्ष के बीच बतायी गयी है़ बच्चों के अभिभावक राधेश्याम लोहरा, भजन सिंह, भोला कोरवा, शिव कुमार सिंह आदि ने बताया कि उनके बच्चों को चार माह पूर्व गांव के ही हरिहर सिंह एवं मझिआंव थाना क्षेत्र के सुरेश राम तथा देवलाल मल्होरी गन्ना काटने के लिये कहकर ले गया था़ इसके एवज में उसने सबको पांच-पांच हजार रुपये देने की बात कही थी़
ये तीनों दलाल उनके बच्चों को लेकर दिल्ली के बागपत जिला के टिकरी गांव में ले गये. वहां से कुछ दिनों तक उन्हें अपने बच्चों से मोबाइल पर बात होती रही, पर दो माह से बात होना बंद हो गया. इसके बाद वे लोग चिंतित हैं. एक महीना पहले बच्चों ने डाक से चिठ्ठी भेजकर जब अपने को बंधक बनाये जाने की जानकारी दी, तो वे लोग परेशान हो गये़ बच्चों ने पत्र में अपने को बंधक से मुक्त कराने की बात कही थी़ तभी से वे लोग परेशान हैं. अभिभावकों ने पत्र पढ़ते ही गांव के हरिहर सिंह से जब पूछताछ की तो उसने बच्चों को वापस बिंदा लाने के लिए पचास हजार रुपये की मांग की.
उन्होंने अपने बच्चों की रिहाई के लिए लिखित आवेदन भंडरिया थाना को दिया, लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि बच्चों की रिहाई के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी पीड़ा को अभी तक कोई नहीं समझ पाया है़ अभिभावकों ने उच्चाधिकारियों से इस पर पहल कर अपने बच्चों को मुक्त कराने की गुहार लगायी है़

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