मुंबई : शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन की खबरें मीडिया की सुर्खिया हैं, लेकिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया है कि अबतक गठबंधन के लिए महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया. गठबंधन की संभावना अभी भी खत्म नहीं हुई है. महाराष्ट्र में शिवसेना अहम पार्टी थी लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन टूटने का नुकसान शिवसेना को हुआ और महाराष्ट्र में ही वह भाजपा की बी टीम बन गयी. दूसरी तरफ मनसे भी सालों से अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में लगी है, लेकिन उसे वैसी कामयाबी नहीं मिली.
बाला साहेब ठाकरे की विरासत को दोनों ही पार्टियां लेकर चल रही हैं. संभव है कि दोनों के एक साथ आने से दोनों ही पार्टी को फायदा होगा. महाराष्ट्र की राजनीति में वृहद मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव बेहद अहम माना जाता है. राज्य सरकार में भाजपा और शिवसेना के बीच भागीदारी है, लेकिन बीएमसी चुनाव के लिए दोनों की राहें फिर अलग हैं. पहले खबर आयी कि बीएससी चुनाव को लेकर राज ठाकरे ने शिवसेना के साथ गठबंधन के लिए उद्धव ठाकरे के पास प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव को लेकर एमएनएस नेता बाला नांदगांवकर मातोश्री पहुंचे.
हालांकिअब खबर है कि बाला नांदगांवकर के साथ उद्धव की मुलाकात नहीं हो पायी और एमएनएस नेता को खाली हाथ वापस लौट जाना पड़ा. एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना को बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव दिया है. एमएनएस चुनाव में केवल भाजपा को रोकने के लिए शिवसेना के साथ गठबंधन बनाना चाहती है,उसनेकिसी भी सीट की मांग नहीं रखी है. इन खबरों के बीच उद्धव ने आज कहा कि उन्हें मनसे की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. अब इस प्रस्तावपर उद्धव के इनकार के बाद उनके बीच संबंधों को लेकर सवाल उठने लगे हैं. यह सवाल अपनी जगह कायम है कि क्या बाला साहेब की विरासत को लेकर अंदरखाने चल रही लड़ाई उन्हें राजनीतिक तौर पर एकजुट होने देगी?