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शिकायत आयी और राजस्व संबंधी मानक लांघ गये

बड़ा सवाल: अंबे पोखर घटना में कार्रवाई से पहले अंचल की जांच रिपोर्ट का करते इंतजार भागलपुर : अंबे पोखर में छोटे से मामले को दूसरा रूप-रंग देने के मामले में राजस्व संबंधी मानक का उल्लंघन हुआ है. आम तौर पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण आदि के कई मामले प्रशासन व पुलिस की फाइलों में […]

बड़ा सवाल: अंबे पोखर घटना में कार्रवाई से पहले अंचल की जांच रिपोर्ट का करते इंतजार
भागलपुर : अंबे पोखर में छोटे से मामले को दूसरा रूप-रंग देने के मामले में राजस्व संबंधी मानक का उल्लंघन हुआ है. आम तौर पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण आदि के कई मामले प्रशासन व पुलिस की फाइलों में धूल फांक रहे हैं. मगर अंबे पोखर में थाना स्तर पर शिकायत पहुंचते ही उस पर कार्रवाई की तत्परता कई सवाल खड़े कर रही है. थाना से मौके पर जाकर कार्रवाई करने से पहले राजस्व संबंधी मानक का पालन करना भी जरूरी नहीं समझा गया.
यह भूल तब हुई जब 19 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीनी विवाद के बढ़ते मामले पर स्पष्ट कहा था कि सामान्य मामला अंचलाधिकारी व थानेदार शनिवार की मीटिंग करके निबटायें. अगर मामला बड़ा हो तो वह जिला को रेफर कर दें, जहां जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधिकारी की कमेटी मामले को लेकर विचार करके निर्देश देगी. इस अंबे पोखर की घटना में ऐसा कुछ नहीं हुआ. अब तक की घटना पर गौर करें तो 25 जनवरी को हबीबपुर थाना में शिकायत आती है. इस शिकायत पर 26 जनवरी जैसे गणतंत्र दिवस पर पुलिस तैयार हो जाती है. थानेदार शिकायत पर पहले अंचलाधिकारी व बाद में सदर एसडीओ को फोन करते हैं. फिर सभी अंबे पोखर की सरकारी जमीन पर कार्रवाई करने चल देते हैं. उसके बाद मामला सामान्य से विशेष तक पहुंच जाता है. इसका मतलब साफ है कि सरकारी जमीन के मसले पर कोई बैठक नहीं हुई. पुलिस सीधी कार्रवाई के मूड में आ गयी. इस बारे में कोई अंचल से जांच रिपोर्ट नहीं मंगवायी गयी.
जमीन विवाद के निबटान की सामान्य प्रक्रिया
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण आदि के मसले की शिकायत थाना या अंचल स्तर पर आती है.
अगर थाना में मामला आता है तो उसे संबंधित अंचलाधिकारी के पास जांच आदि के लिए भेजा जाता है.
अंचलाधिकारी व थानेदार सभी जमीनी विवाद पर शनिवार को बैठते हैं और एक-एक कर पर रायशुमारी करते हैं.
बड़े व गंभीर अतिक्रमण होने पर अनुमंडल पदाधिकारी के पास मामला रेफर होता है.
अनुमंडल पदाधिकारी स्तर पर उस मामले में कोर्ट के निर्देश देते हुए धारा 144 या फिर अन्य विधि सम्मत कार्रवाई की जाती है.
आपातकालीन स्थिति होने पर डीएम, वरीय पुलिस अधीक्षक स्तर से तत्काल आदेश लेते हुए अतिक्रमण हटाने का काम होता है.
नोट: विशेष परिस्थिति में अनुमंडल दंडाधिकारी अतिक्रमण पर धारा 144 लगा देते हैं और इसके उल्लंघन करने वाले को गिरफ्तार करने का आदेश देते हैं.
पुलिस कार्रवाई पर असमंजस
अगर वहां पर कोई निर्माण हो रहा था तो अवैध निर्माण करनेवालों को पुलिस पकड़ कर ले आती.
वहां पर आगे निर्माण न हो, इसके लिए पुलिस की तैनाती की जाती
अगर वहां पर भयावह स्थिति होने की आशंका थी तो जिला से और पुलिस बल मंगवा लिया जाता.

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