भारत की बढ़ती आबादी के अनुरूप सबको शुद्ध जल, स्वच्छ वातावरण, आवास, रोजगार, शिक्षा, सड़क, यातायात, सामाजिक सुरक्षा, त्वरित न्याय जैसी अनेकों सेवाएं उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है. देश की आजादी से लेकर अब तक 68 वर्षों बाद भी हो रहे सुधारों में गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, लिंगभेद, जातिवाद, नक्सलवाद, आय की असमानता एवं अन्य समस्याएं मुख्य रूप से रही हैं, जिन्हें जड़ से समाप्त करने की चुनौती आज भी बरकरार है.
जो योजनाएं चल रही है, उनमें भारी अनियमितता के चलते धरातल पर नहीं उतर पाती हैं. मनरेगा, इंदिरा आवास और अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं में भ्रष्टाचार और लालफीताशाही व्याप्त है. यदि सही मायने में सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो बुनियादी जरूरतों के साथ चल रही तमाम योजनाओं में पारदर्शिता और गुणवत्तापूर्ण कार्यों का होना आवश्यक है.
डॉ जेके पंकज, गोड्डा