मीटर जांच रिपोर्ट आने के 25 दिन बाद भेजा जेल
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सही मीटर को गलत बता कर किया मुकदमा उपभोक्ता का आरोप, 35 दिन रहना पड़ा जेल में
मीटर जांच रिपोर्ट आने के 25 दिन बाद भेजा जेल भागलपुर : फ्रेंचाइजी कंपनी ने विद्युत मीटर को गलत बता एक लाख 32 हजार रुपये का जुर्माना किया और जुर्माना राशि नहीं भरने पर मुकदमा दर्ज कराया. उसी मीटर को डेढ़ माह बाद फ्रेंचाइजी कंपनी ने सही मान लिया. यह आरोप बड़ी खंजरपुर के उपभोक्ता […]
भागलपुर : फ्रेंचाइजी कंपनी ने विद्युत मीटर को गलत बता एक लाख 32 हजार रुपये का जुर्माना किया और जुर्माना राशि नहीं भरने पर मुकदमा दर्ज कराया. उसी मीटर को डेढ़ माह बाद फ्रेंचाइजी कंपनी ने सही मान लिया. यह आरोप बड़ी खंजरपुर के उपभोक्ता कृष्ण कुमार यादव ने फ्रेंचाइजी कंपनी पर लगाया है. मीटर की ओके रिपोर्ट आने की तिथि से 25 दिन बाद उन्हें जेल जाना पड़ा. वास्तविक बिजली बिल 2700 रुपये का है, जिसे जेल में रहते हुए परिवार वालों ने भुगतान किया है. कंपनी चाहती, तो झूठा मुकदमा वापस ले लेती और वह जेल जाने से बच जाते, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उनका आरोप है कि जेल जाने से पहले सरकारी बिजली कंपनी, प्राइवेट बिजली कंपनी सहित प्रशासनिक पदाधिकारियों काे अपनी बेगुनाही बताता रहा,
मगर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा. अब वह 35 दिन जेल में रह कर लौटे हैं. सच्चाई जानने के लिए जब फ्रेंचाइजी कंपनी के सीइओ कुलदीप कौल को फोन किया, तो उन्होंने खुद को कोलकाता में होने की बात कही. उन्होंने इस मामले में सहायक अभियंता (लीगल) से बात करने को कही.
पांच लाख रुपये की मानहानी का दिया आवेदन : बड़ी खंजरपुर के कृष्ण कुमार यादव ने सरकारी बिजली कंपनी को आवेदन देकर पांच लाख रुपये की मानहानी का दावा किया है. उन्होंने बताया कि जेल से आने के बाद लगातार सरकारी और प्राइवेट बिजली कंपनी के दफ्तर सहित प्रशासनिक पदाधिकारियों का चक्कर लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शनिवार को पूरे मामले में इंसाफ के लिए फिर से तमाम जिला व पुलिस पदाधिकारियों को डाक से आवेदन भेजा है. हालांकि सरकारी बिजली कंपनी ने बीइडीसीपीएल को पत्र भेज कर एफआइआर, दंडात्मक राशि की गणना व जांच प्रतिवेदन की छाया प्रति सहित कार्रवाई की अद्यतन रिपोर्ट मांगी, फिर भी वह जेल जाने से नहीं बच सके.
अगर मुकदमा गलत है, तो कंपनी क्षतिपूर्ति करेगी. उपभोक्ता गलत होंगे, तो उन्हें जुर्माना राशि देनी होगी. बिजली चोरी के विरुद्ध मुकदमा दायर किया गया है और यह हर तरह से सही है. मुकदमा से पहले बिजली कनेक्शन से संबंधित कागजात और साक्ष्य मांगा गया था, मगर वह उपलब्ध नहीं करा सके थे. अगर वह सही रहते जेल गये, तो इसका वह साक्ष्य पेश करे.
अंशुमान मिश्रा, सहायक अभियंता (लीगल), बीइडीसीपीएल (फ्रेंचाइजी कंपनी)
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