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कब अपनी जिम्मेदारी समझेंगे

हद है. शहरी विकास के बजट पर शहरवासियों का नहीं मिला सुझाव जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में ही निगम ने अखबारों में इश्तेहार निकाल कर शहरवासियों से बजट के बाबत सुझाव मांगा था. सुझाव समर्पित करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी तक महज दो सुझाव ही निगम को प्राप्त हुए हैं. जो दो सुझाव […]

हद है. शहरी विकास के बजट पर शहरवासियों का नहीं मिला सुझाव

जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में ही निगम ने अखबारों में इश्तेहार निकाल कर शहरवासियों से बजट के बाबत सुझाव मांगा था. सुझाव समर्पित करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी तक महज दो सुझाव ही निगम को प्राप्त हुए हैं. जो दो सुझाव मिले हैं वो भी दो पार्षदों के ही हैं. इससे जाहिर होता है कि शहर के प्रति आम लोग भी अपनी जिम्मेवारी से अनभिज्ञ हैं.
पूर्णिया : शहर को सुंदर, व्यवस्थित व सुविधाओं से लैस करने के लिए नगर निगम वर्ष 2017-18 का बजट के निर्माण की तैयारी में है. लिहाजा जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में ही निगम ने अखबारों में इश्तेहार निकाल कर शहरवासियों से बजट के बाबत सुझाव मांगा था. निगम के पार्षदों को पत्राचार कर सूचना दी गयी थी और वार्डों में विकासपरक योजनाओं पर आमसभा कर उसकी सूची और सहमति भी मांगी थी, लेकिन शहर के विकास में शहर के तीन लाख से अधिक की आबादी और 46 वार्ड पार्षदों के दिलचस्पी का आलम यह है कि सुझाव समर्पित करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी तक महज दो सुझाव ही निगम को प्राप्त हुए हैं. जाहिर है आम लोग और पार्षद भी अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी कर रहे हैं.
दो पार्षदों ने दिया सुझाव : नगर निगम के बजट निर्माण से जुड़े सुझाव में आम नागरिक तो उदासीन रहे ही, वार्ड पार्षदों का भी हाल कुछ अलग देखने को नहीं मिला. निगम क्षेत्र के तीन लाख से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले 46 वार्ड पार्षदों में महज दो वार्ड पार्षद ने ही वार्ड सभा कर समस्याओं से जुड़े योजनाओं पर आम सहमति के बाद बजट में जनता से जुड़ी योजनाओं पर अपना सुझाव नगर निगम को सौंपा है. इसमें वार्ड संख्या 22 की वार्ड पार्षद सरिता राय एवं वार्ड संख्या 23 की पार्षद इंदिरा देवी शामिल हैं.
समूचे शहर से एक भी नहीं आया सुझाव
शहर का विस्तार हो रहा है और आबादी लगातार बढ़ रही है. फिलहाल शहर की आबादी तकरीबन तीन लाख से अधिक है. शहर में समस्याएं भी हैं और मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी है. समय-समय पर शहर के बुद्धिजीवी, राजनेता और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग शहर की समस्याओं पर आवाज बुलंद करते रहे हैं, लेकिन जब शहरी विकास योजनाओं के लिए होने वाले बजट निर्माण को लेकर शहरवासियों से सुझाव मांगा गया, तो शहरवासी फिसड्डी साबित हुए. विडंबना यह है कि तय अंतिम तिथि 27 जनवरी तक समूचे शहर से एक भी सुझाव निगम को प्राप्त नहीं हुआ है.

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