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अनुमान से ज्यादा शामिल हुए लोग

उत्साह. प्रभारी मंत्री से लेकर विधायक तक मानव शृंखला में शामिल राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत शनिवार को जिले में कुल 302 किमी लंबे मानव शृंखला का निर्माण हुआ. जिसमें लाखों की संख्या में लोग कतार बद्ध हुए. जिला के प्रभारी मंत्री सह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफ्फूर व पिपरा विधायक यदुवंश कुमार यादव जिला मुख्यालय […]

उत्साह. प्रभारी मंत्री से लेकर विधायक तक मानव शृंखला में शामिल

राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत शनिवार को जिले में कुल 302 किमी लंबे मानव शृंखला का निर्माण हुआ. जिसमें लाखों की संख्या में लोग कतार बद्ध हुए. जिला के प्रभारी मंत्री सह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफ्फूर व पिपरा विधायक यदुवंश कुमार यादव जिला मुख्यालय में गांधी मैदान के समीप बबुजन विशेश्वर बालिका उच्च विद्यालय की छात्राओं के साथ कतारबद्ध थे. जबकि विधान परिषद के उप सभापति हारुण रसीद सहरसा-सुपौल सीमा पर परसरमा चौक के समीप कतार में थे. इसके अलावा त्रिवेणीगंज विधायक वीणा भारती त्रिवेणीगंज तथा निर्मली विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव सरायगढ़ में मानव शृंखला में शामिल हुए.
जबकि छातापुर विधायक नीरज कुमार बबलू के प्रतिनिधि राघवेंद्र झा राघव तथा विधान पार्षद नूतन सिंह के प्रतिनिधि विनय भूषण सिंह भी मुख्यालय स्थित अंबेदकर चौक के समीप मानव शृंखला में शामिल हुए. वहीं जिले के विभिन्न हिस्सों में शामिल नहीं होने से आक्रोशित छात्रों द्वारा प्रशासन और संबंधित प्रधानों के विरुद्ध हंगामा, विरोध और सड़क जाम की खबरें सामने आयी. इसके अलावा मानव शृंखला से वापस लौटने के क्रम में किसनपुर थाना क्षेत्र के सिंहियान में ट्रैक्टर की ठोकर से एक बच्चे की मौत हो गयी. वहीं अन्य कई जगहों पर भी छोटी-छोटी घटना समय-समय पर आती रही.
सुपौल : राज्य सरकार का आह्वान हुआ और मुद्दा था शराबबंदी. जाहिर है, प्रशासन ने कमर कस ली और जोर-शोर से प्रचार-प्रसार आरंभ कर दिया गया. नतीजा रहा कि शनिवार को जब मानव शृंखला निर्माण के रूप में प्रशासनिक कवायदों का लिटमस टेस्ट आरंभ हुआ, कुछ मोरचों पर प्रशासन पास तो अधिकतर मोरचों पर फेल नजर आयी. प्रचार-प्रसार का असर यह हुआ कि लाखों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आये. लेकिन न आवागमन की माकूल व्यवस्था थी और न ही दावे के अनुसार सुविधाएं.
बावजूद लोगों का चरम उत्साह पर था. यही कारण है कि मानव शृंखला का निर्माण दिन के 12:15 बजे से 01:00 बजे के बीच होना था. लेकिन सुबह 10 बजे से ही लोगों की भीड़ आयोजन स्थल पर जुटने लगी थी. दिन के 10:30 बजे से लोग कतारबद्ध होने लगे और देखते ही देखते शहर सहित ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर भी शृंखला का निर्माण होने लगा. प्रशासन के अनुसार जिले में कुल 302 किमी लंबे मानव शृंखला का निर्माण हुआ. वही इसमें पांच लाख लोगों की आवश्यकता थी. लेकिन अपेक्षा से कई गुणा लोग मौके पर जुटे जिससे यह लम्हा इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.
धरातल के विरुद्ध प्रशासन का दिखा अलग चश्मा
मानव शृंखला निर्माण को लेकर बीते एक पखवाड़ा से प्रशासनिक कवायद तेज थी. जिले के सभी आला अधिकारी जोर-शोर से इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए थे. यही कारण था कि शनिवार को जब मानव शृंखला कार्यक्रम का समापन हुआ, प्रशासन ने इसे अपने नजरिये से देखा. स्वयं जिलाधिकारी बैद्यनाथ यादव ने गांधी मैदान के समीप पत्रकारों को बताया कि प्रशासन प्रतिवर्ग किमी में 02 हजार लोगों की सहभागिता का लक्ष्य लेकर चला था. लेकिन इसके लिए प्रतिवर्ग किमी चार हजार लोग आयोजन में शामिल हुए. इतना ही नहीं उन्होंने आयोजन को पूरी तरह सफल बताया और इसे जिले वासियों की जीत करार देने में भी देरी नहीं की. लेकिन डीएम जब पत्रकारों को आशय की जानकारी दे रहे थे,
तब शायद उन्हें इस बात का जरा भी ध्यान नहीं था कि शहर के हुसैन चौक से सदर प्रखंड अंतर्गत कर्णपुर चौक तक ही मानव शृंखला करीब एक दर्जन जगहों पर भंग थी. साथ ही कई ऐसे स्थल भी थे, जहां हर मिनट में दो से तीन बार शृंखला भंग हो रही थी. शहर के महावीर चौक पर भी सदर अस्पताल से लगातार कुछ ही मिनटों के अंतराल पर एंबुलेंस व निजी वाहन शृंखला को भंग करते हुए सड़क पार कर रहे थे. क्योंकि इसके लिए प्रशासन द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी थी.
…..जब एक मिनट में ही जवाब दे गया ड्रोन कैमरा
दिन के 12:22 बज रहे थे. सरकार का निर्देश था कि मानव शृंखला का ड्रोन कैमरा से फोटोग्राफी होगा. लेकिन कैमरा कहीं नजर नहीं आ रहा था. इस बीच गांधी मैदान में एक वाहन के इर्द-गिर्द काफी भीड़ जुटी थी. पता चला कि वहां ड्रोन कैमरा को तैयार किया जा रहा है. लिहाजा लोगों की उत्सुकता बढ़ गयी और कैमरा को देखने के लिए काफी संख्या में लोग जुट गये. 12:28 बजे कैमरा को किसी प्रकार तैयार कर लिया गया और उसने गांधी मैदान से उड़ान भी भर दी.
इसके बाद लोगों की उत्सुकता और भी अधिक बढ़ गयी. लेकिन एक मिनट के अंदर ही यह उत्सुकता भी ड्रोन की तर्ज पर उड़न छू हो गयी. ठीक 12:29 में ड्रोन कैमरा अंबेदकर चौक के समीप सड़क पर सीधा धराशायी हो गयी. इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने कैमरा उठा कर पुन: वाहन में रख दिया. कहा गया कि कैमरा अब एनएच 57 पर ले जाया जा रहा है. हालांकि न गाड़ी हिली और न ही ड्रोन. बहरहाल इस दौरान जो स्थिति नजर आयी, वह ड्रोन बंद हो जाने से प्रशासन की लाज बचाती नजर आयी. क्योंकि इतना तय था कि ड्रोन कैमरे से अगर पूरे दृश्य की तसवीर ली जाती तो प्रशासन के दावों की हवा निकल जाती.

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