नयी दिल्ली : भारत और 29 देशों ने पनामा दस्तावेज की जांच से जुडे तथ्यों पर हुई बैठक में चर्चा की है. इसमें कर चोरी में वित्तीय संस्थानों और सलाहकारों जैसे कर मध्यस्थों की भूमिका की जांच भी शामिल है. साझा खुफिया और गठबंधन के संयुक्त अंतरराष्ट्रीय कार्यबल (जेआईटीएसआईसी) की पेरिस में दो दिवसीय बैठक में 30 देशों के राजस्व अधिकारियों ने कर संधियों और ओईसीडी के तहत कानूनी उपायों पर आधारित अपने-अपने यहां प्रचलित बेहतर गतिविधियों और सूचना को साझा किया.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 30 राजस्व विभागों ने पनामा दस्तावेज की जांच से प्राप्त तथ्यों को साझा किया. इसमें कर चोरी में वित्तीय संस्थानों और सलाहकारों जैसे कर मध्यस्थों की भूमिका शामिल है. इस आकार के समूह के भीतर इस तरह की सूचना साझा करना अनूठा है और कर प्रशासन के बीच बेहतर सहयोग का आधार तय करता है.
पनामा के लीक हुए दस्तावेज में भारी मात्रा में सूचनायें उपलब्ध हैं, जो 1.1 करोड़ दस्तावेजों में उपलब्ध है. इस दस्तावेज में 21 देशों की 2,10,000 कंपनियों से जुड़ी सूचनाएं शामिल हैं. इन नामों को इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट ने जारी किया. सूची में 500 भारतीयों के नाम भी हैं, जिसमें चर्चित कारोबारी, फिल्मी हस्तियां तथा अन्य शामिल हैं. सरकार ने मामले की जांच के लिये विभिन्न जांच एजेंसियों का एक बहु-एजेंसी समूह बनाया. इसमें आयकर विभाग, रिजर्व बैंक, वित्तीय खुफिया इकाई तथा प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी शामिल हैं.