चेन्नई : नोटबंदी के दौरान भले ही देश के आम आदमी को परेशानियों से रूबरू होना पड़ा हो, लेकिन निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) ने 450 करोड़ रुपये फंसे कर्ज को समय से पहले प्राप्त किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर में नोटबंदी की घोषणा की थी. बताया जा रहा है कि इस नोटबंदी के दौरान लक्ष्मी विलास बैंक के अलावा अन्य बैंकों को भी मुनाफा हुआ है.
लक्ष्मी विलास बैंक के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी पार्थसारथी मुखर्जी ने कहा कि बैंकों के साथ काम करने वाले तबकों के लिए खासकर जब से नोटबंदी की घोषणा की गयी, यह दिलचस्प तिमाही रही. हमारे पास बताने के लिए कुछ सकारात्मक और नकारात्मक बातें हैं. उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर, 2016 को समाप्त तिमाही में चालू खाता, बचत खाता अनुपात (कासा) में उल्लेखनीय सुधार हुआ. ‘हमने देखा कि कुछ फंसे कर्ज को समय से पहले भुगतान किया गया. यह करीब 450 करोड़ रुपये है.
वहीं, नकारात्मक खबर यह है कि बड़ी राशि के नोटों को चलन से वापस लेने से बैंक की ऋण वृद्धि प्रभावित हुई. बैंक का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में 70.1 फीसदी बढ़ कर 78.38 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 46.07 करोड़ था. बैंक की आय आलोच्य तिमाही में 21.60 फीसदी बढ़कर 879.26 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 723.05 करोड़ रुपये थी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.