नंदीग्राम का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय भी हाई कोर्ट ने मामले में सुओमोटो मामला किया था. यह मामला भी काफी संवेदनशील है और इसकी जांच की जिम्मेदारी निष्पक्ष जांच एजेंसी को ही सौंपी जानी चाहिए. हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश (प्रभार में) निशिथा म्हात्रे ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कि वीडियो फुटेज सामने आने के बाद भी पुलिस अधिकारियों ने सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआइआर भी दर्ज नहीं की. वहीं, सुब्रत मुखर्जी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अनुदान के रूप में यह राशि ली थी. वह 45 वर्ष से चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं और इसके लिए कई लोग आकर अनुदान देते हैं.
यह लेना क्या अपराध है? अभी तक यह प्रमाणित नहीं हुआ है कि वह घूस था. वीडियो में कहीं भी ऐसा नहीं दिखा कि उन्होंने रुपये लेने की बात कही हो. इसलिए मामले की सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं है. पुलिस के माध्यम से ही इसकी जांच करायी जा सकती है. मदन मित्रा के वकील एसके कपूर ने कहा कि वह (मदन) अभी ना मंत्री हैं ना विधायक हैं. उनके पास कोई सरकारी पद भी नहीं है. अन्य लोगों के साथ क्या हुआ है, इस बारे में उनको कुछ नहीं कहना. मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी.