अगर इसी तरह मौत के साये में खनन कार्य किया जाता रहा तो यहां कभी भी ललमटिया से भी ज्यादा हाहाकारी त्रासदी मच सकती है. इस कोलियरी की विभिन्न खदानों में लगभग 1300 मजदूर खनन कार्य करते हैं. तीन शिफ्ट में खनन होता है. हर शिफ्ट में औसतन 50 मजदूर खनन कार्य में सक्रिय रहते हैं. अगर दुघर्टना हुई तो पलक झपकते ये मजदूर काल के गाल में समा सकते हैं.
हर साल सरकार को 200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा मुनाफा देने वाली इस कोलियरी में सुरक्षा-मानदंडों को ठेंगे पर रखा जाता है. लेकिन इस ओर न तो खान सुरक्षा की नियामक व निगरानी एजेंसी डीजीएमएस का ध्यान है न ही स्थानीय कोलियरी प्रबंधन खतरे के प्रति सचेत है. विशेषज्ञों का मानना है कि अवैज्ञानिक खनन के कारण एसपी माइंस की तीनों सक्रिय खदान खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है. सुरक्षा अनदेखी को देखकर यही लगता है कि प्रबंधन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है.