कटिहार : दर अस्पताल की स्थिति इनदिनों बद से बदतर होती जा रही है. अस्पताल में अपना इलाज कराने वाले मरीजों को जो मौलिक सुविधा मिलनी चाहिए. अस्पताल द्वारा मरीजों को नहीं मिल रही है. मौलिक सुविधाओं की बात करें तो रोजाना यहां आनेवाले मरीजों को डॉक्टर द्वारा जो दवा लिखा जाता है. उनमें से एक दो दवा अस्पताल से मिलती है. बाकी दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है. इसके चलते गरीब तबके के मरीज दवा नहीं खरीद पाते हैं.
अस्पताल के भरोसे रहते हैं की दवा आयेगी तो मिलेगी. लेकिन अस्पताल प्रबंधक द्वारा दवा खत्म होने के बावजूद भी मगांया नहीं जाता है. इस तरह की लापरवाही अस्पताल प्रबंधक द्वारा किया जाता है. लेकिन इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है. ऐसे ही लापरवाही अस्पताल के अंदर देखने को मिलती है. यहां भरती मरीजों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह भी नदारद है.
अस्पताल परिसर में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कहीं नहीं है. साफ सफाई की भी बात करें तो इसकी भी हालत कुछ अच्छी नहीं है. वही मरीजों को मिलने वाला खाना भी सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. यहां पर अपना इलाज करवा रहे भरती मरीजों ने बताया कि बाथरूम कई दिनों से गंदा पड़ा हुआ है. इसकी सफाई नहीं हो रही है.जिसके चलते हम लोगों को काफी परेशानी होती है. जिले का यह अस्पताल जहां दूरदराज के लोग यहां अपना इलाज करवाने आते है. लेकिन यहां का विधि व्यवस्था देख कर दंग रह जाते हैं.
प्रसव वार्ड का भी स्थिति काफी दयनीय है : सदर अस्पताल की स्थिति प्रसव वार्ड का हाल काफी दयनीय है. यहां पर इलाज करवाने के लिए आने वाली मरीज को किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है. प्रसव वार्ड में मरीजों को बेड के अलावा कुछ नहीं मिलता है. ठंड के मौसम में इन्हें सारा सामान घर से ही लाना पड़ता है. या बाजार से खरीदना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधक द्वारा यहां पर इलाज करवाने आये मरीजों को बेडशीट, कंबल, मछरदानी आदि चीजें मिलनी चाहिए इन्हें वह चीजें नहीं मिल रही है.
प्रसव वार्ड में लगता है बिचाैलियों का जमावड़ा
अस्पताल परिसर स्थित प्रसव वार्ड में इलाज कराने आयी मरीजों को दलालों द्वारा काफी परेशान किया जा रहा है. रोजाना सुबह 10 बजे प्रसव वार्ड के समीप दलाल मंडराने लगते हैं. जैसे ही कोई मरीज वहां पहुंचता है.उनके पीछे यह लग जाते हैं और तरह तरह के बातें बना कर और प्रसव वार्ड के कर्मचारियों की मिलीभगत से इनका इलाज बाहर के नर्सिंग होम में करवाने के लिए राजी कर लेते हैं. इन मरीजों के परिजनों को यह पता ही नहीं है कि यहां पर सब सुविधा उपलब्ध है. लेकिन इन के बावजूद भी इन लोगों की बातों में आकर मरीज का इलाज नर्सिंग होम में करवाते हैं. जहां इनसे अच्छी खासी रकम वसूल लिया जाता है. अगर कोई मरीज बाहर नर्सिंग होम में इलाज नहीं करवाने जाना चाहता है तो यहां के कर्मचारी हर बात के लिए 500 से 1000 रुपए तक ऐंठ लेते हैं. इनके साथ आने वाली आशा भी दवाइयों के नाम पर अच्छी-खासी रुपए हजम कर लेते हैं. जबकि यह दवाई अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद भी यह लोग बातें बनाकर बाहर से दवा लेने के लिए मरीज के परिजनों को तैयार कर लेते हैं. जहां यह दवाई लेते हैं वहां से इन आशा को कमीशन दिया जाता है. इन सब बातों को जान कर भी अस्पताल प्रशासन द्वारा इन दलालों व आशा के विरुद्ध कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. इससे इन लोगों का मन काफी बढ़ गया है.