प्रधानमंत्री दफ्तर से इस तरह का कोई भी पत्र उन्हें नहीं भेजा गया है. पत्र को गौर से देखा जाय तो उसकी लिखावट का तरीका देखकर ही पता चल जायेगा कि वह नकली है, किसी व्यक्ति के शरारती दिमाग का वह हिस्सा है. वहीं इस मामले में पीएमओ की तरफ से भी इस तरह के किसी भी पत्र को भेजे जाने का खंडन किया गया है. प्रधानमंत्री दफ्तर की तरफ से कहा गया है कि इस तरह का कोई पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय से नहीं भेजा गया है. सीबीआइ एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है, प्रधानमंत्री दफ्तर की तरफ से इस तरह के मामलों की जांच में हस्तक्षेप कभी नहीं किया जाता है. बताया जा रहा है कि इस तरह के फर्जी पत्र के मार्केट में आने के सिलसिले में जल्द सीबीआइ एफआइआर भी दर्ज कर सकती है. इस मामले में सख्त कार्रवाई करने पर विचार किया जा रहा है.
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रोजवैली मामले में पीएमओ से सीबीआइ को पत्र भेजने की खबर का मामला, पीएमओ ने नहीं भेजा पत्र
कोलकाता. हाल ही में सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया में एक खबर सुर्खियों में थी. इस खबर में कहा गया था कि रोजवैली मामले में प्रधानमंत्री के दफ्तर से एक पत्र सीबीआइ को भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि इस मामले में जुड़े तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ गहरी जांच की […]
कोलकाता. हाल ही में सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया में एक खबर सुर्खियों में थी. इस खबर में कहा गया था कि रोजवैली मामले में प्रधानमंत्री के दफ्तर से एक पत्र सीबीआइ को भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि इस मामले में जुड़े तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ गहरी जांच की जाये. पत्र में तृणमूल कांग्रेस के कुछ बड़े दिग्गज नेताओं के नाम का भी जिक्र किया गया है. इस तरह की खबर सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया में सुर्खियां बटोर रही थी. इस मामले में सॉल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में स्थित सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की खबर पूरी तरह से निराधार है. पत्र भेजे जाने की खबर में एक प्रतिशत भी सच्चाई नहीं है.
रोजवैली के नाम होती थी होटल बुकिंग, रहते थे नेता
कोलकाता. रोजवैली के नाम से पांच सितारा होटलों की बुकिंग होती थी, लेकिन उन होटलों का इस्तेमाल तृणमूल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता करते थे और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होते थे. इन होटलों की बुकिंग न केवल कोलकाता में होती थी, वरन राज्य के विभिन्न शहरों में होती थी. हालांकि इन होटलों की बुकिंग रोजवैली के नाम से होती थी और उनके बिल का भुगतान भी रोजवैली के एकाउंट से किया जाता था. सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरंभ में उन लोगों ने समझा था कि इस तरह से रोजवैली अपने काला धन को ह्वाइट मनी में तब्दील कर रहा है, लेकिन बाद में जांच के दौरान इस रहस्य का खुलासा हुआ. वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इन होटलों में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ श्री कुंडू व उनके अधिकारियों की गुप्त बैठकें भी हुआ करती थीं. सीबीआइ ने उन होटलों की वीडियो फुटेज प्राप्त की है. सीबीआइ के अनुसार 2012 से होटलों की बुकिंग का क्रम बढ़ा है, ज्यादातर जगदीशचंद्र बसु रोड स्थित रोजवैली ग्रुप के एक होटल में यह बुकिंग होती थी. इन होटलों की बुकिंग में रोजवैली ने लाख-लाख रुपये खर्च किये हैं. सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर बुकिंग रोजवैली होटल एंड टूरिज्म के माध्यम से होती थी. होटल व टुरिज्म विभाग से दो कर्मियों से पूछताछ से इन तथ्यों का खुलासा हुआ है. सीबीआइ का कहना है कि पूछताछ में गौतम कुंडू ने दावा किया है कि होटलों की बुकिंग उनके व्यवसाय से जुड़ी बैठकों के लिए नहीं की गयी थी, क्योंकि उसके लिए उन लोगों के पास निश्चित जगह थी. इन होटलों की बुकिंग प्रभावशाली नेताओं के कार्यक्रमों के लिए व उनके समर्थकों को ठहरने के लिए होती थी. यहां से नेताओं को रिश्तेदारों व सामाजिक अनुष्ठान के लिए भी रोजवैली के एकाउंट से होटलों की बुकिंग होती थी. सीबीआइ का कहना है कि सारदा चिटफंड के सामने आने के बाद रोजवैली को बचाया जाये. इस बाबत गौतम कुंडू ने तृणमूल कांग्रेस के एक नेता को फोन किया. उस समय उक्त नेता ने कहा कि रोजवैली के कार्यालय में बैठक करना सुरक्षित नहीं है. उनके लिए पांच सितारा होटल में होटल की बुकिंग की गयी. इसके साथ ही कई नेताओं के व्यक्तिगत सचिव के नाम से भी होटल की बुकिंग की गयी थी. यह बुकिंग ग्रुप के जगदीशचंद्र बसु रोड स्थित होटल में की गयी थी.
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