नयी दिल्ली : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने विवादित बयानों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. बात निर्वाचन के पहले की हो या निर्वाचन के बाद की, अपनी पार्टी रिपब्लिकन में भी डोनाल्ड ट्रंप को कई प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ा. ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के नये राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं. डेमोक्रेट के 8 साल के शासन के बाद अमेरिका में इस बात रिपब्लिकन की वापसी हुई है. महज 18 महीनें से जबर्दस्त प्रचार-प्रसार ने अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के ट्रंप सपने का पूरा किया. इस दौरान ट्रंप ने मुसलमानों, संयुक्त राष्ट्र, कई बड़े वैश्विक नेताओं के खिलाफ ऐसे-ऐसे बोल बोले कि उनकी जमकर आलोचनाएं हुई. वहीं ट्रंप के महिला विरोधी रवैये और विचारों को भी मीडिया और विरोधियों ने आड़े हाथो लिया.
स्पष्ट तौर पर बहुमत हासिल कर अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद भी ट्रंप को अमेरिकियों के विरोध का सामना करना पड़ा. लाखों लोगों ने सड़क पर निकल कर ट्रंप का विरोध किया, जो शायद अमेरिका के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. अभी हाल ही में ट्रंप ने कई बार संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने चीन को भी कड़े तेवर दिखाये है और अमेरिका को किसी भी वैश्विक संगठन से ऊपर बताया है. उन्होंने यहां तक कहा है कि 20 जनवरी के बाद बहुत कुछ बदलने वाला है.
ट्रंप के शपथ-ग्रहण समारोह का बहिष्कार करेंगे 18 डेमोक्रेटिक सांसद
अमेरिका में कम से कम 18 डेमोक्रेटिक सांसदों का कहना है कि वे 2016 के चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप की बात उजागर होने और ट्रंप द्वारा नागरिक अधिकार कार्यकर्ता जॉन लेविस को अपमानित किये जाने के बाद इस सप्ताह निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ-ग्रहण समारोह का बहिष्कार करेंगे. न्यूयॉर्क के सांसद वेते क्लार्क ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का फैसला सुनाते हुए कहा, ‘मैं डोनाल्ड ट्रंप के शपथ-ग्रहण में शामिल नहीं होऊंगा. जब आप जॉन लेविस का अपमान करते हैं, तो आप अमेरिका का अपमान करते हैं.’ कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने कहा कि वे समारोह में शामिल होने की बजाय डीसी में और अपने जिलों में विरोध प्रदर्शन करेंगे. ट्रंप ने लेविस को ‘बातें ही बातें’ और ‘कोई काम नहीं’ वाला कहते हुए उनसे कहा था कि रूस की भूमिका के बारे में शिकायत करने के बजाय वह अपने जिले पर ध्यान दें.
ट्रंप के प्रवासी विरोधी रुख को लेकर अमेरिका में विरोध प्रदर्शन
ट्रंप के प्रवासी विरोधी रुख, अमेरिका मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के उनके इरादे और देश में आ रहे मुस्लिमों के खिलाफ विचारों को लेकर उनकी आलोचना करते हुए प्रदर्शनकारियों ने पूरे अमेरिका में रैलियां आयोजित कीं और प्रवासी अधिकारों के प्रति समर्थन जताया. मेरीलैंड के डेमोक्रेट सेन क्रिस वान हॉलेन ने एक ऐसी ही रैली के दौरान वाशिंगटन स्थित ऐतिहासिक अफ्रीकन-अमेरिकन चर्च में कहा ‘हम ट्रंप को स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को खत्म करने की अनुमति नहीं देंगे.’ उन्होंने कहा ‘हमारा देश ऐसे लोगों का देश है, जिन्हें धर्म या पृष्ठभूमि से कोई लेनादेना नहीं है और न ही वह इस बात से सरोकार रखते हैं कि आप किसे पसंद करते हैं.’ वॉशिंगटन, शिकागो, लॉस एंजिलिस, सैन जोस, कैलिफोर्निया सहित देश के विभिन्न हिस्सों में कल ऐसी दर्जनों रैलियां निकाली गयीं.
लगातार मीडिया पर हमले करते हैं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप मीडिया पर हमले करने के लिए काफी चर्चा में रहे. अमेरिका के बड़े मीडिया घरानों के बारे में कई बार ट्रंप के आपत्तिजनक बयान आये हैं. यहां तक कि निर्वाचन के बाद मीडिया के साथ पहली बैठक में भी ट्रंप के बोल में कोई भी अंतर नहीं दिखा और उन्होंने मीडिया को बुरा भला कहा. चुनाव प्रचार के दौरान भी वे कई बार मीडिया के खिला ‘बिकाऊ’ सहित कई आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं. अभी एक- दो दिनों पूर्व भी ट्रंप ने ‘सेटर्डे नाइट लाइव’ शो पर हमला बोलते हुए उसे ‘बेहद बुरा टेलीविजन’ करार दिया. शो में एलेक बाल्डिवन को बतौर ट्रंप पेश कर उनकी हालिया प्रेस वार्ता का मजाक उड़ाया गया था. एनबीसी का यह शो सर्दियों में कुछ समय के अंतराल के बाद शनिवार को एक बार फिर प्रसारित किया गया. ‘हालीवुड रिपोर्टर’ की खबर के अनुसार ट्रंप ने ट्वीटर पर अपनी नाराजगी जाहिर की. ट्रंप ने लिखा, ‘एनबीसी बुरा है, लेकिन सेटर्डे नाइट लाइव एनबीसी का सबसे बदतर शो…बहुत ही बुरा टेलीविजन.’
अखबार को दिये साक्षात्कार में ट्रंप ने को नाटो को बताया अप्रासंगिक
ट्रंप ने द टाइम्स ऑफ लंदन अखबार को दिये गये एक साक्षात्कार में नाटो गठबंधन को अप्रासंगिक बताते हुए शिकायत की कि यह संधि आतंकवाद की परवाह नहीं करती है. ट्रंप ने साक्षात्कार में कहा, ‘मैंने बहुत पहले ही कहा था कि नाटो की बहुत सारी समस्याएं हैं. पहली समस्या तो यह है कि यह अप्रासंगिक हो चुका है, क्योंकि कई साल पहले इसे तैयार किया गया था.’ हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि उनके लिए नाटो अभी भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘इनमें से कई देश उतनी मात्रा में धन नहीं दे रहे हैं जितना उन्हें देना चाहिए और यह अमेरिका के लिए अच्छा नहीं है.’ ट्रंप ने कहा कि केवल पांच देश ही वह राशि दे रहे हैं, जो उन्हें देना चाहिए. केवल पांच देश… और यह पर्याप्त नहीं है. नाटो देशों की ओर से खर्च होने वाले कुल धन का 70 फीसदी हिस्सा अमेरिका वहन करता हैं. अगर नाटो के किसी भी सदस्य देश पर हमला होता है तो वह एक-दूसरे की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस आत्म रक्षा वाले उपबंध का उपयोग इतिहास में सिर्फ एक बार अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद हुआ था.
प्रवासियों पर भी ट्रंप ने कई बार चलाये जबानी तीर
डोनाल्ड ट्रंप प्रवासियों को लेकर भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. एक हालिया साक्षात्कार में ट्रंप कहा कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने अपने देश में प्रवासियों को अनुमति देकर एक ‘भयावह गलती’ की है. हालांकि उन्होंने चांसलर के लिए ‘बेहद सम्मान’ होने की बात भी कही. पश्चिमी यूरोप में तथाकथित ‘बाल्कन मार्ग’ के पास स्थित देशों पर भारी दबाव के मद्देनजर मर्केल ने वर्ष 2015 में जर्मनी के द्वार सभी प्रवासियों के लिए खोल दिये थे. इसके बाद करीब 8,90,000 प्रवासियों ने जर्मनी में शरण ली थी, जिसमें से अधिकतर सीरिया से थे.
ट्रंप ने कहा कि वह मर्केल और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ‘दोनों पर भरोसा’ करना शुरू करेंगे. उन्होंने कहा, ‘देखते हैं कि यह कितनी देर तक चलता है.’ मर्केल की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर को बर्लिन में हुए आतंकी हमले के बाद मर्केल की नीति के परिणाम स्वरुप एक स्पष्ट प्रभाव सामने आया है. इस हमले में 12 लोग मारे गये थे.