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कोयले की गुणवत्ता सुधारें
कोलकाता. दामोदर घाटी निगम ने कोल इंडिया से कोयले की गुणवत्ता सुधारने के लिए कहा है. डीवीसी के मुताबिक 78 फीसदी टेस्ट नतीजों में ग्रेड की गुणवत्ता कम पायी गयी है. डीवीसी तथा अन्य बिजली उत्पादन कंपनियों ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फुएल रिसर्च (सीआइएमएफआर) से त्रिपक्षीय करार किया है. इस करार में काउंसिल […]
कोलकाता. दामोदर घाटी निगम ने कोल इंडिया से कोयले की गुणवत्ता सुधारने के लिए कहा है. डीवीसी के मुताबिक 78 फीसदी टेस्ट नतीजों में ग्रेड की गुणवत्ता कम पायी गयी है. डीवीसी तथा अन्य बिजली उत्पादन कंपनियों ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फुएल रिसर्च (सीआइएमएफआर) से त्रिपक्षीय करार किया है.
इस करार में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) और कोयला कंपनियां हैं. डीवीसी सालाना 20 मिलियन टन कोयला खरीदती है. इसे कोल इंडिया की सब्सिडियरी, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड से लिया जाता है.
नाम न बताने की शर्त पर डीवीसी के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल मल्टीपल-ग्रेड स्लिपेज देखा जा रहा है. बीसीसीएल द्वारा की गयी आपूर्ति में यह सर्वाधिक 98 फीसदी देखा जा रहा है. इसके बाद सीसीएल में 84 फीसदी और एमसीएल में 61 फीसदी स्लिपेज देखा जा रहा है. इन कोयलों की जांच गत वर्ष नवंबर से दिसंबर महीने के बीच में हासिल कोयले के सैंपल से की गयी थी. सीआइएमएफआर ने इसीएल द्वारा हासिल टेस्ट के नतीजे अभी नहीं दिये हैं.
कोल इंडिया को इस बाबत बताया गया है कि वह कोयले की गुणवत्ता में सुधार करे. कोयला कंपनियां घोषित ग्रेड पर रुपये लेती हैं, लेकिन उन्हें जांच किये गये ग्रेड पर रुपये लेने चाहिए. डीवीसी अधिकारी ने बताया कि कोयला कंपनियों ने जांच के नतीजों को चुनौती भी दी है. कोयला कंपनियां जांच के नतीजों को स्वीकार नहीं कर रही. डीवीसी ने कोल इंडिया को इस दिशा में संयुक्त रूप से कार्य करने का सुझाव दिया है.
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