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पटना नाव हादसा : डूबीं जिंदगियां, हर तरफ मौत का मातम

पटना : हादसे रोके नहीं जा सकते और न इसका पूर्व में अनुमान ही लगाया जा सकता है. शनिवार की घटना पहली घटना नहीं थी. नवंबर, 2012 में छठ घाट हादसा और फिर नवंबर, 2014 में गांधी मैदान में भगदड़ से प्रशासन ने सबक लिया, तो 2016 में छठ और हाल ही में बीता प्रकाश […]

पटना : हादसे रोके नहीं जा सकते और न इसका पूर्व में अनुमान ही लगाया जा सकता है. शनिवार की घटना पहली घटना नहीं थी. नवंबर, 2012 में छठ घाट हादसा और फिर नवंबर, 2014 में गांधी मैदान में भगदड़ से प्रशासन ने सबक लिया, तो 2016 में छठ और हाल ही में बीता प्रकाश पर्व का आयोजन सफल रहा था. लेकिन सरकार के एक और आयोजन में प्रशासन की चूक ने 30 लोगों की जल समाधि बना दी. घटना के घंटों बाद भी प्रशासन के आला अधिकारी सोये रहे, इस कारण मरनेवालों की संख्या रात भर बढ़ती रही. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएमसीएच में घायल जब पहुंचाये गये, तो छह को सीधा पोस्टमार्टम रूम भेज दिया गया, क्योंकि वे लाश बन चुकी थी. 15 शव तो फर्श पर पड़े रहे, डॉक्टर के लि ए करने को कुछ भी नहीं था.

तेजी से भरा पानी, डूबीं जिंदगियां
अनिकेत त्रिवेदी

बगल वाला खड़ा लड़का पहले से कह रहा था कि लगता है कुछ होगा. हम लोग दियारा में खूब मस्ती कर के लौट रहे थे. शायद साढ़े पांच बजे का समय रहा होगा. अभी तो गंगा नदी में दो मिनट भी नाव आगे नहीं चली थी. तभी से हादसा हो गया. उसने बताया कि नाव में पानी भरने लगा था, लोग चिल्लाने लगे थे. और फिर कुछ ही पल में मैं गंगा में डूब गयी.

पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड के ट्रायज रूम भरती नाव हादसे की शिकार सीमा कुमारी अपनी आप बीती बता रही थी. उसके चेहरे पर पानी में डूबने का खौफ अभी तैर रहा था. लगभग दो घंटे के बाद होश आने पर भगवान को लगातार धन्यवाद कर रही थी. उसने बताया कि वह महेंद्रू के मोहम्मदपुर की रहने वाली है. वो बगल में रहने वाले किरायेदार रूपा देवी, नीलम देवी और शांति देवी के साथ मकर संक्रांति का मेला देखने गयी थी.

17 वर्षीय सीमा ने बताया कि पानी में डूबने के बाद उसका होश खत्म हो गया था. लगभग दो घंटे बाद अस्पताल में सात बजे होश आया. सीमा मछुआ टोली के आर्य कन्या विद्यालय में पढ़ने वाली कक्षा 10 की छात्रा है. उसने बताया कि जब उसे होश आया तो पता चला की साथ गयी रुपा देवी नाव हादसे में मर चुकी है.

दो वर्ष का नाती भी मरा, बेटी को क्या जवाब दूंगी
उसी नाव पर रानी घाट के शंकर प्रसाद भी सवार थे. वो दि यारा में अपनी पत्नी मंजू देवी व दो वर्ष के नाती आदित्य राज के साथ मकर संक्रांति का आयोजन देखने गये थे. हादसे में उनके नाती की मौत हो गयी. खुद तैर कर वापस आ गये. पत्नी को एनडीआरएफ वाले लोगों ने बचा लिया. वहीं मंजू देवी बताती हैं कि पेट में पानी अधिक जाने के बाद उन्हें हल्का दर्द हो रहा है. हादसे का वक्त अभी भी भुला नहीं है. मेरी बेटी का बेटा मर गया है. अब मै उसे क्या जवाब दूंगी.

एनाउंसमेंट के बाद मचगयी भगदड़
बड़हरवा घाट के सामने जिस सबलपुर दियारे में यह घटना हुयी, उस घाट पर बिहार सरकार के एनआइसी में कार्यरत प्रिंस कुमार तिवारी भी अपने पूरे परिवार के साथ पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि शाम पौने चार बजे अचानक अनाउंस किया गया कि चार बजे के बाद नाव की सरकारी फ्री सेवा बंद कर दी जायेगी. इसके बाद ही नाव में भीड़ बढ़ गयी. थोड़ी देर पहले से वह पूरे परिवार के साथ घाट से निकले थे. घर पहुंचने पर पता लगा कि इतने लोगों की मौत हो गयी है. प्रिंस ने बताया कि शाम होते-होते सुरक्षा में जुटे अधिकांश लोग गायब हो गये थे. एक इंस्पेक्टर भी तैनात नहीं था, इस कारण नाव में क्षमता से अधिक भीड़ बढ़ती चली गयी.

तीन बजे पानी में टूटी थी बड़ी नाव पर जानेवाली चचरी
हादसा होने से पहले भले ही किसी को पता नहीं होता, लेकिन घटना का संकेत पूर्व में ही मिल जाता है. शनिवार को मकर संक्रांति के दौरान हुए हादसे से पहले भी कुछ ऐसा ही हुआ था. दियारा में कार्यक्रम सुबह से ही शुरू था. करीब पांच बजे कार्यक्रम समाप्त होने की संभावना थी. दोपहर करीब तीन बजे एक घटना घटी. बड़ी नाव पर जाने के लिए 20 फुट लंबी बांस का चचरी बनायी गयी थी. लोग बड़ी नाव पर जाने के लिए उस चचरी का प्रयोग कर रहे थे. दिन ढलते-ढलते भीड़ बढ़ने लगी.

नाववाले एक साथ कई नावों को किनारे लगा रहे थे. बांस की चचरी पर दबाव बढ़ने लगा था. करीब तीन बजे चचरी टूट गयी. कई लोग घाट के किनारे ही पानी में गिरे, लेकिन किसी को कुछ नहीं हुआ. इसमें किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन वहां मौजूद पुलिस और लोगों ने इसे हल्के में लिया था.

जेनेरेटर का पिस्टन फटा, नाव लहराने लगी और हो गया हादसा
हादसे से बच निकले लोगों ने बताया कि नाव काफी ओवर लोडेड थी. करीब 80 लोग इस पर सवार थे. शाम साढ़े पांच बजे नाव चली. गांधी घाट के बगलवाले घाट बहरवा के सामने से उस पर दियारा से हम लोग चले थे. नाव में पहले से थोड़ा पानी था. जैसे ही वह 100 मीटर बढ़ी, तो ओवर लोड के कारण नाव के जेनेरेटर का पिस्टन फट गया. इसके बाद जेनरेटर से पानी रिवर्स नाव में फेकने लगा. फिर नाव मचलने लगी. और मात्र तीन से चार मिनट में पानी में समा गयी.

हर तरफ मौत का मातम, शवों की लगी कतार
मातम में बदल गयी, जब पटना के गंगा दियारे से पतंगोत्सव से लौट रही एक नाव गंगा में समा गयी. इसमें सवार दर्जनों की मौत हो गयी. 19 लोग तैर कर बाहर आ गये. वहीं, आठ लोगों का इलाज पीएमसीएच में चल रहा है. इलाज के दौरान एक 45 साल की महिला की मौत हो गयी. वहीं, डेढ़ साल की पीहू कुमारी नाम की एक बच्ची का हालत गंभीर बनी हुई है. पानी उसके पूरे शरीर में चला गया है.

इधर, नाव डूबने के बाद पीएमसीएच में इलाज की जानकारी जैसे ही परिजनों को हुई आनन-फानन में वे यहां पहुंचे और अपने रिश्तेदारों को खोजने लगे. आंखों में आंसू लिए परिजन एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक घूम रहे थे. कोई डॉक्टर तो कोई कंट्रोल रूम में जाकर जानकारी ले रहा था.

गेट बंद, सब्र का टूटा बांध, फिर लाठीचार्ज
हादसे में घायल छह मरीजों का इलाज पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में चल रहा था. अपने परिचि तों को वार्ड में भरती देख सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच गये. बढ़ती भीड़ को देखते हुए इमरजेंसी के दोनों गेटों को बंद कर दिया गया. लोग सुरक्षा कर्म चारियों से गेट खोलने की बात कर रहे थे. अंत में जब गेट नहीं खुला, तो सैकड़ों की संख्या में लोग गेट तोड़ने का प्रयास करने लगे. नतीजन पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. लाठीचार्ज के बाद वहां से पर जुटे लोगों में अफरा-तफरी मच गयी. बाद में भीड़ को हटा दिया गया.

पोस्टमार्टम के लि ए पहुंची 11 शव
डूबने से हुए मौत के बाद पीएमसीएच में 11 डेड बॉडी पहुंची, जिसे पोस्टमार्टम के लिए शव गृह में रखा गया. शाम सात से रात 11 बजे तक बॉडी आने का सिलसिला जारी रहा. डेड बॉडी एंबुलेंस के माध्यम से पीएमसीएच पहुंची, जहां सीधे शव गृह में रखा गया. जहां से पहचान कर उसे पोस्टमार्टम किया जायेगा.

अस्पताल में फर्श पर पड़े थे शव, डॉक्टरों को करने के लिए कुछ नहीं बचा था
शशि भूषण कुंअर

पटना: पीएमसीएच के इमरजेंसी ऑपरेशन थियेटर में 15 शव फर्श पर पड़े थे. सबकी आंखें खुली हुई. नब्ज बैठा हुआ. चिकित्सकों को आॅपरेशन थियेटर में पड़े शवों को इलाज के नाम पर करने के लिए कुछ नहीं रह गया था. अंदर जांच के नाम पर इसीजी से धड़कन की जांच की जा रही थी. इस बीच प्रशासन व चिकित्सकों के बीच रह-रह कर शवों को लेकर भ्रम की भी स्थिति पैदा हो जाती थी. कभी गिनती में शव 15 तो कभी 14 हो जाते थे. अंत में इमरजेंसी के अंदर में यह निर्धारित हो गया कि शवों की कुल संख्या 15 है, जिसमें 15 की शिनाख्त कर ली गयी है. उधर पोस्टमार्टम रूम में कुल 21 शव लाये गये थे. इसमें छह शव इमरजेंसी न ले जाकर सीधे पोस्टमार्टम रूप पहुंचा दिये गये थे. रात सात बजे के बाद पीएमसीएच का नजारा बिल्कु ल बदला हुआ था. यह नजारा कुछ उसी तरह का था जब दशहरा के समय लोगों के शव पीएमसीएच लाये गये थे

पुलिस अफसरों को देख भड़के परिजन, कहा-इतना फोर्स वहां होता, तो नहीं जाती भाई की जान
पटना . देर शाम होते-होते पीएमसीएच में परिजनों की चित्कार गूंजने लगी थी. इमरजेंसी के अंदर से लेकर बाहर तक फोर्स भरा पड़ा था. रोते-बिलखते लोग आक्रोशित नजर आ रहे थे. रात 10.10 बजे इमरजेंसी में केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के पहुंचते ही एक परिजन फूट पड़ा. सर ये मर्डर है. गवर्नमेंट ऑर्गेनाइज किया था. इतना फोर्स अगर वहां रहता तो मेरा भाई जाता क्या?

32 साल का लड़का बेमौत मर गया. इसका जिम्मेवार कौन है? उन्होंने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने बुला कर मेरे भाई का मर्डर कर दिया. इमरजेंसी ओटी के बाहर निशानदेही करने वाले लोगों की भीड़ लगी थी, जिसको संभालने में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी. गेट के बाहर ही महेंद्रू के संतोष भी खड़े थे, जिनकी भाभी, दो भगिनी व एक भतीजी इस घटना का शिकार हो गयी. आलोक कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन उनके साथ आये एक मित्र ने बताया कि तीनों बच्चे व भाभी इस दुर्घटना के शिकार हो गये. दोनों भगिनी अर्पिता व अंजलि करीब ढ़ाई से चार साल की थी जबकि भतीजी लाडो तीन साल की थी.

रात 10.15 बजे एडीजी आलोक राज के पहुंचते ही पीएमसीएच प्रशासन ने ओटी के सामने से भीड़ हटाने का निवेदन किया. उनके आग्रह पर एडीजी ने एएसपी राकेश कुमार को खुद मौके पर तैनात रहने को कहा, ताकि हंगामे की स्थिति न बने. पांच मिनट बाद ही एडीजी पीएन राय भी पहुंचे. उन्होंने भी भीड़ को नियंत्रित करने की सलाह दी. इस बीच, ओटी से लाश निकलने का सिलसिला शुरू हो गया. इसको देख कर गलियारे में खड़े परिजनों की आंखे लाल हो उठी. हर किसी के आंख से परिजन को याद कर आंसू निकल पड़े.

मालसलामी का एक युवक अजीत कुमार भी गलियारे में खड़ा था. वह अपने दूर के रिश्तेदार को देखने आया था. अजीत ने बताया कि रिश्तेदार ने फोन कर कहा कि उनके भाई-भाभी और बच्ची इस दुर्घटनाका शिकार हुए हैं. उनके पहुंचने तक पीएमसीएच जाकर देख लें. पीएमसीएच पहुंचने पर पता लगा कि उनकी मौत हो चुकी है. करीब आधे घंटे बाद जब उनका रिश्तेदार पहुंचा तो पत्नी व बच्चों को ओटी में पड़ा देख कर दहाड़े मार रोने लगा. देर रात तक पीएमसीएच इमरजेंसी के अंदर यही स्थिति रही. डीआइजी शालीन और एसएसपी मनु महाराज भी खुद बार- बार घूम कर इसकी मॉनीटरिंग में जुटे थे.

चल रही थी ओवरलोडेड नावें
सबलपुर दियारा में हुए हादसे ने एक बार फिर से प्रशासन की चौकसी की पोल खोल दी है. प्रशासन द्वारा गंगा नदी में ओवरलोडिंग को लेकर हमेशा निर्देश दिया जाता है, लेकिन इसे रोकने के लिए किसी प्रकार की व्यवसस्था नहीं की जाती है. इस हादसे के बाद फिर से यह बात प्रकाश में आयी है कि ओवरलोडिंग को रोकने के लिए प्रशासन का ककोई ध्यान नहीं था और यह घटना घटित हो गयी. सबलपुर दियारा के लोग वहां से साग लेकर गांधी घाट की ओर जा रहे थे और उसमें दर्जनों लोग सवार हो गये थे. लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं था.

जिस घाट से नाव का परिचालन हो रहा था, वहां जि ला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की तैनाती नहीं थी. जबकि उस से आधा किलोमीटर पर प्रशासन द्वारा आयोजित मकर संक्राति को लेकर की गयी व्यवस्था को लेकर सोनपुर व पटना पुलिस की टीम को तैनात किया गया था. सूत्रों का कहना है कि लोगों की संख्या काफी हो गयी थी और प्रशासन द्वारा किये गये नाव का प्रबंध कम पड़ रहा था. जिसके कारण कई लोग वहां से आधा किलोमीटर पैदल चल कर गांधी घाट के सामने ही घाट पर आये, क्योंकि वहां से ओवरलोडेड नाव का परिचालन हो रहा था और कोई देखने वाला भी नहीं था.

सोनपुर एसडीओ मदन प्रसाद का भी दावा था कि कार्यक्रम को लेकर सारण जिले की ओर से भी सुरक्षा के प्रबंध किये गये थे. पटना पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी व पचास लाठीधारी पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. इस घटना के बाद यह प्रकाश में आ गया कि प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद निजी नाव का परिचालन जारी था.

बख्शे नहीं जायेंगे दोषी : डीएम
पटना. डीएम एसके अग्रवाल ने बताया नौ लोगों को पीएमसीएच भेजा गया है, जिनकी हालत स्थिर बतायी जा रही है. 20 बॉडी को रिकवर करने के बाद पीएमसीएच लाया गया है. पीएमसीएच में आइडेंटिफिकेशन करवाने के बाद पोस्टमार्टम करा कर उनके परिजनों को हाथों हाथ सौंप दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि देर रात रोशनी की समस्या को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया गया, सुबह फिर से शुरू होगा.

दो नावों की टक्कर की होगी जांच
दो नावों की टक्कर के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एक-दो प्रत्यक्षदर्शी मिले. रात होने की वजह से सब लोग चले गये थे. कल कुछ प्रत्यक्षदर्शी और भी सामने आयेंगे. इस संबंध में एक वीडियो मिला है. उस वीडियो को भी हम लोग एक्जामिन कर रहे हैं. एनडीआरएफ के जवान कल नदी के तल तक जायेंगे और जो भी डूबे हैं, उनको रिकवर किया जायेगा. उन्होंने कहा कि किन कारणों से यह घटना हुई, उसकी विस्तृत जांच करायी जा रही है.

राज्य सरकार द्वारा जो मुआवजा घोषित किया गया है, वह भी आज ही रात दे दिया जायेगा. चूक कहां हुयी संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पूरे मामले के तह तक जाया जायेगा. दोषियों को नहीं बख्शा जायेगा. पूरी जांच की जायेगी और जांच में जो भी जवाबदेह व्यक्ति, संस्था होगा.

अगस्त, 2006 में घटी थी ऐसी ही घटना
अमिताभ श्रीवास्तव

पटना सिटी: गंगा तट पर एकत्रित भीड़ , रोते बिलखते परिजन, दौड़ते भागते राहत और बचाव दल. अधिकारियों और नेताओं की चहलकदमी. कुछ इसी तरह के दृश्य से करीब 11 साल पूर्व दमराही घाट के लोग सिहर उठे थे. दरअसल, अगस्त, 2006 में मालसलामी थाना क्षेत्र के दमराही घाट पर राघोपुर दियारा से आ रही यात्रियों से लदी नाव डूब गयी थी.

इस घटना में लगभग 50 लोगों ने जल समाधि ले ली थी. हालांकि, पुलिस व राहत बचाव दल ने महज 44 लोगों का शव उफनती गंगा से निकाला था. मरनेवालों में अधिकांश लोग राघोपुर प्रखंड के विभिन्न गांवों के थे, जो उफनती गंगा को नाव से लांघ कर पटना आ रहे थे. जब दमराही घाट के लोगों को यह पता चला कि पटना के एनआइटी घाट पर फिर वैसा ही हादसा हुआ है, तो उनके आंखों के सामने वही दृश्य उभर कर सामने आ गया.

दमराही घाट नि वासी महेंद्र राय, वीरेंद्र राय समेत अन्य लोगों के आंखों के सामने वो खौफनाक मंजर उभर आया. भाजपा नेता अनिल यादव बताते हैं कि उस समय का दृश्य ऐसा था कि शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. गोताखोर डूबकी लगा कर एक का शव निकाल तट पर लाकर रखते थे, फिर दूसरा शव निकालने के लिए पानी में उतर जाते थे. सुबह साढ़े 10 से 11 बजे के बीच घटी घटना के बाद शाम होने तक शव निकालने का सिलसिला बना था. भाजपा नेता की मानें, तो पहले दिन 36 शव निकला था, इसके बाद दूसरे दिन भी शव निकाला गया था. हालांकि, मृतक के आश्रितों को मुआवजा मिला था.

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