झारखंड में करीब 20 वर्षों बाद शुरु हो रही हाईस्कूल शिक्षक-नियुक्ति प्रकिया स्थगित करनी पड़ी, खामियों का तकाजा देकर. अगर गंभीरता से विचार किया जाये, तो यह पूरी शिक्षा व्यवस्था की खोखली तस्वीर दिखा जाती है.
सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन में न्यूनतम 45% अंक की बाध्यता , मुख्य पेपर में 50% उत्तीर्णांक की अनिवार्यता तथा निगेटिव मार्किंग की व्यवस्था – ये तीन प्रमुख कारण हैं जिसका विरोध ‘भावी शिक्षक’ समुदाय द्वारा किया गया और प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ गयी. पिछले करीब तीन वर्षों से नयी नियमावली बन रही थी और पहला कदम बढ़ाते ही सरकार को पीछे हटना पड़ा. क्या हमारे राज्य के शिक्षा-विशेषज्ञ, संबंधित मंत्री और कर्मचारी राज्य के शिक्षा प्रणाली से अवगत नहीं हैं? उम्मीद है, सरकार कठोर पर कारगर निर्णय ले ताकि समाज को सही पथ -प्रदर्शक मिल सके.
अमरेश कुमार, हजारीबाग