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विकास के मामले में अकेला पड़ा गोविंदपुर
वर्ष 2007 में शहर में शामिल हुआ था यह इलाका गया : शहर के गोविंदपुर मुहल्ले के लोगों को शहरी सुविधाओं का इंतजार है. इस इलाके को 2007 में शहर में शामिल किया गया था. लेकिन, अब भी लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं. मुहल्ले में लगा सरकारी चापाकल करीब डेढ़ माह से […]
वर्ष 2007 में शहर में शामिल हुआ था यह इलाका
गया : शहर के गोविंदपुर मुहल्ले के लोगों को शहरी सुविधाओं का इंतजार है. इस इलाके को 2007 में शहर में शामिल किया गया था. लेकिन, अब भी लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं. मुहल्ले में लगा सरकारी चापाकल करीब डेढ़ माह से खराब है. यहां के लोगों ने बताया कि वे सिर्फ निगम को टैक्स देते हैं. इसके एवज में उन्हें कुछ नहीं मिलता. निगम के अधिकारी यहां की सुध लेने कभी नहीं आते. इलाके की समस्याओं के बारे में बात करे, तो यहां नाली-गली तक नहीं है.
वाटर सप्लाइ के लिए पाइप लाइन नहीं है. उबड़-खाबड़ रोड व बजबजाती नालियां ही यहां की पहचान बन गयी है. शहर में शामिल होने के 10 साल बाद भी यह मुहल्ला विकास की बाट जोह रहा है. पता चला है कि कुछ ही लोगों को पेंशन व राशन कार्ड का लाभ मिलता है. विडंबना यह है कि पार्षद विभा देवी (2012-14) के वार्ड में यह इलाका आता है और वह दो साल तक मेयर रहीं. इसके बाद भी यहां विकास का काम नहीं हो सका. लोगों ने बताया कि कई बार चर्चाएं हुईं कि गोविंदपुर में विकास के लिए कई योजनाएं निगम बोर्ड से पारित की गयी हैं, पर यह लोगों के जुबान तक ही सीमित रह गयी.
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