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जल्द लागू होगी बच्चों से जुड़ी नियमावली

पटना: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत बनी नियमावली बीते 23 सितंबर से देश भर में लागू कर दी गयी है. इसके तहत तीन महीने से रुल्स को लागू करने के लिए राज्य सरकार अपने स्तर से काम कर रही है. समाज कल्याण विभाग का किशोर न्याय अधिनियम के तहत बने नियमों को सुविधानुसार लागू […]

पटना: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत बनी नियमावली बीते 23 सितंबर से देश भर में लागू कर दी गयी है. इसके तहत तीन महीने से रुल्स को लागू करने के लिए राज्य सरकार अपने स्तर से काम कर रही है. समाज कल्याण विभाग का किशोर न्याय अधिनियम के तहत बने नियमों को सुविधानुसार लागू करने पर पूरा जोर है. समाज कल्याण विभाग की इकाई सक्षम की ओर से अलग से कर्मचारियों की टीम बनायी गयी है, जो बीते तीन महीने से नियमावली का अध्ययन कर रही है. इस कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार की मुहर लगने के बाद अधिनियम लागू किया जायेगा़.
एनजीओ का निबंधन अनिवार्य
अधिनियम के तहत बच्चों के देखभाल एवं सरंक्षण करने वाले सभी सरकारी और गैरसरकारी एजेसिंयों का निबंधन अनिवार्य किया गया है. बिना निबंधन वाले एजेंसियों को सेक्शन 41 के तहत एक साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माना का प्रावधान किया गया है.
नहीं दिया जायेगा मृत्युदंड
किशोर न्याय अधिनियम के नियमों के तहत 16 से 18 वर्ष के बच्चों द्वारा किये गये अपराधों में सर्वप्रथम किशोर न्याय परिषद द्वारा प्रारंभिक जांच की जानी है. जहां बच्चे का मानसिक आकलन करने के बाद व्यस्क पाये जाने पर उसके वादों को बाल न्यायालय एडीजे प्रथम के कोर्ट में व्यस्क के रूप में अनुसंधान किया जाना है. इसके तहत किशोरों को आजीवन कारावास व मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है. इन प्रावधानों के बावजूद बच्चे को सजा से बाहर भी लाना है. सक्षम कमेटी इन प्वाइंटों को नोट कर इनमें गुंजाइश की संभावना भी तलाशेगी. इनमें थोड़ा बहुत परिवर्तन भी किया गया है. जैसे बच्चे का अपराध साबित होने के बाद उसे आजीवन कारवास की सजा न देकर समय सीमा निर्धारित करना है.

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