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मायूसी कालचक्र पूजा में शामिल होने बोधगया नहीं आये नियमित श्रद्धालु

बोधगया : पिछले वर्ष आयोजित होनेवाले कालचक्र पूजा के स्थगित होने के बाद बोधगया के कारोबारियों को हुए नुकसान की भरपाई इस वर्ष आयोजित कालचक्र पूजा भी नहीं कर पा रही है. मुख्य रूप से होटलों व गेस्ट हाउसों के लगभग आधे कमरे खाली हैं. कई होटलों में तो कालचक्र पूजा में आये एक भी […]

बोधगया : पिछले वर्ष आयोजित होनेवाले कालचक्र पूजा के स्थगित होने के बाद बोधगया के कारोबारियों को हुए नुकसान की भरपाई इस वर्ष आयोजित कालचक्र पूजा भी नहीं कर पा रही है. मुख्य रूप से होटलों व गेस्ट हाउसों के लगभग आधे कमरे खाली हैं. कई होटलों में तो कालचक्र पूजा में आये एक भी श्रद्धालु नहीं ठहरा है. होटल कारोबारियों को इस कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनका कारोबार घाटे में बताया जा रहा है व इसकी भरपाई के लिए कई होटलों में टैरिफ भी कम कर दिया गया है.

होटल एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार सिंह ने बताया कि होटलों व गेस्ट हाउसों में कमरे खाली रहने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि कालचक्र पूजा की सूचना पर दक्षिण-पूर्व एशिया के देश जैसे थाइलैंड, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, हांगकांग, लाओस आदि देशों के नियमित बौद्ध श्रद्धालुओं ने बोधगया आने से परहेज कर दिया. भीड़ होने व आवासन में असुविधा होने के डर से कई ग्रुपों ने बोधगया की यात्रा रद्द कर दी.
होटल मालिकों ने भी कालचक्र पूजा में आने वाले श्रद्धालुओं से अच्छी-खासी आमदनी होने की चाहत में नियमित श्रद्धालुओं व पर्यटक ग्रुपों की बुकिंग नहीं ली थी. अब कालचक्र पूजा में श्रद्धालुओं की कम संख्या के साथ ही आयोजन समिति द्वारा टेंट सिटी तैयार कर आवासन की सुविधा उपलब्ध कराये जाने के कारण होटलों की डिमांड कम हो गयी है. श्री सिंह ने बताया कि आकलन के अनुसार कालचक्र पूजा में बेहतर व्यवसाय होने की उम्मीद में आस लगाये होटल व गेस्ट हाउस के मालिकों को करीब 50 करोड रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि इसी तरह निजी घरों में भी श्रद्धालुओं को ठहराने वाले लोगों को भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. बहरहाल, कालचक्र पूजा से बोधगया के पर्यटन व्यवसाय को कुछ खास फायदा होने की उम्मीद नहीं दिख रही है.
कालचक्र पूजा के दौरान भी बोधगया के होटलों में सन्नाटा पसरा हुआ है.
पांच के बाद संख्या बढ़ने की उम्मीद
कालचक्र पूजा में आनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या कम होने से कारोबारियों में निराशा है. उम्मीद जतायी जा रही है कि पांच जनवरी के बाद बौद्ध श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ सकती है. कालचक्र पूजा आयोजन समिति का भी मानना है कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार तीन जनवरी से कालचक्र पूजा शुरू होनी थी व पांच जनवरी तक भूमि पूजन व अन्य तरह के धार्मिक अनुष्ठान होने थे. इसके बाद दलाई लामा का प्रवचन का शेड्यूल रखा गया है. समिति ने उम्मीद जतायी है कि पांच जनवरी से श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा. उल्लेखनीय है कि कालचक्र मैदान में 80 हजार श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था की गयी है.
मैदान के पास चिल्ड्रेन पार्क, बस पड़ाव व समन्वय आश्रम की चहारदीवारी से सटे स्थान पर करीब 20 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गयी है. आकलन के आधार पर अब तक कालचक्र पूजा में शामिल होने के लिए करीब एक लाख श्रद्धालु बोधगया पहुंच चुके हैं.
लोग तो हैं, पर कारोबार मंदा
कालचक्र पूजा को लेकर बोधगया में जुटनेवाले लाखों बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए कई युवकों ने अस्थायी रूप से रेस्टोरेंट खोला था. उन्हें उम्मीद थी कि श्रद्धालुओं की जरूरतों को पूरा कर कुछ कमाई कर लेंगे. इसके लिए किराये पर जगह के साथ ही दूसरे से 10-20 हजार रुपये कर्ज लेकर रेस्टोरेंट खड़ा किया. लेकिन, पूजा में श्रद्धालुओं की कम संख्या के साथ ही नोटबंदी के कारण उनके खर्च करने की क्षमता पर लगी ब्रेक के कारण युवकों को निराशा ही हाथ लग रही है.
यूं तो बोधगया के हर क्षेत्र में सड़कों के किनारे छोटे-छोटे रेस्टोरेंट व अन्य दुकानें खुली हुई हैं, पर उनके पास ग्राहकों की कमी देखी जा रही है. नोड वन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में दूसरे से रुपये लेकर रेस्टोरेंट खाेलनेवाले अमित कुमार, अजीत कुमार, राहुल कुमार, विक्की व अन्य ने बताया कि कालचक्र की फिराक में घर का आटा गीला हो गया है. अब पूंजी के निकलने की उम्मीद नहीं दिख रही है. इसी तरह फुटपाथ पर दुकान लगानेवाले दुकानदारों ने भी भीड़ के बावजूद कारोबार मंदा होने की बात कही. दुकानदार अब भी उम्मीद में हैं कि कुछ बिक्री हो जाए तो कुछ राहत मिले.

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