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अखिलेश के नेतृत्व में लड़ा जायेगा चुनाव, कोई समझौता नहीं : रामगोपाल यादव

नयी दिल्ली/लखनऊ : समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिशें फेल होती नजर आ रही हैं. पिता मुलायम सिंह यादव व पुत्रअखिलेश यादव के बीच आज तीन घंटेसेअधिक लंबी वार्ता के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला.ऐसे में मुलायम सिंह यादव ने एक बारफिर अखिलेशको वार्ता का प्रस्ताव दिया है. इस बीच रामगोपाल यादव ने बयान […]

नयी दिल्ली/लखनऊ : समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिशें फेल होती नजर आ रही हैं. पिता मुलायम सिंह यादव व पुत्रअखिलेश यादव के बीच आज तीन घंटेसेअधिक लंबी वार्ता के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला.ऐसे में मुलायम सिंह यादव ने एक बारफिर अखिलेशको वार्ता का प्रस्ताव दिया है. इस बीच रामगोपाल यादव ने बयान जारी करते हुए कहाहै कि राष्ट्रीय अध्यक्ष केपदपर अखिलेश यादव बने रहेंगे और उनके नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा जायेगा. रामगोपाल ने न्यूज एजेंसी एएनआइ से कहा है कि अब किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है. रामगोपाल ने कहा है कि कोई कन्फ्यूजन की स्थिति नहीं है, जहां तक सिंबल की बात है यह इलेक्शन कमीशन तय करेगा.

प्राप्त जानकारी के अनुसार नेताजी सुबह दिल्ली में थे जब उनकी अखिलेश से फोन पर बात हुई. खबर है के अखिलेश को मुलायम ने कहा कि अब लखनऊ पहुंचकर ही बात होगी. मुलायम के लखनऊ पहुंचते ही अखिलेश उनके आवास पहुंचे. इस बीच अखिलेश खेमा चुनाव आयोग से मिला और साइकिल के चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोंका. चुनाव आयोग पहुंचने वालों में रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल समेत कई नेता थे. आयोग के साथ बैठक के बाद रामगोपाल ने कहा कि अखिलेश को 90% विधायकों का सपोर्ट है.

इधर, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने आज कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाले दोनों धडों के बीच की दरार के भर जाने की संभावना है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कुछ भी हो सकता है. अखिलेश और राम गोपाल यादव द्वारा मुलायम को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने से पहले आजम ने ही इन दोनों के निष्कासन को रद्द करने के लिए मुलायम से कहा था. आजम ने कहा कि वह मैत्री कराने के लिए जो कुछ भी कर सकेंगे, करेंगे.

आजम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ भी संभव है. किसने सोचा था कि उनका निष्कासन रद्द कर दिया जाएगा.’ मुलायम के करीबी सहयोगी अमर सिंह के कटु आलोचक आजम को पार्टी का मुस्लिम चेहरा माना जाता है. उन्होंने सपा में जारी इस तकरार के दौरान अपनी छवि को तटस्थ बनाकर रखा है. आजम ने कहा कि यदि उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों की तिथियों की घोषणा भी हो जाती है तो भी इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके एकजुट होने के सभी द्वार बंद हो गए हैं.

जब उनसे पूछा गया कि क्या इस लडाई से पार्टी के स्थायी समर्थन का आधार यानी मुस्लिम मतदाता प्रभावित होंगे तो उन्होंने कहा कि वे कभी नहीं चाहेंगे कि सपा सरकार जाए. वे भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए काम करते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘वे दुखी और चिंतित हैं लेकिन अभी भी काफी समय बचा है.’ प्रतिद्वंद्वी गुट के द्वारा मुलायम को हटाए जाने के सवाल पर आजम ने कहा कि उन्हें इन हालिया घटनाओं की जानकारी नहीं है.

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